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भारत को झटका: आर्थिक पैकेज का नहीं कोई लाभ, इन कंपनियों ने बताया लुढ़केगी GDP

दुनिया के चर्चित रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस का मानना है कि इस आर्थिक पैकेज से कोविड-19 का नकारात्मक असर पूरी तरह खत्म नहीं होगा।

Aradhya Tripathi
Published on: 19 May 2020 5:51 PM IST
भारत को झटका: आर्थिक पैकेज का नहीं कोई लाभ, इन कंपनियों ने बताया लुढ़केगी GDP
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पूरा देश इस समय वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा है। आए दिन इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढती जा रही है। इस वायरस के चलते पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। इस जानलेवा वायरस के प्रकोप के चलते देश की अर्थव्यवस्था भी डगमगा गई है। देश की इकॉनोमी को मजबूत करने के लिए सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। जिसके चलते सरकार ने अभी हाल ही में 20लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का एलान किया था। जिसका विवरण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार 5 दिन में प्रेस कांफ्रेंस करके दिया। लेकिन इस आर्थिक पैकेज की घोषणा की बाद भी मूडीज सहित दुनिया की कुछ बढ़ी रेटिंग एजेंसीयों का कहना है कि इस पैकेज के बावजूद देश की आर्थिक व्यवस्था पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा।

पूरी तरह से नहीं खत्म होगा असर- मूडीज

इतने बड़े आर्थिक पैकेज की घोषणा के बाद सरकार सहित सभी को ये उम्मीद है कि देश की आर्थिक व्यवस्था पर इस पैकेज का कुछ पॉजिटिव असर पड़ेगा। और अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। लेकिन दुनिया के चर्चित रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस का मानना है कि इस आर्थिक पैकेज से कोविड-19 का नकारात्मक असर पूरी तरह खत्म नहीं होगा। सिर्फ मूडीज ही नहीं अमेरिका की ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन साक्स का मानना है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत की गिरावट होगी। अगर ऐसा हुआ तो ये भारत का एक वर्ष का सबसे खराब प्रदर्शन होगा।

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मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कहा कि सरकार द्वारा हाल में घोषित 20 लाख रुपये के आर्थिक पैकेज से वित्तीय संस्थानों के लिए परिसंपत्तियों के जोखिम में कमी आएगी, लेकिन कोविड-19 का नकारात्मक असर पूरी तरह खत्म नहीं होगा। एजेंसी की ओर से कहा गया, '' सरकार के उपायों से वित्तीय क्षेत्र के लिए परिसंपत्तियों के जोखिम को कम करने में मदद मिलेगी, लेकिन वे कोरोना वायरस महामारी के नकारात्मक प्रभावों को पूरी तरह दूर नहीं कर पाएंगे।

5% गिरेगी जीडीपी- गोल्ड साक्स

एमएसएमई पैकेज के बारे में मूडीज ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रकोप से पहले ही यह क्षेत्र तनाव में था और आर्थिक विकास में मंदी गहराने के साथ ही नकदी की चिंताएं बढ़ जाएंगी। वहीं मूडीज ने नॉन बैंकिंग कंपनियों के लिए इस पैकेज को पर्याप्त नहीं बताया। मूदिज ने कहा कि नॉन बैंकिंग कंपनियों के लिए ये मदद कंपनियों की तात्कालिक मदद की तुलना में काफी कम है। दूसरी ओर अमेरिका की ब्रोकरेज कंपनी गोल्डमैन साक्स ने आर्थिक मोर्चे पर भारत का प्रदर्शन किसी एक वर्ष का सबसे खराब बताया। गोल्डमैन साक्स के अनुसार पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी- मार्च) तिमाही के मुकाबले भारत की जीडीपी में 45 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियों के लगातार बंद रहने की वजह से यह स्थिति बनी है।

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गोल्ड साक्स का मानना है कि लॉकडाउन के बाद कामकाज शुरू होने पर जीडीपी में सुधार आयेगा। गौरतलब है कि गोल्ड साक्स ने इससे पहले 0.4 प्रतिशत गिरावट आने का अनुमान लगाया था। जिसे बाद में उसने और बढ़ा कर पांच प्रतिशत कर दिया। मूडीज और गोल्ड माक्स की भांति ही एक अन्य रेटिंग एजेंसी फिच सॉल्यूशंस का भी मानना है कि कोरोना वायरस के संकट से उबरने के लिए भारत सरकार द्वारा घोषित किया गया ये पैकेज सक्षम नहीं है। फिच सॉल्यूशंस के मुताबिक पैकेज के तहत दिया गया वास्तविक राजकोषीय प्रोत्साहन जीडीपी का सिर्फ एक प्रतिशत है। जबकि दावा किया गया है कि ये जीडीपी का 10 प्रतिशत है। बता दें कि कई एजेंसियां भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आने का अनुमान लगा रही हैं।



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Aradhya Tripathi

Aradhya Tripathi

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