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Target Killing in Kashmir: कश्मीर में 90 से हालात, कश्मीरी पंडितों का पलायन शुरू, श्रीनगर एयरपोर्ट पर भारी भीड़
श्रीनगर स्थित एयरपोर्ट पर कश्मीरी पंडित कर्मचारियों और अन्य हिंदूओं की भारी भीड़ जमा हो गई है। बताया जा रहा है कि ये लोग घाटी से पलायन के लिए इकट्ठा हुए हैं।
Jammu-Kashmir: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। खबर के मुताबिक, श्रीनगर स्थित एयरपोर्ट पर कश्मीरी पंडित (Kashmiri Pandit) कर्मचारियों और अन्य हिंदूओं की भारी भीड़ जमा हो गई है। बताया जा रहा है कि ये लोग घाटी से पलायन के लिए इकट्ठा हुए हैं। बता दें कि बुधवार को कश्मीरी पंडितों ने धमकी दी थी कि अगर प्रशासन ने उन्हें 24 घंटे के भीतर सुरक्षति स्थानों पर नहीं पहुंचाय़ा तो वे घाटी छोड़ देंगे।
प्रशासन के कदम से असंतुष्ट
कश्मीरी पंडित शिक्षिका रजनी बाला की हत्या के बाद पहले से ही आंदोलनरत कश्मीरी पंडित कर्मचारी समुह और भड़क गए। इसके बाद उन्होंने प्रशासन को घाटी से सामुहिक पलायन की चेतावनी दे दी। आनन – फानन में प्रशासन ने हिंदू कर्मचारियों का ट्रांसफर करने का फैसला किया। प्रशासन ने उन्हें जिला मुख्यालय लाने की तैयारी की है। लेकिन कश्मीरी पंडित कर्मचारी प्रशासन के इस कदम से संतुष्ट नहीं हैं। क्योंकि वह जिला मुख्यालय की बजाय जम्मू में ट्रांसफर चाहते थे।
बैंककर्मी की हत्या से बढ़ा खौफ
इस बीच कुलगाम में एक हिंदू बैंककर्मी की हत्या ने आग में घी डालने का काम किया है। कश्मीरी पंडित कर्मचारियों को अब लगभग अहसास हो गया है कि यहां रहना उनके लिए खतरे से खाली नहीं है और सरकार के सुरक्षा इंतजामों के दावों पर उनका भरोसा भी खत्म हो चुका है। यही वजह है कि घाटी में सरकारी और निजी सेक्टर में काम कर रहे सभी हिंदू वहां से पलायन करने का मन बना चुके हें। जम्मू कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति के बावजूद 1990 की दशक की तरह घाटी से अल्पसंख्यक हिंदूओं का पलायन केंद्र सरकार की कश्मीरी नीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
बता दें कि गुरूवार को कुलगाम में एक बैंक में घुसकर आतंकियों ने मैनेजर विजय कुमार की हत्या कर दी। विजय कुमार कुलगाम के मोहनपोरा में इलाकी देहाती बैंक मे तैनात थे। जबकि इससे पहले 31 मई को कुलगाम में शिक्षिका रजनी बाला की आतंकियों ने हत्या कर दी थी। बैंक मैनेजर विजय कुमार की हत्या करने की जिम्मेदारी आंतकी संगठन कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (KFF) ने ली है। उसने ऐसे और हमलों को अंजाम देने की बात कही है।
पलायन की तैयारी में जुटे कश्मीरी पंडित
कश्मीरी में लगातार हो रहे टारगेट किलिंग को देखते हुए वहां रहे कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ने का मन बना लिया है। गुरूवार को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के मट्टन कॉलोनी के पंडितों ने इसे लेकर एक बैठक की और यहां से निकलने का निर्णय लिया। उन्होंने अनंतनाग के जिलाधिकारी से बनिहाल (जम्मू) जाने के लिए सुरक्षा की मांग की है।
घाटी छोड़ने के फैसले पर अड़े कश्मीरी पंडित
अनंतनाग में रह रहे एक कश्मीड़ी पंडित ने एक मीडिया संस्थान से बात करते हुए कहा कि यहां हर रोज हमारे भाई मर रहे हैं। सरकार सुरक्षा देने में नाकाम रही है। शुक्रवार यानि कल से हम लोग पलायन शुरू करेंगे, सरकार कितनी भी कोशिश कर ले, रोक नहीं पाएगी। वहीं एक अन्य कश्मीरी पंडित ने कहा कि खराब होती सुरक्षा व्यवस्था से हम नाराज हैं। फिलहाल थोक में पलायन ही एकमात्र समाधान है। उन्होंने बताया कि आज ही 20 से 30 गाड़ियां जम्मू की तरफ रवाना हुई हैं। अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो पलायन की गति और तेज होगी।
कश्मीरी पंडितों को रोक रहे सुरक्षाबल
घाटी में कैंपों में रह रहे कश्मीरी पंडित अब डर से एकबार फिर घाटी छोड़ने का बन रहा हैं। उन्होंने अपना सामान भी पैक कर लिया है। मगर कैंपों की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाबल उन्हें बाहर नहीं जाने दे रहे हैं। अनंतनाग के वैस्सू इलाके में स्थित एक कश्मीरी पंडित कैंप का यही हाल है, जहां कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग जाने के लिए तैयार बैठे हैं, मगर उन्हें बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है।
बता दें कि 1990 में कश्मीर घाटी में सबसे बड़ा पलायन हुआ था। गृह मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार, उस दौरान हुई हिंसा में 219 कश्मीरी पंडित मारे गए थे। लाखों कश्मीरी पंडितों को अपना घर – बार छोड़कर अन्य राज्यों में जाना पड़ा था।