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Youngest Serial Killer Story: भारत का सबसे छोटी उम्र का सीरीअल किलर जिसे खून करने में मजा आता था

Youngest Serial Killer Ki Kahani: अमरजीत ने अपने पहले अपराध में 6 महीने की चचेरी बहन की हत्या की

AKshita Pidiha
Written By AKshita Pidiha
Published on: 2 Jan 2025 11:43 AM IST
India Most Dangerous Youngest Serial Killer Amarjeet Sada
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India Most Dangerous Youngest Serial Killer Amarjeet Sada (Photo - Social Media)

Youngest Serial Killer Amarjeet Sada: कभी शायद आपने सोचा भी नहीं होगा कि भारत में गुनाह करने वालों में एक बच्चा भी शामिल था। उसका जुर्म था चोरी या मार -पीट करना नहीं बल्कि हत्या करना। भारत के सबसे कम उम्र के सीरियल किलर के रूप में अमरजीत सदा का नाम सामने आता है। अमरजीत बिहार के बेगूसराय जिले का रहने वाला था।वह केवल 8 वर्ष की उम्र में ही अपने सीरियल किलिंग अपराधों के लिए कुख्यात हो गया।

अमरजीत सदा का जीवन और अपराध-

अमरजीत बेहद गरीब परिवार से था। उसका पालन-पोषण ग्रामीण परिवेश में हुआ।उसका परिवार उसकी अजीब और हिंसक प्रवृत्तियों के बारे में जानता था।लेकिन उसे मानसिक बीमारी मानकर नजरअंदाज करता रहा।अमरजीत सदा सिर्फ 8 साल का था जब पुलिस ने उसे सीरियल किलिंग में पकड़ा।


महज 8 साल की उम्र में उसने तीन हत्याएं की थीं। बिहार के बेगूसराय के मुशहरी गांव में पैदा हुआ अमरजीत सदा आज पूरी दुनिया में सबसे छोटे सीरियल किलर के तौर पर जाना जाता है।अमरजीत सदा का जन्म 1998 में हुआ था। वहीं 2007 में पुलिस ने उसे तीन हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया था।

अपराधों की शुरुआत-

अमरजीत ने अपने पहले अपराध में 6 महीने की चचेरी बहन की हत्या की.


इसके बाद उसने अपनी ही 8 महीने की बहन को मार डाला।परिवार ने ये हत्याएँ छिपा दीं क्योंकि वे सामाजिक बदनामी और कानून के डर से चुप रहे।

तीसरा और अंतिम अपराध-

अमरजीत ने 2007 में अपने गाँव की पड़ोसी की 6 महीने की बेटी की हत्या की। उसने बच्ची को पास के एक खेत में ले जाकर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और लाश को छिपाने की कोशिश की।


इस बार अपराध को छुपाना संभव नहीं हुआ और अमरजीत को पुलिस ने पकड़ लिया।

मनःस्थिति और मानसिक स्थिति-

गिरफ्तारी के दौरान, अमरजीत ने अपने अपराधों को कोई पछतावा दिखाए बिना स्वीकार कर लिया।मनोवैज्ञानिकों ने उसकी मानसिक स्थिति की जाँच की और उसे "कंडक्ट डिसऑर्डर" (Conduct Disorder) का मामला बताया।यह एक मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति भावनाओं और सहानुभूति की कमी के साथ हिंसक प्रवृत्ति दिखाता है।

कैसे सामने आया यह मामला -

साल 2007 में, पुलिस एक गुमशुदा बच्ची की तलाश में मुशहरी गांव पहुंची। बच्ची के माता-पिता ने अपने पड़ोसी के लगभग 8 साल के बेटे, अमरजीत सदा पर शक जताया।


शुरुआत में पुलिस को उनकी बात पर यकीन नहीं हुआ। उन्हें लगा कि बच्ची के माता-पिता किसी पुरानी रंजिश के चलते पड़ोसी को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, पुलिस का शक भी उसी बच्चे की ओर गहराने लगा। इसके बाद पुलिस ने अमरजीत को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की।

कानूनी स्थिति और सजा-

भारत में किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) के अनुसार, 18 साल से कम उम्र के बच्चों को वयस्क अपराधियों की तरह सजा नहीं दी जा सकती।अमरजीत को एक सुधार गृह में भेजा गया, जहाँ वह 18 वर्ष की उम्र तक रखा गया।

कुबुला अपना जुर्म -

आठ साल का अमरजीत सदा पुलिस के सामने बिल्कुल शांत और निश्चिंत बैठा था। जब पुलिस ने उससे पूछा कि गुमशुदा बच्ची कहां है, तो उसने बेफिक्री से कहा, "पहले बिस्किट दो, फिर बताऊंगा।" बिस्किट मिलने के बाद उसने पुलिस के सामने सब कुछ खुलकर बताया।


