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Mukherjee Nagar: किचन तक में रहने को मजबूर, 'माचिस की डिब्बी' जैसा इलाका...जहां से निकले हैं कई बड़े नौकरशाह

Mukherjee Nagar : दिल्ली के इस हिस्से के कई भवन ऐसे हैं जहां घुप्प अंधेरा रहता है। सीढ़ियां संकरी हैं, जहां दिन में भी अंधेरा रहता है। किचन तक में रहकर स्टूडेंट्स प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।

Aman Kumar Singh
Published on: 15 Jun 2023 2:03 PM GMT (Updated on: 15 Jun 2023 3:18 PM GMT)
Mukherjee Nagar: किचन तक में रहने को मजबूर, माचिस की डिब्बी जैसा इलाका...जहां से निकले हैं कई बड़े नौकरशाह
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आग लगने के बाद कोचिंग सेंटर से बाहर निकलते स्टूडेंट्स (Social Media)

Mukherjee Nagar : दिल्ली का मुखर्जी नगर राष्ट्रीय राजधानी के पॉश इलाकों में आता है। मुखर्जी नगर की पहचान देश के 'कोचिंग हब' के रूप में है। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की तैयारी करने वाले प्रतियोगी बहुतायत यहां मिल जाएंगे। यूपीएससी ही नहीं राज्यों में आयोजित होने वाले अन्य सिविल सर्विसेज एग्जाम, एसएससी सहित अन्य परीक्षाओं की तैयारी के लिए देश भर से स्टूडेंट्स यहां आते हैं। यहीं के एक कोचिंग में गुरुवार (15 जून) को भीषण आग लग गई। समाचार चैनलों ने इसके फुटेज दिखाए। कैसे छात्र रस्सी के सहारे बहुमंजिला इमारत से नीचे उतर रहे थे। जब तक रेस्क्यू चला हजारों बच्चों के अभिभावक की जान सांसत में रही।

दिल्ली के वीआईपी या वीवीआईपी इलाकों को छोड़ दें तो मुखर्जी नगर भी अन्य हिस्सों की तरह संकुचित है। घर पास-पास हैं। ऐसे में जब भूकंप या आग लगने जैसी घटनाएं होती है तो दहशत की व्यापकता को आप सहज ही समझ सकते हैं। यहां कई भवनों में छोटे-बड़े कोचिंग संचालित होते हैं। इसी वजह से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स भी कोचिंग के करीब ही कमरा ले लेते हैं। आज आग लगने के बाद जो तस्वीरें सामने आई वो भविष्य की किसी बड़ी अनहोनी की तरफ इशारा कर रहा है।

मुखर्जी नगर में तारों का अनसुलझा 'जाल'

दिल्ली यूनिवर्सिटी का नार्थ कैंपस मुखर्जी नगर के पास पड़ता है। डीयू के जितने भी चर्चित और रैंकेड कॉलेज हैं वो मुखर्जी नगर से ज्यादा दूर नहीं हैं। इसलिए यहां आने वाले छात्रों को पढ़ाई का बेहतर माहौल मिल जाता है। इस इलाके में बसावट दिल्ली के अन्य हिस्से की तरह काफी सघन है। आग लगने जैसी घटनाएं भविष्य के लिए सचेत रहने का इशारा कर रही हैं। इस इलाके में सड़कों के पास तार का बड़ा जाल नजर आता है। ये तार सिर्फ बिजली विभाग के ही नहीं हैं, इनमें इंटरनेट और डिश वालों ने भी उलझा रखा है। घनी आबादी के बावजूद तारों की मरम्मत का कोई नियम नहीं है।

क्यों चर्चित है मुखर्जी नगर?

दरअसल, मुखर्जी नगर (Mukherjee Nagar) हिंदी मीडियम स्टूडेंट्स के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले कोचिंग का हब है। यहां चारों तरफ कोचिंग का बाजार पसरा है। हर कोचिंग का अपना स्टेटस भी है। यहां कई बिल्ड‍िंग ऐसी हैं जो अंधेरे में घिरी हैं। लेकिन, यहीं से पढ़ाई कर सफलता हासिल करने वाले देश के बड़े नौकरशाह बनते हैं। इन्हीं अंधेरी गलियों से सक्सेस की वो रोशनी निकलती है, जो देश-दुनिया को रोशन करती है। यहां कई बिल्डिंग में प्रवेश करते ही आपका घुप्प अंधेरे से सामना होगा। सीढ़ियों पर इतना अंधेरा रहता है कि मोबाइल से लाइट जलाकर ही छात्र ऊपर चढ़ते हैं। ये सीढ़ियां इतनी संकरी होती है कि, दो लोग खड़े हो जाएं तो आने-जाने का रास्ते बंद हो जाता है।

