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SC ने सुनवाई के दौरान लगाई कांग्रेस को फटकार, कहा- संख्या है तो गवर्नर के सामने क्यों नहीं गए ?
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद अब रक्षा मंत्री का एडिशनल चार्ज वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपा गया है।
नई दिल्ली: मनोहर पर्रिकर मंगलवार (14 मार्च) को गोवा के सीएम पद की शपथ ली। कम सीटों के बावजूद सरकार बनाने के दावे को डेमोक्रेसी का मर्डर करार देते हुए कांग्रेस पर्रिकर को सीएम अप्वाइंट किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। वहां कोर्ट ने कांग्रेस को फटकार लगाते हुए पूछा कि अगर आपके पास संख्या है तो संख्याबल के साथ गवर्नर के पास क्यों नहीं गए ? उन्होंने पर्रिकर के शपथ ग्रहण समारोह पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन फ्लोर टेस्ट 16 मार्च को कराने के लिए कहा। बता दें कि रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के अपने पद से इस्तीफा देने के बाद अब रक्षा मंत्री का एडिशनल चार्ज वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपा गया है।
बीजेपी की तरफ से सरकार बनाने का दावा पेश किए जाने के बाद गोवा की गवर्नर मृदुला सिन्हा ने पर्रिकर को सीएम नियुक्त किया था। पर्रिकर ने 21 विधायकों का समर्थन होने का एक पत्र राज्यपाल को सौंपा था। पर्रिकर को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का वक्त मिला है।
और क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर आप पहले गवर्नर के पास अपने संख्याबल के साथ जाते और फिर सुप्रीम कोर्ट आते तो हमारे लिए फैसला लेना आसान होता। कोर्ट ने मुताबिक, अगर आपके पास संख्या बल था तो पहले गवर्नर के पास जाना चाहिए था।
कोर्ट में कांग्रेस ने क्या कहा ?
याचिका पर सुनवाई के दौरान कांग्रेस की और से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हम गोवा में सरकार बना सकते हैं। चुनाव के नतीजों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है. राज्यपाल को इस मामले में सबसे बड़ी पार्टी से चर्चा करनी चाहिए थी। गोवा की राज्यपाल को सबसे बड़े दल को पहले मौका देना चाहिए. बीजेपी को सरकार बनाने का मौका देने से विधायकों की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा मिलेगा।
कांग्रेस ने लोकसभा में किया वॉकआउट
गोवा में सरकार बनाने के मामले पर जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, ठीक उसी वक्त कांग्रेस ने खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए लोकसभा से वॉकआउट कर दिया। कांग्रेस ने गोवा और मणिपुर में सरकार गठन के मुद्दे पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया था। मणिपुर में भी बीजेपी ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 32 विधायकों के समर्थन का दावा किया है।
गोवा में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। बीजेपी ने 22 विधायकों के सपोर्ट का दावा किया। निर्दलीय विधायक की मांग रही थी कि यदि मनोहर पर्रिकर को सीएम का चेहरा बनाया जाता है तो वो बीजेपी का समर्थन कर सकते हैं। इसी के तहत रविवार (12 मार्च) शाम मनोहर पर्रिकर 21 विधायकों के साथ गवर्नर से मिल सरकार बनाने का दावा पेश करने गए थे।
गोवा बीजेपी ने एक प्रस्ताव पारित कर मनोहर पर्रिकर को राज्य का मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (एमजीपी) ने बीजेपी को समर्थन देने का एेलान किया है। 40 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी ने 13 और कांग्रेस ने 17 सीटें जीती थीं।
कांग्रेस ने लगाया ये आरोप
कांग्रेस ने आरोप लगे है कि बीजेपी को कम सीट मिलने के बाद भी सरकार बनाने के लिए कहना संविधान के नियमों के अनुरूप नहीं है। यही वजह है कि पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और पी चिदंबरम ने बीजेपी पर निशाना साधा। चिदंबरम ने कहा कि दूसरे नंबर पर आने वाली पार्टी को सरकार बनाने का कोई हक नहीं है। बीजेपी ने गोवा और मणिपुर में सरकार बनाने के लिए जोड़तोड़ की है।
पर्रिकर देंगे 5 साल तक स्थिर सरकार
इसी मुद्दे पर मोदी सरकार में केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गड्कड़ी ने प्रेस से वार्ता में जानकारी दी। उन्होंने कहा, कि 'रक्षा मंत्री के तौर पर मनोहर पर्रिकर का रिकॉर्ड काफी अच्छा रहा है। लेकिन गोवा में निर्दलीय विधायकों की मांग पर्रिकर को ही लेकर थी जिस पर सब एकमत से समर्थन दे सकते हैं।इसीलिए केंद्र की हमारी सरकार ने फैसला लिया है कि मनोहर पर्रिकर एक बार फिर गोवा की कमान थामेंगे। वहां के राज्यपाल से मिल उन्होंने 21 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा है। हम आशा करते हैं कि पर्रिकर सरकार गोवा में 5 साल तक स्थिर सरकार देंगे।'
पर्रिकर ने कहा- शुक्रिया
इसके बाद मनोहर पर्रिकर ने कहा, मुझमें भरोसा दिखने के लिए बीजेपी विधायकों का शुक्रिया। उन्होंने कहा, पार्टी ने हम पर भरोसा किया है हम उनकी उम्मीदों पर खड़ा उतरने की कोशिश करेंगे ।
गोवा में किसी पार्टी को नहीं मिला बहुमत
इस चुनाव में किसी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था, जिसके बाद बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही छोटी पार्टियों के सहयोग से सरकार बनाने की जुगत में लग गई थीं। एमजीपी, जीएफपी और निर्दलीय ने 3-3 सीटें जीती थीं। इसलिए वह समर्थन देकर सरकार बनाने में एक अहम किरदार निभा सकते हैं।
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