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Bridge Collapsed Accident: ढह चुके हैं ढेरों पुल, सजा तो दूर, जिम्मेदारी तक तय नहीं होती
भारत के हाल के इतिहास में पुल गिरने की सबसे घातक घटनाओं में से एक गुजरात के मोरबी में हुई है जिसने देश को झकझोर दिया है।
Bridge Collapsed Accident: भारत के हाल के इतिहास में पुल गिरने (Bridge Collapsed Accident) की सबसे घातक घटनाओं में से एक गुजरात के मोरबी (Bridge Collapsed In Morbi ) में हुई है जिसने देश को झकझोर दिया है। लेकिन पुल ढहने और लोगों के मारे जाने की अनेकों घटनाएं पहले भी घट चुकी हैं। अंतर्राष्ट्रीय जर्नल 'स्ट्रक्चर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग' में प्रकाशित 2020 के एक अध्ययन 'भारत में 1977 से 2017 तक पुल की विफलताओं का विश्लेषण' के अनुसार, पुलियों और पैदल पुलों को छोड़कर, 2,130 पुल पिछले चार दशकों में या तो अपने उद्देश्य में फेल रहे हैं या ढह चुके हैं।
इस अध्ययन के अनुसार, भारत में प्राकृतिक आपदाओं के चलते 80.3 प्रतिशत पुल के बुनियादी ढांचे की विफलता पर सबसे विनाशकारी प्रभाव डाला है। प्राकृतिक आपदाओं के अलावा, पुलों की विफलता के 10.1 प्रतिशत का कारण घटिया सामग्री रही है, जबकि ओवरलोडिंग ने पुल विफलताओं के 3.28 प्रतिशत में योगदान दिया है। अध्ययन में कहा गया है कि पुलों के विफल होने के अन्य प्रमुख कारण हैं विस्फोट और वाहनों या जहाजों के साथ दुर्घटनाएं।
दुर्भाग्य की बात है कि पुल ढहने की घटनाओं के बाद शायद ही किसी में जिम्मेदारी तय की गयी हो या किसी को सख्त सजा हुई हो। हादसों के बाद जांचें होती हैं, केस दर्ज होते हैं, सस्पेंशन होते हैं लेकिन जान माल की भयानक हानि के बावजूद किसी को सख्त सज़ा होने की जानकारी नहीं है।
बड़ी घटनाएँ
दार्जिलिंग पुल
22 अक्टूबर 2011 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के बिजनबाड़ी में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) की बैठक के दौरान भीड़ के दबाव में एक झरने के ऊपर बना लकड़ी का पुराना फुटब्रिज के गिर गया था। इस हादसे में बत्तीस लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए। ये पुल 18 सितंबर 2011 को आए भूकंप से कमजोर हो चुका था और बड़ी संख्या में भीड़ जमा होने पर ढह गया।
अरुणाचल प्रदेश फुटब्रिज
दार्जिलिंग की दुर्भाग्यपूर्ण घटना के ठीक एक हफ्ते बाद 29 अक्टूबर 2011 को अरुणाचल प्रदेश में कामेंग नदी पर एक फुटब्रिज गिर गया। यह पुल उस समय ढह गया जब 63 लोग "तारी" नामक कीट को पकड़ने के लिए पुल के ऊपर जमा थे। पुल का निर्माण 1987 में किया गया था और 1992 में इसे चालू किया गया। इस घटना में कम से कम 30 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे।
कोलकाता फ्लाईओवर
2016 में उत्तरी कोलकाता के एक भीड़भाड़ वाले बाजार इलाके में 2.2 किमी लंबे विवेकानंद फ्लाईओवर के एक निर्माणाधीन हिस्से के गिरने से 26 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए। हैदराबाद स्थित कंपनी आईवीआरसीएल, जो फ्लाईओवर का निर्माण कर रही थी, ने इस हादसे को "भगवान का कार्य" बताया था और इसे प्राकृतिक आपदा के रूप में चित्रित करने की मांग की थी।
कोलकाता का पुल
