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MUDA Case : कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की बढ़ी मुश्किलें, अब ईडी ने दर्ज किया केस
MUDA Case : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
MUDA Case : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने सीएम और अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। यह कार्रवाई मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ लोकायुक्त द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुख्यमंत्री और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है। बता दें कि बेंगलुरू की विशेष अदालत ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ MUDA मामले में लोकायुक्त पुलिस को जांच करने का आदेश दिया था। इसके बाद लोकायुक्त पुलिस ने 27 दिसंबर को एफआईआर दर्ज की थी, इसमें सीएम, उनकी पत्नी बी एम पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू का नाम शामिल है। देवराजू उस भूमि का स्वामी था, जिनसे सीएम के साले मल्लिकार्जन स्वामी ने भूमि खरीदकर अपनी बहन पार्वती को उपहार में दिया था।
राज्यपाल ने दिए थे जांच के आदेश
इससे पहले कर्नाटक हाईकोर्ट ने सीएम सिद्धारमैया की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें MUDA भूमि घोटाले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल की मंजूरी की वैधता को चुनौती दी गई थी। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने तीन कार्यकर्ताओं की याचिकाओं के बाद उनके खिलाफ जांच को मंजूरी दी थी। याचिकाकर्ताओं ने MUDA द्वारा एक प्रमुख इलाके में सिद्धारमैया की पत्नी को 14 भूखंडों के आवंटन में अनियमितताओं का आरोप लगाया था।
गौरतलब है कि MUDA घोटाला मामले की याचिकाकर्ता और आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने सिद्धारमैया को मुख्य आरोपी, उनकी पत्नी पार्वती को दूसरा आरोपी, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी को तीसरा और भूमि मालिक देवराजू को चौथा आरोपी बनाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।
क्या है MUDA घोटाला?
बता दें कि इस विवाद का केंद्र बिंदु 3.2 एकड़ भूमि है, जिसे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुनस्वामी ने 2010 में उपहार में दिया था। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा भूमि अधिग्रहण करने के बाद सीएम की पत्नी ने मुआवजे का अनुरोध किया था, इसके परिणामस्वरूप उन्हें 14 भूखंड आवंटित कर दिए गए। उन पर आरोप है कि इन भूखंडों का मूल्य मूल भूमि की तुलना में काफी ज्यादा है। विपक्षी दलों ने 3 से 4 हजार करोड़ रुपए घोटाले का आरोप लगाया है।