TRENDING TAGS :
INDIA vs BHARAT: जब मोदी सरकार ने देश का नाम भारत किए जाने का किया था विरोध, अब मारी पलटी, PM का विपक्ष पर तीखा हमला
INDIA vs BHARAT: सरकार के इस कदम को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेताओं ने तीखी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि गठबंधन के नाम से घबराकर मोदी सरकार ने यह कदम उठाया है।
INDIA vs BHARAT : देश के नाम को लेकर इन दिनों पूरे देश में बहस छिड़ी हुई है। मोदी सरकार की ओर से इंडिया की जगह भारत को प्रचलन में लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान रात्रि भोज का आमंत्रण द प्रेसिडेंट ऑफ भारत नाम से भेजा गया है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंडोनेशिया दौरे के लिए जारी सरकारी पुस्तिका के आवरण पर भी प्राइम मिनिस्टर ऑफ भारत लिखा है। सरकार के इस कदम को लेकर विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेताओं ने तीखी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि गठबंधन के नाम से घबराकर मोदी सरकार ने यह कदम उठाया है।
दूसरी ओर भाजपा नेताओं की ओर से देश का नाम भारत किए जाने की खुलकर वकालत की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बुधवार को मंत्रिपरिषद की बैठक के दौरान विपक्ष के एतराज पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि संविधान देश को भारत कहने की आजादी देता है मगर विपक्ष को इस पर आपत्ति है। वैसे दिलचस्प बात यह है कि भाजपा नेताओं की ओर से भले ही अब देश का नाम भारत किए जाने की वकालत की जा रही हो मगर सुप्रीम कोर्ट में खुद मोदी सरकार ने देश का नाम भारत किए जाने का विरोध किया था। गृह मंत्रालय की ओर से इस याचिका का विरोध किए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
2015 में उजागर हुआ था मोदी सरकार का रुख
2015 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने पर इंडिया बनाम भारत के मुद्दे पर मोदी सरकार का रुख उजागर हुआ था। सुप्रीम कोर्ट में दायर इस याचिका में देश का नाम इंडिया के बजाय सिर्फ भारत किए जाने की मांग की गई थी। दिलचस्प बात यह है कि उस समय भी देश में मोदी सरकार ही पदारूढ़ थी और मोदी सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका का विरोध किया गया था। 2015 में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जवाब में कहा गया था कि देश का नाम इंडिया की जगह सिर्फ भारत किए जाने की कोई जरूरत ही नहीं है।
गृह मंत्रालय ने किया था याचिका का विरोध
केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका का विरोध किया गया था। गृह मंत्रालय का कहना था कि संविधान के प्रारूप को तय करने के दौरान संविधान सभा में देश के नाम को लेकर लंबी बहस हो चुकी है। गृह मंत्रालय ने कहा था कि काफी चर्चा के बाद संविधान के अनुच्छेद एक को सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 11 मार्च 2016 कोई इस याचिका को खारिज कर दिया था।
उस समय याचिका को खारिज करते हुए चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा था कि भारत और इंडिया दोनों में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अदालत का कहना था कि आपको भारत बुलाना हो तो बुलाएं मगर यदि कोई देश को इंडिया कहना चाहता है तो उसे इंडिया कहने दीजिए। इस पर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी करते हुए इस मामले में दखल देने से इनकार कर दिया था।
2020 में भी अदालत ने खारिज की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में चार साल बाद 2020 में भी देश का नाम इंडिया की जगह भारत किए जाने के संबंध में एक जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में भी मांग की गई थी कि देश का नाम बदलकर भारत किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि देश के संविधान में पहले से ही भारत और इंडिया दोनों नामों का उल्लेख है।
शीर्ष अदालत का कहना था कि इंडिया को संविधान में पहले से ही भारत कहा गया है। 2020 में तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि जब संविधान में दोनों नामों का उल्लेख है,तब इस याचिका का कोई मतलब नहीं है।
विपक्ष के एतराज पर पीएम मोदी का हमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मंत्रिपरिषद की बैठक के दौरान देश का नाम भारत किए जाने पर विपक्ष के एतराज पर आश्चर्य जताया। उन्होंने कहा कि सदियों से देश का नाम भारत है। ऐसे में विपक्ष की आपत्ति समझ से परे है। उन्होंने कहा कि समझ में नहीं आता कि विपक्ष को भारत नाम पर आपत्ति क्यों है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें संविधान इस देश को भारत कहने का अधिकार देता है।
उन्होंने विपक्ष को घेरते हुए कहा कि एक ओर विपक्ष के नेताओं को भारत शब्द पर आपत्ति है मगर दूसरी ओर विपक्ष को अपने नेता की सनातन धर्म को नष्ट करने की धमकी में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं लगता। पूरा देश विपक्ष के इस दोहरे मापदंड को देख रहा है और ऐसा बयान पूरी तरह से अस्वीकार्य है।