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Moti Mahal vs Daryaganj: मोती महल बनाम दरियागंज: किसने ईजाद किया बटर चिकन?

Moti Mahal vs Daryaganj: दिल्ली हाई कोर्ट के सामने एक मुश्किल सवाल आया है – बटर चिकन और दाल मखनी को किसने ईजाद किया था? इस सवाल पर दिल्ली के दो रेस्तरां मोती महल और दरियागंज आमने सामने हैं। हाईकोर्ट इस मसले को सुलझाने के लिए तैयार भी है और इस विवाद पर फैसला सुनाएगा।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 25 Jan 2024 11:21 AM GMT
Moti Mahal vs Daryaganj: Who invented butter chicken, case in Delhi High Court
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 मोती महल बनाम दरियागंज: किसने ईजाद किया बटर चिकन, मामला दिल्ली हाई कोर्ट में: Photo- Social Media

Moti Mahal vs Daryaganj: दिल्ली हाई कोर्ट के सामने एक मुश्किल सवाल आया है – बटर चिकन और दाल मखनी को किसने ईजाद किया था? इस सवाल पर दिल्ली के दो रेस्तरां मोती महल और दरियागंज आमने सामने हैं। हाईकोर्ट इस मसले को सुलझाने के लिए तैयार भी है और इस विवाद पर फैसला सुनाएगा।

अलग अलग दावे

दिल्ली स्थित रेस्तरां चेन, मोती महल ने लंबे समय से दावा किया है कि इसके दिवंगत संस्थापक, कुंदन लाल गुजराल (1902-97) ने बटर चिकन और दाल मखनी का आविष्कार किया था। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से लेकर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तक को अपने मेहमानों में गिनवाने वाले मोती महल का कहना है कि रेस्तरां के संस्थापक कुंदन लाल गुजराल ने 1930 के दशक में यह डिश तैयार की थी, जब पेशावर में रेस्तरां की शुरुआत हुई थी। वह विभाजन के बाद पेशावर के मोती महल रेस्तरां से ये व्यंजन भारत लाए थे।

दूसरी तरफ हाल ही में, ‘दरियागंज’ रेस्तरां ने भी खुद को दोनों व्यंजनों के "आविष्कारक" के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया। इसके मालिकों ने दावा किया कि यह उनके पूर्वज कुंदन लाल जग्गी (1924-2018) ने दोनों व्यंजनों का आविष्कार किया था। दरियागंज रेस्तरां ने अदालत में पेश 2,752 पेज की अपनी अपील में कहा है कि बटर चिकन उनकी बनाई डिश है। दरियागंज ने दाल मखनी पर भी दावा किया है।

क्या हैं दलीलें?

दोनों रेस्तराओं का झगड़ा सिर्फ दल मखनी और बटर चिकन को लेकर नहीं है। मोती महल के मालिक गुजराल परिवार ने आरोप लगाया है कि दरियागंज रेस्तरां ने उनकी वेबसाइट और रेस्तराओं का लोगो, डिजाइन चुरा लिया है। गुजराल परिवार ने अदालत से एक करोड़ रुपये हर्जाना दिलवाने की मांग की है। मोती महल के मैनेजिंग डायरेक्टर मोनीश गुजराल का कहना है कि आप किसी की विरासत नहीं ले सकते।

इस डिश को हमारे दादा ने पाकिस्तान में ईजाद किया था। मोती महल के मुकदमे में ट्रेडमार्क उल्लंघन और उसे चुराने का आरोप भी लगाया गया है और दरियागंज के खिलाफ एक अस्थायी निषेधाज्ञा की मांग की गई है। मोती महल के मालिकों ने तर्क दिया है कि दरियागंज न केवल जनता को गुमराह कर रहा है कि बटर चिकन का आविष्कार किसने किया, बल्कि उसने अपनी वेबसाइट पर पेशावर रेस्तरां की एक छेड़छाड़ की गई तस्वीर का भी गलत इस्तेमाल किया है।

दरियागंज की स्थापना 2019 में हुई थी। इस रेस्तरां का दावा है कि उनके एक बुजुर्ग कुंदन लाल जग्गी ने 1947 में मोती महल के कुंदन लाल गुजराल के साथ मिलकर दिल्ली में रेस्तरां खोला था और डिश वहां ईजाद हुई थी। इस आधार पर वे डिश की रेसिपी पर अपना दावा करते हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट में मुकदमे की पहली सुनवाई पिछले हफ्ते हुई थी और अगली सुनवाई मई में होगी। वैसे, इस मसले पर फैसला देना काफी कठिन होगा कि असल में डिश सबसे पहले किसने बनाई थी।

Shashi kant gautam

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