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संत मदर टेरेसा की नीली बार्डर वाली साड़ी बनी 'इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी'
संत की उपाधि से सम्मानित 'मदर टेरेसा' की मशहूर नीले बार्डर वाली साड़ी को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की 'इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी' के तौर पर मान्यता दी गई है।
नई दिल्ली: संत की उपाधि से सम्मानित 'मदर टेरेसा' की मशहूर नीले बार्डर वाली साड़ी को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की 'इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी' के तौर पर मान्यता दी गई है। मदर की साड़ियों पर दिखने वाली नीली-सफेद पट्टियों वाला पैटर्न रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क बन गया है।
गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ट्रेडमार्क्स रजिस्ट्री में इसे जगह दी गई है। अब बगैर इजाजत इस पैटर्न का इस्तेमाल करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। गौरतलब है कि यह पहला मौका है जब किसी परिधान को ऐसी मान्यता दी गई हो।
चैरिटी का मानना है कि दुनियाभर में इस डिजाइन के गलत और अनुचित इस्तेमाल को देखकर इस व्यापार चिह्न को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने की कोशिश के तहत यह कदम उठाया गया है।
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स्टेशनरी आइटम्स पर भी नहीं कर सकेंगे इस्तेमाल
अब स्टेशनरी आइटमों में भी इन पट्टियों के इस्तेमाल के लिए इजाजत लेनी होगी। स्टेशनरी आइटमों और टेक्स्टाइल्स पर इस पैटर्न के इस्तेमाल की इजाजत के लिए 12 दिसंबर, 2013 को एक अर्जी दाखिल की गई थी। सामाजिक व परोपकारी सेवाओं के तहत इस पैटर्न को 30 नवंबर, 2015 को ट्रेडमार्क बनाया गया, जबकि स्टेशनरी व टेक्सटाइल्स के लिए 4 सितंबर, 2016 को।
04 सितंबर 2016 को मिली थी मान्यता
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी के वकील बिस्वजीत सरकार ने कहा, 'भारत सरकार की व्यापार चिह्न रजिस्ट्री ने नीले बार्डर की साड़ी के पैटर्न के लिये व्यापार चिह्न का पंजीकरण मंजूर कर दिया है।' सरकार ने बताया, 'नीले बार्डर की डिजाइन वाली साड़ी मिशनरीज ऑफ चैरिटी की नन पहना करती थीं, जिसे चार सितंबर 2016 को मदर को सम्मानित किये जाने के दिन संगठन के लिये इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी के तौर पर मान्यता दी गई।'
हो रहा था अनुचित इस्तेमाल
मदर टेरेसा को संत की उपाधि से सम्मानित किये जाने के अवसर पर भारत सरकार ने रविवार होने के बावजूद उसी दिन इस व्यापार चिहन रजिस्ट्रेशन को मंजूरी दी थी। सरकार ने कहा, 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी प्रचार में यकीन नहीं करता और इसलिए इसे प्रचारित नहीं किया गया। लेकिन दुनियाभर में इस डिजाइन के गलत और अनुचित इस्तेमाल देखकर हम लोग इस व्यापार चिह्न को लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।'
नन भी रहीं मदर टेरेसा
अल्बानियाई मूल की मदर टेरेसा थोड़े समय के लिये नन भी रहीं। साल 1948 से वह कोलकाता की सड़कों पर गरीबों एवं निसहायों की सेवा करने लगीं। नीले बार्डर वाली सफेद रंग की साड़ी उनकी पहचान बन गई थी, जिसका बाहरी किनारा दो अंदरूनी किनारों से अधिक चौड़ा होता था।
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