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मोदी कैबिनेट ने दी 25 साल पुराने विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड को भंग करने की मंजूरी
देश में व्यापार में आसानी को बढ़ावा देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 25 साल पुराने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को भंग कर दिया।
नई दिल्ली: देश में व्यापार में आसानी को बढ़ावा देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 25 साल पुराने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को भंग कर दिया।
90 फीसदी से अधिक विदेशी निवेश के मामलों में बोर्ड के मंजूरी की जरूरत होती थी। केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि अब केवल 11 क्षेत्रों को प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा, "मंत्रिमंडल ने एफआईपीबी को भंग करने का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब करीब 91-95 फीसदी एफडीआई ऑटोमैटिक रूट से आ सकेगी। यह व्यापार में आसानी के लिए किया गया है।" आम बजट 2017-18 में एफआईपीबी को भंग करने का प्रस्ताव किया गया था।
1990 में आर्थिक उदारीकरण के बाद प्राइम मिनिस्टर ऑफिस (पीएमओ) के अधीन एफआईपीबी का गठन हुआ था। अभी रक्षा एवं खुदरा व्यापार समेत सिर्फ 11 सेक्टरों में ही एफडीआई के प्रस्तावों को सरकार की मंजूरी की जरूरत पड़ती है। जेटली ने कहा कि जिन 11 क्षेत्रों में एफडीआई के पूर्व अनुमोदन की जरूरत है, उसका फैसला संबंधित मंत्रालय करेंगे। अगर सुरक्षा संबंधी कोई चिंता होगी तो उसका फैसला गृह मंत्रालय करेगा।
नई व्यवस्था के तहत अब आर्थिक मामलों के सचिव हर तीसरे महीने जबकि वित्त मंत्री सालाना आधार पर लंबित प्रस्तावों की समीक्षा करेंगे। 5,000 करोड़ रुपए से ऊपर के एफडीआई प्रपोजल्स को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ही मंजूरी देगी। 2016-17 में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 9 प्रतिशत बढ़कर 43.48 अरब डॉलर (करीब 2.81 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच गया।