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Mokama Gangwar: मोकामा की राजनीति में अनंत सिंह की बढ़ती मुश्किलें, गैंगवार और सियासी मोर्चेबंदी ने बढ़ाया दबाव
Mokama Gangwar: बाहुबली नेता अनंत सिंह सोनू-मोनू गैंगवार के बाद घिरे, FIR दर्ज, सियासी विरोध बढ़ा।
Mokama Gangwar: बिहार के मोकामा में सियासी हलचल तेज है। यहां से चार बार विधायक रह चुके बाहुबली नेता अनंत सिंह इन दिनों फिर से सुर्खियों में हैं। सोनू-मोनू गैंगवार के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। एक तरफ उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है, तो दूसरी तरफ स्थानीय राजनीति में उनके खिलाफ मोर्चेबंदी तेज हो गई है। यह सब उस समय हो रहा है जब बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं।
अनंत सिंह का राजनैतिक सफर
मोकामा विधानसभा सीट, जो 1990 के बाद से ही राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रही है, अनंत सिंह की ताकत का केंद्र रही है। अनंत सिंह ने राजनीति में अपने भाई दिलीप सिंह की विरासत संभाली और 2005 में पहली बार इस सीट से विधायक बने। उसी साल दोबारा चुनाव में उन्होंने अपनी जीत दोहराई। तब से मोकामा की राजनीति में अनंत सिंह का दबदबा कायम रहा।
हालांकि, 2022 में अनंत सिंह को एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी पत्नी नीलम देवी को मैदान में उतारा गया, जिन्होंने मोकामा सीट पर जीत दर्ज की। पिछले साल अनंत सिंह को उस मामले में राहत मिल गई, और अब वे खुद चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में सोनू-मोनू गैंग ने अनंत सिंह के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया है। अनंत सिंह का आरोप है कि पुलिस इस गैंग का साथ दे रही है और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही। सोनू और मोनू पहली बार 2009 में सुर्खियों में आए थे और 2018 में अनंत सिंह को मारने की सुपारी तक लेने का मामला सामने आया था। हालांकि, बीते कुछ सालों में दोनों गुटों के बीच शांति बनी हुई थी, लेकिन अब तनाव ने नया रूप ले लिया है।
अनंत सिंह के खिलाफ सियासी मोर्चेबंदी
सोनू-मोनू गैंगवार ने अनंत सिंह की सियासी चुनौतियों को और बढ़ा दिया है। उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी, बाहुबली नेता सूरजभान सिंह और अशोक सम्राट, मोकामा में फिर से सक्रिय हो गए हैं। अनंत सिंह ने मोकामा की सीट सूरजभान सिंह से छीन ली थी, और तब से दोनों के बीच राजनीतिक दुश्मनी जगजाहिर है।
सूरजभान के अलावा, लोकसभा चुनाव में मदद न करने की वजह से अशोक सम्राट भी अब उनके खिलाफ सक्रिय हो गए हैं। अशोक सम्राट की पत्नी ने 2024 लोकसभा चुनाव में मुंगेर सीट से चुनाव लड़ा था। वहीं, सोनू-मोनू का स्थानीय नेटवर्क भी मजबूत है। उनकी बहन नेहा नौरंगा पंचायत की मुखिया रह चुकी हैं, और उनके परिवार के अन्य सदस्य भी स्थानीय राजनीति में सक्रिय हैं।
कमजोर पड़ रहा दबदबा
मोकामा की राजनीति में अनंत सिंह का प्रभाव अब धीरे-धीरे घट रहा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्हें 35,000 वोटों से जीत मिली थी, लेकिन 2022 के उपचुनाव में यह अंतर घटकर 16,000 रह गया। मोकामा में भूमिहार जाति बहुसंख्यक है, लेकिन कोइरी और दलित समुदायों का भी अच्छा-खासा प्रभाव है। कोइरी और दलित वोट अब अनंत सिंह के खिलाफ जाते दिख रहे हैं।
भविष्य की चुनौती
अनंत सिंह के सामने सियासी मोर्चेबंदी और गैंगवार के हालात ने नई चुनौती खड़ी कर दी है। सवाल यह है कि क्या वे आगामी चुनाव में फिर से अपना प्रभाव कायम रख पाएंगे, या फिर विरोधी खेमे की ये चालें उनके राजनीतिक भविष्य पर असर डालेंगी। मोकामा की राजनीति का यह मोड़ न केवल अनंत सिंह के लिए, बल्कि बिहार की सियासी दिशा के लिए भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।