MP Election 2023: मध्य प्रदेश की 159 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में कड़ी टक्कर, 71 सीटों पर दूसरे उम्मीदवारों ने फंसा रखा है पेंच

MP Election 2023: मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन चुका है। कांग्रेस 2020 में पार्टी में तोड़फोड़ करके भाजपा की सरकार बनाए जाने का सियासी बदला लेना चाहती है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 5 Nov 2023 7:05 AM GMT
MP Election 2023 Fight between BJP and Congress
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MP Election 2023 Fight between BJP and Congress (Photo: Social Media)

MP Election 2023: मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में इस बार पिछले चुनाव की तरह कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ा मुकाबला दिख रहा है। राज्य में विधानसभा की 230 सीटें हैं और इनमें से 159 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है। दोनों दलों ने चुनावी बाजी जीतने के लिए इन सीटों पर पूरी ताकत लगा रखी है।

राज्य की 71 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर दूसरे दलों के प्रत्याशियों और निर्दलीयों ने भी पेंच फंसा रखा है। इस कारण इन सीटों पर त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला दिख रहा है। जिन सीटों पर सीधा मुकाबला हो रहा है, वहां तो बढ़त का कुछ अंदाजा जरूर लग रहा है मगर जिन सीटों पर दूसरे प्रत्याशियों ने भी पेंच फंसा रखा है, उन सीटों पर सियासी धुरंधर भी चुनावी आकलन नहीं कर पा रहे हैं।

भाजपा और कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा की जंग

मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा की जंग बन चुका है। कांग्रेस 2020 में पार्टी में तोड़फोड़ करके भाजपा की सरकार बनाए जाने का सियासी बदला लेना चाहती है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की अगुवाई में पार्टी ने विभिन्न चुनाव क्षेत्र में भाजपा को पटखनी देकर चुनावी बाजी जीतने की रणनीति बनाई है।

दूसरी ओर भाजपा ने मध्य प्रदेश की चुनावी बाजी जीतने के लिए कई केंद्रीय नेताओं को भी चुनावी अखाड़े में उतार दिया है। भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से उठाए गए इस कदम से साफ हो गया है कि पार्टी किसी भी सूरत में मध्य प्रदेश को अपने हाथ से नहीं निकलने देना चाहती।

कई क्षेत्रों में त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय मुकाबला

मध्य प्रदेश में नाम वापसी के बाद अब चुनावी तस्वीर साफ होती दिख रही है। इस बार के विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी के पक्ष में कोई लहर जैसी स्थिति नहीं दिख रही है। इस कारण चुनावी मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है। विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में प्रत्याशियों की व्यक्तिगत पकड़,पार्टी संगठन की मजबूती,जातीय समीकरण और चुनाव प्रचार की रणनीति की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। यही कारण है कि अभी तक सियासी जानकारी भी चुनावी बयार के बारे में कुछ खुलकर नहीं कह पा रहे हैं।

जिन इलाकों में भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला हो रहा है,उन इलाकों में तो बढ़त की स्थिति का कुछ अंदाजा जरूर लग रहा है मगर त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय मुकाबले वाले विधानसभा क्षेत्रों में पेंच फंसा हुआ है। इस कारण इन इलाकों में चुनावी बयार का अंदाजा लगाना मुश्किल साबित हो रहा है।

इन दलों ने फंसा रखा है पेंच

मध्य प्रदेश में इस बार बसपा ने गोंगपा के साथ चुनावी गठबंधन कर रखा है। राज्य के कई चुनाव क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर इस गठबंधन के प्रत्याशी भाजपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत बने हुए हैं। इसके साथ ही कई चुनाव क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठजोड़ न हो पाने का असर भी दिख रहा है। जानकारों का कहना है कि राज्य की करीब 41 विधानसभा सीटों पर बसपा-गोंगपा गठबंधन और सपा प्रत्याशियों ने भाजपा और कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ रखा है।

इसके अलावा आम आदमी पार्टी, जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) और कुछ दूसरे दलों ने भी सपा और भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं। भाजपा और कांग्रेस की ओर से टिकट न मिलने के बाद राज्य की तमाम सीटों पर इन दोनों दलों के बागी प्रत्याशी भी निर्दलीय नामांकन करके चुनावी अखाड़े में कूद चुके हैं। सियासी जानकारी का कहना है कि राज्य की 24 विधानसभा सीटों पर इन बागी प्रत्याशियों ने भी भाजपा और कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगाने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रखी है।

महाकौशल क्षेत्र की सबसे ज्यादा सीटों पर असर

मध्य प्रदेश में महाकौशल क्षेत्र की सबसे ज्यादा 20 विधानसभा सीटों पर त्रिकोणीय या चतुष्कोणीय मुकाबला हो रहा है। बुंदेलखंड और ग्वालियर चंबल की 13-13, बघेलखंड की 12, मालवा-निमाड़ की सात और भोपाल-नर्मदापुरम की 5 सीटों पर दूसरे दलों के प्रत्याशियों ने भाजपा और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं।

राज्य की 24 विधानसभा सीटों पर बसपा-गोंगपा गठबंधन, 12 सीटों पर सपा और 27 सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के बागी प्रत्याशी समीकरण बिगाड़ने हुए नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही आप,एआईएमआईएम और जयस ने भी कुछ चुनाव क्षेत्रों में भाजपा और कांग्रेस की चिंता बढ़ा रखी है।

आम आदमी पार्टी ने सिंगरौली सेट को प्रतिष्ठा की सीट बना लिया है। इस सीट पर पार्टी ने सिंगरौली की मेयर रानी अग्रवाल को चुनावी अखाड़े में उतारा है। इसके साथ ही पार्टी ने दो सीटों पर भाजपा के बागी प्रत्याशियों को टिकट देकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

Viren Singh

Viren Singh

पत्रकारिता क्षेत्र में काम करते हुए 4 साल से अधिक समय हो गया है। इस दौरान टीवी व एजेंसी की पत्रकारिता का अनुभव लेते हुए अब डिजिटल मीडिया में काम कर रहा हूँ। वैसे तो सुई से लेकर हवाई जहाज की खबरें लिख सकता हूं। लेकिन राजनीति, खेल और बिजनेस को कवर करना अच्छा लगता है। वर्तमान में Newstrack.com से जुड़ा हूं और यहां पर व्यापार जगत की खबरें कवर करता हूं। मैंने पत्रकारिता की पढ़ाई मध्य प्रदेश के माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्विविद्यालय से की है, यहां से मास्टर किया है।

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