उसने कहा कि सबसे पहले उसने अपनी सबसे छोटी बहन को मारा और फिर उसके शव को एक गड्ढे में दफना दिया। उसके माता-पिता ने इस घटना को गांववालों से छिपा लिया। इसके बाद उसने दो और बच्चियों की हत्या कर उन्हें भी गड्ढे में दफना दिया।

वर्तमान स्थिति-

अमरजीत के बारे में 18 साल के बाद की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है।उसके जीवन और भविष्य के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं दी गई, क्योंकि किशोर अपराधियों की पहचान गोपनीय रखी जाती है।

विशेष तथ्य-

अमरजीत सदा को दुनिया का सबसे कम उम्र का सीरियल किलर भी माना जाता है।यह मामला समाज, पारिवारिक उपेक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता की कमी का एक गंभीर उदाहरण है।

मामले पर जांच करने वाले इंस्पेक्टर ने बताया था कि सभी हत्याओं का तरीका एक समान था। जिस उम्र में अमरजीत सदा ने हत्याएं की, उसपर कुछ मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि सदा को दूसरों को दुख पहुंचाने, चोट पहुंचाने से खुशी मिलती थी। वहीं एक अन्य ने कहा कि सदा को सही या गलत की कोई समझ नहीं थी क्योंकि उसकी उम्र काफी कम थी।


अमरजीत सदा, जिसे भारत का सबसे कम उम्र का सीरियल किलर माना जाता है, ने 2007 में अपने अपराधों के कारण सुर्खियाँ बटोरीं। वह उस समय केवल 8 साल का था और अपने तीन हत्याओं को स्वीकार कर चुका था। हालांकि, उसके भविष्य और वर्तमान जीवन के बारे में जानकारी सीमित और अस्पष्ट है, क्योंकि भारत में किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) के तहत नाबालिग अपराधियों की पहचान और उनके पुनर्वास की प्रक्रिया गोपनीय रखी जाती है।

अमरजीत सदा का आगे क्या हुआ

अमरजीत को बिहार के एक किशोर सुधार गृह में भेजा गया था।वहाँ उसे परामर्श और पुनर्वास सेवाएँ प्रदान की गईं।भारत के कानून के अनुसार, कोई भी नाबालिग अपराधी 18 वर्ष से अधिक समय तक सुधार गृह में नहीं रह सकता।18 साल का होने के बाद अमरजीत को सुधार प्रक्रिया पूरी करने पर रिहा कर दिया गया होगा।उसकी रिहाई के बाद, उसकी पहचान को गुप्त रखा गया होगा ताकि वह सामान्य जीवन जी सके।

मनोवैज्ञानिक स्थिति-

अमरजीत की मानसिक स्थिति का इलाज किया गया, क्योंकि मनोवैज्ञानिकों ने उसे ‘कंडक्ट डिसऑर्डर’ ( Conduct Disorder) और ‘एंटीसोशल पर्सनालिटी डिसऑर्डर’ से पीड़ित पाया था।इन मानसिक विकारों का इलाज लंबी अवधि का होता है, यह पूरी तरह से ठीक होना मुश्किल हो सकता है।


कानून के तहत, सरकार और सामाजिक संगठनों का यह दायित्व है कि वे ऐसे किशोर अपराधियों का पुनर्वास सुनिश्चित करें।अमरजीत की रिहाई के बाद उसे नई पहचान और स्थान प्रदान किया गया होगा।

वर्तमान स्थिति पर जानकारी क्यों उपलब्ध नहीं है

किशोर अपराधियों के मामले में उनकी पहचान सार्वजनिक करने पर प्रतिबंध है। यह कानून उन्हें भविष्य में एक नई शुरुआत का मौका देता है।अमरजीत की रिहाई या उसके वर्तमान जीवन पर कोई ठोस मीडिया रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है।

सामाजिक और कानूनी दृष्टिकोण

अमरजीत का मामला यह सवाल उठाता है कि ऐसे गंभीर अपराधों में शामिल बच्चों का पुनर्वास और समाज में उनकी वापसी कैसे होनी चाहिए। ऐसे बच्चों को विशेष देखभाल और लंबे समय तक मानसिक स्वास्थ्य उपचार की आवश्यकता होती है। इन बच्चों को समाज में फिर से शामिल करने के लिए परिवार और समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

अमरजीत सदा की कहानी भारत में मानसिक स्वास्थ्य, बाल अपराध और पुनर्वास प्रणाली की चुनौतियों को उजागर करती है। उसकी वर्तमान स्थिति के बारे में कोई पुख्ता जानकारी उपलब्ध नहीं है। लेकिन उम्मीद की जाती है कि उसे उचित पुनर्वास और देखभाल प्रदान की गई होगी ताकि वह एक सामान्य जीवन जी सके।



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