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Gyanvapi पर कोर्ट के फैसले से रामगोपाल यादव दुखी, मौलाना अरशद मदनी बोले- 'कानून की किताबों को आग लगा दो'

Gyanvapi Case: वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मामले में जिला अदालत ने परिसर में पूजा-पाठ की इजाजत के बाद मुस्लिम पक्ष ने इसका विरोध किया। सपा नेता रामगोपाल यादव ने भी दुख जताया है।

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Published on: 2 Feb 2024 5:03 PM IST (Updated on: 2 Feb 2024 5:08 PM IST)
Gyanvapi Case
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मौलाना अरशद मदनी और सपा नेता रामगोपाल यादव (Social Media)

Gyanvapi Case: वाराणसी के ज्ञानवापी मामले में शुक्रवार (02 फरवरी) को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में सुनवाई हुई। उच्च न्यायालय में अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 फरवरी को होगी। तब तक के लिए कोर्ट ने पूजा-पाठ पर रोक नहीं लगाई है।

साथ ही, जिला प्रशासन को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने के निर्देश दिए। इस मामले पर जमीयत उलेमा-ए-हिन्द (Jamiat Ulema-e-Hind) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने अपनी प्रतिक्रिया दी। इसी तरह की प्रतिक्रिया सपा नेता रामगोपाल यादव ने दी।

अरशद मदनी-...तो किसी भी धर्म को फैसला नहीं मिलेगा

अरशद मदनी ने कहा, 'हमने 1991 में बने कानून पर भी ऐतराज जताया था। इस कानून से बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) को क्यों हटाया जा रहा है? जहां बाबरी मस्जिद वहां राम जन्मभूमि नहीं है। उन्होंने कहा, बाबरी मस्जिद के फैसले ने बताया कि, ऐसे किसी भी मस्जिद के साथ हो सकता है। कानून की किताबों को आग लगा दो। अगर, यही चलेगी तो किसी भी धर्म को फैसला नहीं मिलेगा। आप कानून क्यों पढ़ाते हैं?'

'इबादतगाहों पर कब्जा करने वाले सफल हो रहे'

मदनी ने आगे कहा, 'मुसलमान मुल्क की आजादी के बाद इस तरह के मसलों में घिरा हुआ है। बाबरी मस्जिद के बाद कई मस्जिदों के मसलों में घिरा है। उन्होंने कहा, इस वक़्त जिस तेजी से ये मसले उठे हैं कि अदालत में ऐसी लचक और ढील पैदा हुई है कि जो लोग इबादतगाहों पर कब्जा करने वाले सफल हो रहे हैं।'

...फिर तो मंदिर-मस्जिद कुछ नहीं बचते

मौलाना मदनी यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, 'अगर मुसलमानों की ये सोच होती कि हमें सभी मंदिर तोड़ देने हैं तो मंदिर-मस्जिद कुछ नहीं बचते। उन्होंने आगे कहा, अदालत ने जल्दबाजी में फैसला किया। दूसरे पक्ष को बहस का मौका नहीं दिया गया। इंसाफ देने वाले इदारों को चोट पहुंची है। बाबरी मस्जिद के फैसले में ये कहा गया है कि, मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनाई गई। उन्होंने कहा, अदालत का काम आस्था पर फैसला करना नहीं है। दलील के हिसाब से इंसाफ किया जाता है। आपस में दूरी पैदा करने की कोशिश की जा रही है।'

रामगोपाल यादव- सही फैसला नहीं सुनाती अदालतें

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव (Ram Gopal Yadav) का ज्ञानवापी पर आया बयान भी कुछ-कुछ मौलाना मदनी से मिलता है। सपा नेता ने अदालत के फैसले पर सवाल उठाए। ज्ञानवापी मामले में अदालत के फैसले पर टिप्पणी करते हुए राम गोपाल बोले, 'अदालतें कई मौकों पर सही फैसला नहीं सुनाती है। इस फैसले से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, अदालत के आदेशों का हमेशा विरोध होता है। क्या अदालत के फैसले हमेशा सही होते हैं।

रामगोपाल यादव से इस पर विस्तार से टिप्पणी को लेकर पूछा गया। जिस पर उन्होंने कहा, 'कई मौकों पर ऐसा नहीं होता है, लेकिन सब कुछ बिल्कुल सही भी नहीं है। हर फैसला एक पक्ष के लिए सही होता है, जबकि दूसरे पक्ष के लिए गलत। हालांकि, उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी पर सुप्रीम कोर्ट को ही फैसला करना है'।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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