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संसद के शीतकालीन सत्र को बाईपास कर बजट सत्र पर मोदी सरकार का फोकस

इस बात को लेकर सरकार के शीर्ष हलकों में गंभीर अटकलें चल रही हैं कि क्या मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र से कन्नी काटना चाहती है।

tiwarishalini
Published on: 3 Nov 2017 1:35 AM IST
संसद के शीतकालीन सत्र को बाईपास कर बजट सत्र पर मोदी सरकार का फोकस
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संसद के शीतकालीन सत्र को बाईपास कर बजट सत्र पर मोदी सरकार का फोकस

नई दिल्ली : इस बात को लेकर सरकार के शीर्ष हलकों में गंभीर अटकलें चल रही हैं कि क्या मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र से कन्नी काटना चाहती है। हालांकि, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन के करीबी सूत्रों ने शीत सत्र को बाईपास करने की खबरों से इनकार किया है। लेकिन, इसके बाद भी इस बात के स्पष्ट संकेत हैं कि मोदी सरकार इस बार शीतकालीन सत्र को लेकर ज्यादा उत्साहित नहीं है। तर्क यह दिया जा रहा है कि अगर संक्षिप्त शीत के बजाय सीधे जनवरी के आखिर में बजट सत्र बुलाने पर ही फोकस रखा जाए।

मोदी सरकार की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि वह पूरी तरह गुजरात विधानसभा चुनाव में जुटी हुई है। गुजरात से लोकसभा में सभी 26 सांसद बीजेपी के हैं। इन सभी को अपने-अपने चुनाव क्षेत्रों में पार्टी उम्मीदवारों को जिताने की जवाबदेही तय की गई है। करीब एक दर्जन पूर्व सीएम के अलावा कई केंद्रीय मंत्रियों को गुजरात में बीजेपी की चुनावी मशीनरी की कमान संभालने का जिम्मा सौंपा गया है। मोदी सरकार के सबसे ताकतवर मंत्री अरुण जेटली तो खुद ही वहां बीजेपी के चुनाव इंचार्ज हैं।

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इस बार शीतकालीन सत्र बीजेपी के गले की हड्डी इसलिए बना हुआ है कि संसद सत्र की तारीखें और गुजरात चुनाव का कार्यक्रम का आपस में टकराव हो रहा है। सरकार को लगता है कि गुजरात चुनाव प्रचार जब चरम पर होगा तो विपक्षी पार्टियां संसद के इस संक्षिप्त सत्र में ऐसे मामलों को उठाकर प्रचार का हथियार बना सकते हैं जो बीजेपी की चुनावी फिजा को खराब कर सकते हैं।

संसद सत्र को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली राजनीतिक मामलों की समिति ने अपने फैसले से लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति को वीरवार शाम तक भरोसे में नहीं लिया था। लोकसभा सचिवालय के अनुसार मोटे पर तौर पर मंगलवार 21 नवंबर से शीतकालीन सत्र की तारीखें तय करने पर आंतरिक सहमति दिख रही थी। सत्र आहूत करने के लिए आमतौर पर 15 दिन का वक्त दिया जाता है ताकि सांसद सत्र की बैठकों में शामिल होने के लिए समय निकाल सकें और संसद में पूछे जाने वाले सवालों व मुद्दों की तैयारी कर सकें।



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