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पलायन से गड़बड़ाया उद्योगों का गणित
मजदूरों के पलायन पर जहां पंजाब की सियासत गर्मा गई है वहीं, पूर्वांचली पलायन कर रहे मजदूरों के आंसू पोछने का काम कर रहे हैं। शिअद, भाजा और आप पंजाब की सत्तारुढ़ सरकार पर केंद्र सरकार द्वारा जारी राशन वितरण में भेदभाव का आरोप लगाते हुए मजदूरों के पलायन का मुख्य वजह मान रही है।
दुर्गेश पार्थसारथी
लुधियाना : कोविड-19 से न केवल पंजाब सरकार की अर्थ व्यवस्था चरमरा गई है। बल्कि, यहां के उद्योग धंधों को भी ग्रहण लग गया है। चाहे वह लुधियाना का होजरी उद्योग हो, मंडी गोबिंदगढ़ का लौह उद्योग या फिर जालंधर का खेल उद्योग। मजदूरों के सामने जहां रोजी रोटी का संकट है, वहीं उद्यमियों के सामने कुलश कामगारों का। यानि अंधेरा दोनो तरफ है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 12 लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों ने अपने गृह राज्य जाने का रजिस्ट्रेशन करवा रखा है। इन सभी मजदूरों को पंजाब के विभिन्न जिलों से उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए नियमित रूप से श्रमिक स्पेशल रेलगाड़ियां चला कर प्रशासन उनके जिलों को भेज रहा है।
मिली जाकारी के अनुसार रजिस्ट्रेशन करवाने वालों में 90 हजार श्रमिक जालंधर और सवा छह लाख से अधिक श्रमिक लुधियाना जिले से हैं। फिलहाल जालंधर से उत्तर प्रदेश के लिए श्रमिक स्पेशल रेलगाडि़यां नहीं है। जबकि, पठानकोट से गुरदासपुर, अमृतसर, लुधियाना, खन्ना, दोराहा, फिरोजपुर, फरीदकोट, संगरूर और पटियाला से उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों प्रवासी श्रमिकों को उनके गृह जनपद भेजा जा रहा है।
उद्यमियों ने की मुफ्त रेल सेवा बंद करने की मांग
इधर, श्रमिकों के पलायन से चिंतित उद्यमी मजदूरों के पलायन को सरकार रोकने की लगातार गुहार लगा रहे हैं। फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीयल एंव कमर्शियल आर्गनाइजेशन (फीको) की ओर से मुख्यमंत्री और रेलमंत्री को पत्र लिखकर पंजाब से यूपी बिहार के लिए बिना किसी शुल्क चलाई जा रही ट्रेनों को तत्काल बंद किए जाने की मांग की है।
फीको चेयरमैन केके सेठ, प्रधान गुरमीत सिंह कुलार एवं आर्गनाइजेशन सचिव अर्शप्रीत साहनी ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह एवं केंद्रीय रेल मंत्री पियुष गोयल को मुफ्त ट्रेन यात्रा बंद करने को कहा है।
सीएम की प्रवासियों से अपील, पंजाब छोड़ कर न जाएं यह आपकी कर्म भूमि है
उधर, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पलायन कर रहे श्रमिकों से पंजाब न छोड़ने की अपील की है। उन्होंने श्रमिकों से कहा कि पंजाब आप की कर्म भूमि है। इसे इसतहर छोड़ कर न जाएं। पंजाब सरकार आप की हर परेशानियों को हर किया जाएगा। पंजाब के सभी जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिए गए हैं कि राज्य में कोई मजूदर भूखे पेट नहीं रहना चाहिए।
मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब में उत्पादन शुरू हो गया है। श्रमिकों को काम भी मिलने लगा। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में 2.56 लाख उद्योगों में से 1.50 लाख औद्योगिक इकाइयों ने काम करना शुरू कर दिया है। यही नहीं मुख्यमंत्री का दावा है कि घर जाने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने वाले श्रमिकों को प्रशासन की ओर से दोबारा फोन कर पूछा जा रहा है कि क्या बदलते माहौल में भी आप अपने घर जाने के इच्छुक हैं। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि पंजाब में उद्योगों के पहिए फिर से घूमने लगे हैं।
उद्यमियों के सामने खड़ी हैं मुश्किलें
करीब तीन माह के लॉकडाउन और कर्फ्यू बाद पंजाब में उद्योगों का पहिया घूमना शुरू हो गया है, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण उद्योगपतियों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। यह कमी कामगार और कच्चे सामानों की है। इसकी कमी के कारण उद्यमी इकाइयों को ढंग से चला नहीं पा रहे हैं।
