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मोदी सरकार का बड़ा फैसला, UP सहित देशभर में बनेंगे 12 ‘औद्योगिक स्मार्ट शहर’, मिलेंगी 10 लाख नौकरियां
Modi Cabinet Decisions: सरकार ने कहा कि इससे न केवल आजीविका के अवसर मिलेंगे, बल्कि उन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान मिलेगा, जहां ये परियोजनाएं लागू की जा रही हैं।
Modi Cabinet Decisions: भारत जल्द ही औद्योगिक स्मार्ट शहरों की एक भव्य माला पहनेगा, इसके लिए मोदी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने बुधवार को राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत 12 नए परियोजना प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। इस योजना पर सरकार 28 हजार 602 करोड़ रुपये सरकार खर्च करेगी। सरकार के इस कदम से देश के औद्योगिक परिदृश्य को बदलने के लिए तैयार है, जिससे औद्योगिक नोड्स और शहरों का एक मजबूत नेटवर्क तैयार होगा जो आर्थिक विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा को काफी बढ़ावा देगा।
सरकार खर्च करेगी 28 हजार करोड़ रुपए
कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की बुधवार को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी। अश्निनी वैष्ण ने बताया कि नेशनल इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 12 इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी को मंजूरी दी गई है। इस पर 28 हजार 602 करोड़ रुपये सरकार खर्च करेगी। इनमें से 2 औद्योगकि शहर आंध्र प्रदेश और एक बिहार में विकसित किए जाएंगे। इससे करीब 10 लाख लोगों को रोजगार के अवसर पैदा होगें।
यहां बनेंगे औद्योगिक शहर
10 राज्यों में फैले और छह प्रमुख गलियारों के साथ रणनीतिक रूप से नियोजित ये परियोजनाएं भारत की विनिर्माण क्षमताओं और आर्थिक विकास को बढ़ाने की खोज में एक महत्वपूर्ण छलांग का प्रतिनिधित्व करती हैं। सरकार जिन इलाकों में इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी विकसित करेगी, उसमें उत्तराखंड में खुरपिया, पंजाब में राजपुरा-पटियाला, महाराष्ट्र में दिघी, केरल में पलक्कड़, उत्तर प्रदेश में आगरा और प्रयागराज, बिहार में गया, तेलंगाना में जहीराबाद, आंध्र प्रदेश में ओर्वाकल और कोपार्थी और राजस्थान में जोधपुर-पाली मे शामिल हैं। इन औद्योगिक केंद्रों में 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है।
वैश्विक मानकों पर तैयार किये जाएंगे ये शहर
इसे बड़े एंकर उद्योगों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) दोनों से निवेश की सुविधा प्रदान करके एक जीवंत औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये औद्योगिक नोड 2030 तक 2 ट्रिलियन अमरीकी डालर के निर्यात को प्राप्त करने के लिए कार्य करेंगे, जो सरकार के आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी भारत के दृष्टिकोण को दर्शाता है। नए औद्योगिक शहरों को वैश्विक मानकों के ग्रीनफील्ड स्मार्ट शहरों के रूप में विकसित किया जाएगा, जिन्हें 'प्लग-एन-प्ले' और 'वॉक-टू-वर्क' पर बनाया जाएगा। पीएम गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के अनुरूप परियोजनाओं में मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी इंफ्रास्ट्रक्चर होगा, जो लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगा।
40 लाख पैदा होंगी नौकरियां
औद्योगिक शहरों को पूरे क्षेत्र के परिवर्तन के लिए विकास केंद्र बनाने की कल्पना की गई है। स्मार्ट शहरों से महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है, जिसमें अनुमानित दस लाख प्रत्यक्ष रोजगार और नियोजित औद्योगीकरण के माध्यम से तीन मिलियन तक अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। सरकार ने कहा कि इससे न केवल आजीविका के अवसर मिलेंगे, बल्कि उन क्षेत्रों के सामाजिक-आर्थिक उत्थान में भी योगदान मिलेगा, जहां ये परियोजनाएं लागू की जा रही हैं।