क्लास रूम शानदार

हां, अब क्लास रूम शानदार होने लगे हैं। समय के साथ क्लासेस में काफी बदलाव आया है। आए दिन आपको विज्ञापन के जरिए नए हॉल, नए ब्रांच, नई कक्षाओं से संबंधित जानकारियां प्रकाशित होती रहती है। स्टूडेंट्स से काफी तगड़ी फीस ली जाती है मगर उनके सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं। आग लगने की घटनाएं या कोई प्राकृतिक आपदा आ जाए तो जिंदगी के रक्षक भगवान ही हैं।

किचन तक में रहने को मजबूर स्टूडेंट्स

मुखर्जी नगर में रहने वाले अधिकांश स्टूडेंट इसे 'माचिस की डिबिया' कहते हैं। यहां के हालात ये हैं कि, कमरे छोड़िए, किचन तक किराए पर लग जाते हैं। यहां नेहरू विहार (Nehru Vihar), गांधी विहार (Gandhi Vihar), इंद्रा विकास (Indra Vikas Colony) और परमानंद कॉलोनी (Parmanand Colony) का स्टेटस ये है कि काफी काम जगह में पांच मंजिला मकान बन गया है। इसमें एक में मकान मालिक और शेष सभी में स्टूडेंट्स रहते हैं। कई मकान मालिक तो नियमों को ताक पर रखकर छठी मंजिल तक बना ली है। वो भी किराये पर दे रखा है। सीढ़ियां इतनी सीधी हैं कि अगर एक बार कदम फिसले तो आप की जान बच जाए यही बहुत है। बावजूद स्टूडेंट्स भविष्य बनाने के लिए इन छोटे, संकरे कमरों में रहने को मजबूर हैं।

80% कमरे में धूप नहीं आती

मुखर्जी नगर में रहकर तैयारी करने वालों में अधिकतर हिंदी भाषी राज्यों के बच्चे हैं। पढ़ाई के रहे छात्र बताते हैं वो एक तरह से तपस्या कर रहे हैं। यहां 80 प्रतिशत फ्लैट तो ऐसे हैं जिनमें धूप ही नहीं आती। नेहरू विहार (Nehru Vihar) के ए ब्लाक का कुछ हिस्सा तो ठीक है, लेकिन अन्य की स्थिति स्लम की माफिक है। यहां के मकान मालिकों की कमाई का मुख्य जरिया किरायेदार ही हैं। लाखों में कमाई होती है।

आग लगने की घटनाओं पर रोक लगाने में नाकाम केजरीवाल सरकार :मनोज तिवारी

एक कोचिंग सेंटर में लगी आग का जायजा लेने के लिए उत्तर पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी मुखर्जी नगर पहुंचे और उन्होंने पूरे मामले का जायजा लेने के बाद बचाव और राहत कार्य में लगे अधिकारियों से बात की तथा पुलिस अधिकारियों से पूरी घटना की जानकारी ली इस अवसर पर जिला अध्यक्ष मोहन गोयल महामंत्री संजय त्यागी डॉ यूके चौधरी जिला उपाध्यक्ष सचिन मावी सहित कई पार्टी पदाधिकारी मौजूद रहे

घटनास्थल का जायजा लेने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार हर वर्ष होने वाली आग लगने की घटनाओं को रोकने में नाकाम साबित हुई है। पूरे मामले में गंभीर नहीं है। हर वर्ष आग की घटनाओं में कई लोगों की जान जाती है। करोड़ों रुपयों का नुकसान होता है। लेकिन एक जांच बैठाने के सिवाय दिल्ली सरकार ने आज तक कुछ नहीं किया। न हीं किसी की जिम्मेदारी तय की गई। अग्निशमन सेवाओं को आधुनिक बनाने के लिए कोई कारगर उपाय नही किया गया है। उन्होंने मांग की कि अब तक हुई मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही होनी चाहिए। उनसे आग की घटनाओं में हुए नुकसान की वसूली की जानी चाहिए तिवारी ने घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की

Aman Kumar Singh

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