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Chinese Manjha: बेहद मजबूत और धारदार होता है मोनोफिलामेंट उर्फ चाइनीज मांझा

Chinese Manjha: चाइनीज मांझा दरअसल एक सिंथेटिक फाइबर है, जिसका इस्तेमाल, चिकित्सीय टांका लगाने से लेकर मछली पकड़ने की डोरी, पेंट ब्रश, प्लास्टिक कवरिंग आदि ढेरों चीजों में किया जाता है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 19 Aug 2022 5:40 PM IST
Chinese Manjha
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चाइनीज मांझा (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

Chinese Manjha: पतंग की डोर यानी मांझा से लोगों के बुरी तरह घायल होने और मौत तक की खबरें अक्सर आती रहती हैं। लोग आबादी और ट्रैफिक वाली सड़कों के आसपास पतंग उड़ाते हैं और अगर कहीं मांझा रास्ते के आरपार किसी पेड़ या खंभे में फंस गया तो वह किसी भी राहगीर की गर्दन काट सकता है।

चीनी मांझा है क्या?

चाइनीज मांझा (chinese manjha) दरअसल एक सिंथेटिक फाइबर है जो अपने सख्त और प्लास्टिक टिकाऊपन के लिए कुख्यात है। इसका असली नाम मोनोफिलामेंट फाइबर (monofilament fiber) है और इसका इस्तेमाल, चिकित्सीय टांका लगाने से लेकर मछली पकड़ने की डोरी, पेंट ब्रश, प्लास्टिक कवरिंग आदि ढेरों चीजों में किया जाता है। पानी सप्लाई के लिए प्लास्टिक के सख्त पाइप में भी मोनोफिलामेंट की बुनाई होती है। भारत में मोनोफिलामेंट का उत्पादन होता है और चीन, जर्मनी और थाईलैंड से इसका आयात भी किया जाता है। सस्ता और मजबूत होने के कारण लोग इसे पतंग के मांझे के रूप में इस्तेमाल करते हैं। चूंकि मोनोफिलमेंट सस्ता पड़ता है शायद इसलिए उसके नाम के साथ चाइनीज़ मांझा शब्द जुड़ गया है।

मोनोफिलामेंट धागे इसलिए घातक होते हैं क्योंकि उन्हें तोड़ना बहुत कठिन होता है। वे पॉलिमर को पिघलाकर और मिक्सिंग करके बनाए जाते हैं। वैसे पतंगबाजी का पारंपरिक मांझा सूती धागे से बनता है जिसे गोंद या सरेस का लेप लगा कर मजबूती दी जाती है और कांच के चूरे का लेप लगा कर पैनापन दिया जाता है।

घातक क्यों

सूती पारंपरिक मांझा भी स्किन को काट सकता है लेकिन ये आसानी से टूट जाता है सो गंभीर चोट की संभावना कम होती है। लेकिन मोनोफिलामेंट धागे आसानी से टूटते नहीं हैं सो इनमें मनुष्यों और जानवरों को समान रूप से गंभीर घायल करने की क्षमता होती है।

सूती मांझा

सूती मांझा विशेषकर बरेली और उसके आसपास तथा मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में बनाया जाता है, जहां से इसे ज्यादातर ऑनलाइन बेचा जाता है। लखनऊ में भी 30 - 35 साल पहले पारंपरिक मांझा खूब बनता था। बरेली के मांझा को देश में सर्वश्रेष्ठ में से एक माना गया है। हाई क्वालिटी सूती धागे को गोंद, चावल के आटे और अन्य सामग्रियों में लपेटा जाता है ताकि इसे तेज किया जा सके। लेकिन तब भी यह जानवरों या मनुष्यों को घायल करने के लिए पर्याप्त मजबूत नहीं होता है। कुछ निर्माता, मांझे की धार बढ़ाने के लिए उसपर पाउडर ग्लास का लेप लगा देते हैं जिससे वे सख्त और पैने हो जाते हैं।

चीनी मांझा या मोनोफिलामेंट (monofilament fiber) की लोकप्रियता का मुख्य कारण इसकी कीमत है। यह सूती मांझे की लागत का एक तिहाई और कई गुना मजबूत होता है। मोनोफिलामेंट को बहुत मुश्किल से तोड़ा जा सकता है क्योंकि इसकी टेंसाइल स्ट्रेंथ बहुत ज्यादा होती है।

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (National Green Tribunal) ने पतंगबाज़ी में मोनोफिलामेंट के इस्तेमाल को 2017 में बैन कर दिया था। पतंग उड़ाने की अनुमति केवल एक सूती धागे के साथ दी जाती है। उसमें भी कांच या किसी अन्य लेप की इजाजत नहीं है।

आपकी जिम्मेदारी

पतंग उड़ाने वालों और पतंग का सामान बेचने वालों, दोनों की जिम्मेदारी बनती है कि वे मोनोफिलामेंट को मांझे की जगह इस्तेमाल न करें और न बेचें। पतंग एक प्राचीन और पारंपरिक चीज है उसे उसी स्वरूप में इस्तेमाल करें। प्लास्टिक का तार किसी के लिए भी जानलेवा साबित हो सकता है।



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Deepak Kumar

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