फस्टर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का कहना है कि छोटी इकाइयों के पास काम नहीं है। छोटे उद्यमी बड़े उद्योगों पर निर्भर हैं । बड़े उद्योगों में अभी पूरी तरह उत्पादन शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में छोटे उद्यमियों को काम नहीं मिल रहा है। इससे कामगार और छोटे व मझोले उद्योगों को भारी परेशानी हो रही है।
हीरो साइकिल ने शुरू किया उत्पादन
इधर, हीरो साइकिल्स ने अपनी विभिन्न इकाइयों में 30 प्रतिशत उत्पादन शुरू कर दिया है। शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में मांग को तुरंत पूरा करने के लिए यह कदम उठाया गया है। क्योंकि करीब तीन माह के लॉकडाउन के बाद बाजार फिर से खुल रहे हैं। हीरो साइकिल्स प्रबंधन ने लुधियाना, पंजाब और बिहटा, बिहार में संबंधित स्थानीय प्रशासन की ओर से निर्धारित मानक के दिशानिर्देशों के अनुरूप अपनी विनिर्माण इकाइयों में काम शुरू कर अपना कॉर्पोरेट ऑफिस भी खोल दिया है।
800 कर्मचारी काम पर लौटे
हीरो साइकिल में उत्पान शुरू होने से कुल 800 कर्मचारियों ने काम शुरू किया। हीरो साइकिल ने उन 500 साइकिल और ई-साइकिल की रिटेलर्स को आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा है। कंपनी के चेयरमैन और एमडी पंकज एम मुंजाल कहा कहना है कि चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन को उठाया जा रहा है। हम अगले कुछ हफ्तों में ई-साइकिल और प्रीमियम बाइक सहित साइकिलों की मांग में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं। इससे न केवल कामगारों को रोजगार मिलेगा बल्कि उद्योग भी पटरी पर लौटेगा।
कृषि क्षेत्र में भी चुनौती
पंजाब से मजदूरों का पलायन ऐसे समय में हो रहा है जब यहां के किसानों ने धान की रोपाई की पूरी तैयारी कर ली है। मजदूरों के पलायन से किसानों के माथे पर बल पड़ गया है। अमृतर के गांव अटारी के किसान गुरजाप सिंह का कहना है कि धान की पनीरी तैयार है।
रोपाई का इंतजार है, लेकिन उत्तरप्रदेश, बिहार, और छत्तीसगढ़ के मजदूरों के पलायन से संकट खड़ा हो गया है। लोकल मजदूर मजदूरी अधिक मांग रहे हैं। ऐसे में किसान दोराहे पर खड़ा है। उधर, पंजाब के कृषि अधिकारी किसानों को धान की सीधी बिजाई करने और मशीनों से रोपाई के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
कृषि अधिकारियों का कहना है कि इससे लागत कम और पैदावार अधिक होगी। वहीं किसानों का तर्क है धान की रोपाई के लिए मशीनरी कम है। अगर किसान इन्हें खरीदना भी चाहे तो यह छोटे किसानों की पहुंच से दूर है। ऐसे में सरकार को 80 प्रतिशत सब्सीडी देनी चाहिए।
पूर्वांचली पोंछ रहे मजदूरों के आंसू
मजदूरों के पलायन पर जहां पंजाब की सियासत गर्मा गई है वहीं, पूर्वांचली पलायन कर रहे मजदूरों के आंसू पोछने का काम कर रहे हैं। शिअद, भाजा और आप पंजाब की सत्तारुढ़ सरकार पर केंद्र सरकार द्वारा जारी राशन वितरण में भेदभाव का आरोप लगाते हुए मजदूरों के पलायन का मुख्य वजह मान रही है।
वहीं दूसरी ओर श्री श्रीछठपूजा समिति और श्रीश्री छठपूजा नौजवान समिति के सदस्य जबसे लॉक डाउन शुरू हुआ है तबसे मजदूरों को लंगर लगाने से लेकर उन्हें राशन पहुंचाने तक का काम कर रहे हैं।
हजारों को बांटा गया राशन
श्रीश्री छठ पूजा समिति के चेयरमैन डीएलडान और अध्यक्ष धीरज कुमार और मुकेश कुमार ने बताया कि अब तक हजारों लोगों को राशन बांटा जा चुका है। लेकिन अब जब मजदूर पलायन कर रहे हैं ऐसे में दो शिविर लगा कर दो-दो हजार श्रमिकों को भोजन करवाया जा रहा है।
वह कहते हैं कि यह सारा प्रबंध लुधियाना में काम कर रहे करीब पांच हजार मझोले और छोटे पूर्वाचली उद्यमियों और स्वयं सेवी संगठनों के सहयोग से किया जा रहा है। उनका कहना है कि यह काम हालात सामान्य होने तक जारी रहेगा।