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ट्रेन किराए तक के पैसे नहीं, मगर फ्लाइट से पहुंचे घरः ऐसे पूरा हुआ मजदूरों का सपना
रांची पहुंचने पर कुछ मजदूरों ने कहा कि आज उनके दो-दो सपने एक साथ पूरे हो गए। एक तो वे लॉकडाउन जैसे मुश्किल समय में अपने घर पहुंच गए हैं और दूसरी बात उनका जीवन में पहली बार हवाई यात्रा करने का सपना भी पूरा हो गया है।
अंशुमान तिवारी
रांची। लॉकडाउन के दौरान तमाम मजदूरों को सैकड़ों किलोमीटर लंबा घर का सफर पैदल ही तय करना पड़ा मगर झारखंड के 180 प्रवासी मजदूरों पर किस्मत ऐसी मेहरबान हुई कि वे मुंबई से हवाई यात्रा करके अपने घर पहुंचे। इन 180 प्रवासी मजदूरों के पास ट्रेन का टिकट कटाने तक का पैसा नहीं था मगर कुछ दिलदारों की मदद की वजह से इस शानदार अंदाज में घर पहुंचने का उनका सपना पूरा हुआ।
सरकार की ओर से नहीं मिली मदद
रांची पहुंचने पर कुछ मजदूरों ने कहा कि आज उनके दो-दो सपने एक साथ पूरे हो गए। एक तो वे लॉकडाउन जैसे मुश्किल समय में अपने घर पहुंच गए हैं और दूसरी बात उनका जीवन में पहली बार हवाई यात्रा करने का सपना भी पूरा हो गया है। वैसे ये प्रवासी मजदूर न तो केंद्र सरकार और न झारखंड सरकार की मदद से हवाई जहाज से रांची पहुंचे।
इनकी मदद से पूरा हुआ सपना
इनकी मदद की है नेशनल लॉ स्कूल, बेंगलुरु के पूर्व छात्रों ने। मजदूरों की मदद करने के लिए आगे आए इन पूर्व छात्रों का कहना है कि उन्हें आईआईटी मुंबई के पास मजदूरों के फंसे होने की जानकारी मिली थी। हमने इन प्रवासी मजदूरों की दिक्कतों को महसूस किया और ग्रुप के सारे सदस्यों ने उन्हें फ्लाइट के जरिए घर पहुंचाने की योजना बनाई। पूर्व छात्रों के मुताबिक हम सभी ने आपस में चंदा किया और इसके साथ ही कुछ एनजीओ और पुलिस ने भी इस मामले में मदद की।
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आत्म संतुष्टि के लिए की मजदूरों की मदद
मौजूदा दौर में जब हर कोई किसी काम का यश लेने के लिए बेकरार रहता है, इन पूर्व छात्रों का कहना है कि उन्होंने आत्म संतुष्टि के लिए इन मजदूरों को हवाई जहाज के जरिए झारखंड स्थित उनके घर भेजा है। पूर्व छात्रों का कहना है कि उन्होंने यह काम नाम कमाने के लिए नहीं किया है। इसलिए वे अपना नाम भी सार्वजनिक नहीं करना चाहते।
अपनी धरती को किया प्रणाम
फ्लाइट के जरिए रांची पहुंचे इन मजदूरों में से कई ने एयरपोर्ट के बाहर निकलते ही अपनी धरती को प्रणाम किया और कहा कि अब वे कभी मुंबई नहीं जाएंगे। चतरा के रहने वाले मोहम्मद मुर्शीद अंसारी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उनका लेडीज सूट कटिंग का काम पूरी तरह ठप हो गया। आर्थिक दिक्कतों से मुंबई में रहना मुश्किल हो गया। उनका कहना है कि वे जीवन में पहली बार हवाई जहाज पर बैठने में कामयाब हुए हैं।
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ऐसी मदद मिलने पर मजदूर भी हैरान
दो और प्रवासी मजदूरों सरल और देवेंद्र ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान घर लौटने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था क्योंकि ट्रेन या किसी अन्य वाहन का किराया देने तक का पैसा नहीं बचा था। वे हवाई यात्रा के जरिए अपने घर पहुंचने के बाद खुद भी हैरान है कि ऐसे मुश्किल समय में उन्हें इस तरह की मदद मिली है। इन प्रवासी मजदूरों का भी कहना है कि अब वे लौटकर मुंबई नहीं जाएंगे बल्कि अपने गांव में जाकर ही कुछ काम करेंगे।
अब मुंबई जाने का इरादा नहीं
एक और प्रवासी मजदूर विनोद ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान उन्हें तनख्वाह तक नहीं मिली और काम पूरी तरह ठप हो गया। मुंबई में खाने तक की दिक्कत खड़ी हो गई। वे भी फ्लाइट के जरिए अपने घर पहुंचने से काफी खुश हैं और अब भविष्य में कभी मुंबई नहीं जाना चाहते। कई और मजदूरों ने भी अपनी दर्द भरी दास्तान सुनाते हुए कहा कि अब वे अपने गृह जिले और गांव में ही रहकर जीवन यापन का प्रयास करेंगे।
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