4 सितंबर, 2018 को इसी तरह की घटना में दक्षिण कोलकाता के 50 साल से अधिक पुराने माजेरहाट पुल के एक हिस्से के ढहने से तीन लोगों की मौत हो गई और 24 घायल हो गए। ये हादसा भारी बारिश के दौरान हुआ था।
मुंबई फुटओवर ब्रिज
मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन के पास एक फुटओवर ब्रिज 14 मार्च, 2019 को ढह जाने से छह लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। कम से कम तीन दशक पुराना ये पुल आजाद मैदान पुलिस स्टेशन के साथ कनेक्ट करता था। इस पुल का ऑडिट घटना से ठीक छह महीने पहले किया गया था। इसका रखरखाव बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा किया जाता थी।
उत्तराखंड
मार्च 2012 में उत्तराखंड के पौड़ी जिले में एक निर्माणाधीन पुल ढह गया था जिसमें छह लोग मारे गए और 18 अन्य घायल हो गए। अलकनंदा नदी पर बना पुल उस समय गिर गया जब मजदूर वहां काम कर रहे थे। हालांकि पुल गिरने के कारणों का पता नहीं चल सका है।
सूरत फ्लाईओवर
जून 2014 में सूरत में एक निर्माणाधीन फ्लाईओवर पुल के गिरने से लगभग 10 मजदूरों की मौत हो गई और छह अन्य घायल हो गए। ये फ्लाईओवर पारले पॉइंट क्षेत्र को तापी नदी के पास अदजान से जोड़ने वाला केबल-वायर ब्रिज था। इस मामले में सूरत पुलिस ने तीन इंजीनियरों सहित 18 लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया। ये लोग नगर निगम के पुल विभाग का हिस्सा थे। पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि निर्माण के लिए इस्तेमाल की गई सामग्री और डिजाइन दोनों ही ढहने के लिए जिम्मेदार थे।
रायगढ़ में बह गया पुल
अगस्त 2016 में महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में एक फ्लाईओवर गिरने से कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई थी। 11 दिनों की लंबी खोज में कुछ शव बरामद हो सके जबकि बाकी की पहचान नहीं हो सकी। यह घटना उस समय हुई जब राज्य परिवहन की दो बसें और 10 निजी वाहन सावित्री नदी पर बने पुल को पार कर रहे थे। मानसून के कारण नदी भी उफान पर थी। ये पुल 106 साल पुराना ब्रिटिश काल का था। इस हादसे की भी कोई जवाबदेही तय नहीं की गई।
गोवा में रिवर ब्रिज ढहा
गोवा के कुरचोरम गांव में पुर्तगाली युग का एक पुल मई, 2017 में ढह गया था, जिसमें कम से कम 2 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लापता हो गए थे। सैनवोर्डेम नदी पर बने फुटब्रिज की भी अच्छी स्थिति नहीं थी। यह उस समय ढह गया जब राज्य अग्निशमन और आपातकालीन सेवा के लोग एक व्यक्ति को बचाने के लिए काम कर रही थी, जो संभवतः एक आत्महत्या के प्रयास में नदी में कूद गया था। बचाव अभियान देखने के लिए करीब 50 लोग पुल के पास और पुल पर जमा हो गए। इस घटना के लिए भी किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया था।
वाराणसी फ्लाईओवर क्रैश
वाराणसी में 2018 में हाल के दिनों में सबसे भयानक फ्लाईओवर दुर्घटनाओं में से एक हुई थी। वाराणसी-इलाहाबाद राजमार्ग की ओर जाने वाली सड़क पर एक फ्लाईओवर का एक हिस्सा दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें कम से कम 18 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। फ्लाईओवर का जो हिस्सा गिरा, वह सरकारी सहयोग से बनाया गया था। कई मिनी बसें, दो पहिया वाहन और कारें पुल के मलबे के नीचे आ गईं। इस पुल का उद्घाटन तीन महीने पहले ही हुआ था।