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Bharat Ratna Karpoori Thakur: मोदी सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का किया एलान
Bharat Ratna Karpoori Thakur: मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न सम्मान मिलेगा। राष्टपति भवन ने इसका एलान किया है।
Bharat Ratna Karpoori Thakur: मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न सम्मान मिलेगा। राष्ट्रपति भवन ने इसका एलान किया है।
24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर का जन्मदिन होता है। उससे पहले ही मोदी सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न दिया है। दो बार के मुख्यमंत्री रहे कर्पूरी ठाकुर की राजनीति में ईमानदारी की मिसाल दी जाती है। वे ऐसे नेता थे जो केवल एक धोती-कुर्ता में कई महीने बिता दिया करते थे। निधन के समय उनके पास न मकान था न एक इंच भी जमीन।
सरकार की दे दी कुर्बानी, पर नहीं हटे पीछे
24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर में जन्मे कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे लेकिन एक भी बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। जब वे मुख्यमंत्री बने तो बिहार में पिछड़े वर्गों के लिए मुंगेरी लाल आयोग की अनुशंसा लागू कर आरक्षण का रास्ता खोल दिया।
उन्हें अपनी सरकार की कुर्बानी देनी पड़ी, लेकिन इसके बावजूद वे अपने संकल्प से विचलित नहीं हुए। कर्पूरी ने ही बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी पास करने की अनिवार्यता को खत्म किया। उन्होंने ही सबसे पहले बिहार में शराबबंदी लागू की। सरकार गिरने पर राज्य में फिर से शराब के व्यवसाय को मान्यता मिल गई।
सादगी रही मिसाल
1952 की पहली बिहार विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद कर्पूरी ठाकुर विधानसभा का चुनाव कभी नहीं हारे। उनकी सादगी ऐसी थी कि वो कभी भी दूसरे को हैंडपंप नहीं चलाने देते थे। खुद से पानी निकालना और अपने कपड़े को खुद धोना उनकी दिनचर्या में शामिल था।
कर्पूरी ठाकुर की बिहार के समस्तीपुर की एक यात्रा काफी चर्चा में रही है। कर्पूरी ठाकुर 1969 में एक चुनावी दौरे से लौटकर रात में समस्तीपुर आए तो अधिवक्ता शिवचंद्र प्रसाद राजगृहार के आवास पर रुके। कर्पूरी उनसे बाल्टी और मग मांगा और रात में ही अपनी धोती और कुर्ते को खुद धूला और सूखने के लिए डाल दिया। इसके बाद खाना खाकर सो गए। जब वे सुबह उठे तो देखा की उनका धोती-कुर्ता सूख नहीं पाया था।
धोती सुखाने के लिए उन्होंने खुद एक छोर पकड़ा और दूसरे एक अन्य साथी को दे दिया। धोती और गंजी को कुछ देर तक झटकते रहे और फिर पहनने लायक होने पर बिना आयरन के वही धोती और कुर्ता पहनकर वे आगे निकल गए। कर्पूरी ठाकुर की खासियत यह थी कि वह जनता के सवाल को सदन में मजबूती के साथ उठाते और उसे निष्कर्ष तक ले जाते थे। कमजोर तबकों पर हो रहे जुल्म और अत्याचार की घटनाओं को लेकर कर्पूरी सरकार को भी कठघरे में खड़ा कर देते थे।