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पर्वतारोही संतोष यादव छठ करने पहुंचीं ससुराल, बनीं आकर्षण का केंद्र

aman
By aman
Published on: 26 Oct 2017 12:53 PM GMT
पर्वतारोही संतोष यादव छठ करने पहुंचीं ससुराल, बनीं आकर्षण का केंद्र
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पर्वतारोही संतोष यादव छठ करने पहुंचीं ससुराल, बनीं आकर्षण का केंद्र

मनोज पाठक

मुंगेर: छठ महापर्व के मौके पर कई परदेसी अपने प्रदेश व गांव आकर छठ करते हैं, लेकिन पद्मश्री सम्मान से सम्मानित और माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर भारतीय ध्वज फहराने वाली हरियाणा की बेटी और बिहार की बहू पर्वतारोही संतोष यादव इस साल अपने ससुराल में आकर छठ कर रही हैं। ऐसे में वे यहां आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।

वैसे, यह कोई पहली बार नहीं है कि संतोष यादव सूर्योपासना के इस महापर्व में खुद उपवास कर व्रतधारी बनी हैं। वह लगातार चौथे साल छठ करने अपने ससुराल बिहार के मुंगेर पहुंची हैं।

पर्वतारोही संतोष यादव ने बताया, कि 'आज जरूरत है अपनी संस्कृति को संजोए रखने की, जिसकी प्रेरणा हमें पर्व या उत्सवों से ही मिलती है। सही तौर पर देखा जाए तो हमारे जितने भी पर्व और उत्सव हैं, सभी पूर्ण रूप से वैज्ञानिक तौर पर फिट हैं। ये पर्व न केवल हमें उत्साहित करते हैं, बल्कि नियम से भी जोड़ते हैं।' उन्होंने छठ का उदाहरण देते हुए कहा, कि इस पूजा में जहां भगवान भास्कर की अराधना की जाती है, साथ ही साथ यह पर्व पर्यावरण सुरक्षित रखने का संदेश भी देता है।

संतोष ने कहा, 'संस्कृति, प्रति और पर्यावरण से विज्ञान का क्षेत्र हो या सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक सभी संतुलित रूप से काम करेंगे। हमारे देश में जितने भी पर्व हैं, सभी के नियम के दायरे में है जो हमारी मानसिकता को सुरक्षित रखने के लिए प्रेरित करते हैं।'

छठ पर्व के प्रति आकर्षण के विषय में पूछे जाने पर संतोष यादव ने कहा, 'वैसे तो मैं 1991 से लगातार छठ के मौके पर दिल्ली में अर्घ्य अर्पण करती रही हूं, लेकिन वर्ष 2014 में सासू मां ने मुझे अपने परिवार के लिए छठ करने की जिम्मेदारी दी, तभी से मैं हर साल मुंगेर आकर छठ कर रही हूं।'

मुंगेर के गुलजार पोखर निवासी उत्तम की जीवनसंगिनी संतोष का कहना है कि बिहार में ससुराल होने के बाद बिहार की संस्कृति और यहां के परंपराओं से भी एक अटूट रिश्ता बन गया है। उनका कहना है कि इस रिश्ते के बाद छठ पर्व को उन्हें करीब से जानने और समझने का भी मौका मिला। उनका कहना है कि प्रारंभ से ही छठ के प्रति उनका आध्यात्मिक झुकाव रहा है और इस पर्व की पवित्रता व लोगों में निष्ठा को देखकर वह काफी प्रभावित रही हैं, लेकिन यहां आने के बाद छठ को और नजदीक से जानने बाद इस पर्व के प्रति उनकी श्रद्धा और बढ़ गई।

यादव ने छठ को समर्पण भाव का पर्व बताते हुए कहती हैं, इस पर्व के जरिए भगवान सूर्यदेव हमें इतनी मानसिक और शारीरिक क्षमता, शक्ति देते हैं कि इस अनुष्ठान में कोई भूल नहीं हो पाती।

हरियाणा के रेवड़ी जिले के जोनियावास गांव में पैदा हुई संतोष यादव कहती हैं कि बिहार की संस्कृति काफी परिपूर्ण है। उनका कहना है कि छठ को अब अन्य देशों और शहरों में पहुंचाने की जरूरत है। संतोष यहां गंगा तट के कष्टहरिणी घाट पर सूयरेपासना करेंगी और भगवान भास्कर को अघ्र्य देंगी।

आईएएनएस

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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