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नकवी के सियासी भविष्य को लेकर अटकलें, अभी भी मंत्री बने रहने के लिए बचा हुआ है एक रास्ता

Mukhtar Abbas Naqvi: राज्यसभा सदस्य के रूप में मुख्तार अब्बास नकवी का कार्यकाल 7 जुलाई को समाप्त होने वाला है। इसके बाद वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं रह जाएंगे।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 5 Jun 2022 10:34 AM IST
Mukhtar Abbas Naqvi
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मुख्तार अब्बास नकवी (फोटो: सोशल मीडिया) 

Mukhtar Abbas Naqvi: रामपुर लोकसभा सीट (Rampur Lok Sabha seat) पर भाजपा की ओर से घनश्याम लोधी (Ghanshyam Lodhi ) को उतारे जाने के बाद केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi ) को लेकर सियासी हलकों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। नकवी को भाजपा ने राज्यसभा चुनाव में भी टिकट नहीं दिया था। फिर उन्हें रामपुर से लोकसभा उपचुनाव में उतारने की चर्चाएं चलीं मगर अब रामपुर से भी उनका पत्ता कट गया है। ऐसे में उनके सियासी भविष्य को लेकर अटकलों का बाजार गरम हो गया है।

राज्यसभा सदस्य के रूप में नकवी का कार्यकाल 7 जुलाई को समाप्त होने वाला है। इसके बाद वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं रह जाएंगे। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से नकवी को संगठन के काम में लगाया जाता है या किसी और तरीके से उनकी मंत्री पद की कुर्सी बचाने की कोशिश की जाती है। वैसे अभी भी एक तरीका है जिसके जरिए नकवी को राज्यसभा सदस्य बनाकर उनकी केंद्रीय मंत्री की कुर्सी बच सकती है।

दो मंत्रियों को टिकट मगर नकवी का पत्ता कटा

राज्यसभा की 57 सीटों पर हो रहे चुनाव में मुख्तार अब्बास नकवी को मजबूत दावेदार माना जा रहा था मगर भाजपा ने उन्हें राज्यसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया। 2016 में नकवी झारखंड से चुनाव जीतकर राज्यसभा पहुंचे थे। इस बार के राज्यसभा चुनाव में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने झारखंड से नकवी की जगह आदित्य साहू को चुनाव मैदान में उतार दिया है। नकवी को दूसरे राज्यों से भी चुनाव मैदान में उतारा जा सकता था। कई राज्यों में भाजपा उम्मीदवार के रूप में उनकी जीत पक्की हो सकती थी मगर उनके हाथ खाली ही रह गए।

भाजपा कोटे के तीन केंद्रीय मंत्रियों का कार्यकाल जुलाई के पहले हफ्ते में समाप्त हो रहा है मगर इनमें से दो मंत्रियों निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल को तो भाजपा नेतृत्व ने राज्यसभा का टिकट दिया मगर नकवी को चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला।

रामपुर के उपचुनाव में भी हाथ खाली

राज्यसभा का टिकट न मिलने के बाद नकवी के सपा नेता मोहम्मद आजम खां के इस्तीफे से रिक्त हुई रामपुर सीट से चुनाव लड़ने की अटकलें लगाई जा रही थी। नकवी 1998 में इस संसदीय सीट से लोकसभा का चुनाव जीत भी चुके हैं मगर इस बार नकवी रामपुर से लोकसभा का टिकट पाने में भी नाकाम रहे। भाजपा की ओर से शनिवार को जारी दो लोकसभा उम्मीदवारों की सूची में आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव निरहुआ और रामपुर से घनश्याम लोधी को चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा की गई है।

सियासी भविष्य को लेकर अटकलें

ऐसे में मुख्तार अब्बास नकवी के सियासी भविष्य को लेकर सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया है। किसी भी सदन का सदस्य बने बिना नकवी अधिकतम 6 महीने तक ही मंत्री बने रह सकते हैं। इसके बाद उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। वैसे प्रधानमंत्री मोदी चाहें तो उन्हें एक बार फिर शपथ दिलाकर मंत्री बनने का मौका दे सकते हैं, लेकिन यह काम भी सिर्फ एक ही बार किया जा सकता है।

ऐसे में नकवी को संगठन के काम में लगाए जाने की चर्चाएं भी सुनी जा रही हैं। नकवी के अलावा एक और केंद्रीय मंत्री जदयू के आरसीपी सिंह का सियासी भविष्य भी सवालों के घेरे में है। उनका भी कार्यकाल जुलाई के पहले हफ्ते में समाप्त होने वाला है मगर जदयू ने उन्हें राज्यसभा का टिकट नहीं दिया है।

साहा की जगह अभी भी आ सकते हैं राज्यसभा

वैसे नकवी की मंत्री की कुर्सी बचे रहने का एक और रास्ता दिख रहा है। दरअसल मणिक साहा को हाल ही में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की कमान सौंपी गई है। साहा को अप्रैल में ही राज्यसभा का सदस्य चुना गया था और उनका पूरा कार्यकाल बचा हुआ है।

माना जा रहा है कि साहा की राज्यसभा सीट इसी माह रिक्त हो जाएगी। ऐसे में साहा की जगह भी नकवी को राज्यसभा में लाया जा सकता है। भाजपा नेतृत्व ने अभी तक इस बाबत अपने पत्ते नहीं खोले हैं और यही कारण है कि नकवी के सियासी भविष्य को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं।



Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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