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नहीं पिघली रिश्तों पर जमी बर्फ, मुलायम हुए और कठोर, बोले- मैं ही हूं पार्टी का सुप्रीमो
लखनऊ: समाजवादी परिवार में विवाद को लेकर रविवार को दिन भर समझौते के कयास लगते रहे। कहा जा रहा था कि सीएम अखिलेश यादव ने सुबह उनसे मुलाकात की और पिता-पुत्र के रिश्तों के बीच जमी बर्फ पिघलने लगी है। पर देर शाम दिल्ली में मुलायम सिंह यादव ने इन संभावनाओं को सिरे से यह कह कर खारिज कर दिया। मुलायम सिंह यादव ने रविवार को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। उन्होंने कहा कि जनेश्वर मिश्र पार्क में 1 जनवरी को बुलाया गया पार्टी का आपातकालीन विशेष राष्ट्रीय अधिवेशन असंवैधानिक था। रामगोपाल को वो पहले ही 6 साल के लिए पार्टी से निकाल चुके हैं। मैं अभी भी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं और अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं।
इससे पहले मुलायम सिंह ने रविवार को कार्यकर्ताओं से कहा था कि सबकुछ अखिलेश के पास है। मेरे पास सिर्फ गिनती के विधायक बचे हैं। अखिलेश मेरा ही बेटा है। क्या कर सकता हूं। वहीं, दिल्ली रवाना होने से पहले सुबह अखिलेश ने इस पूरे विवाद पर अपने पिता मुलायम सिंह यादव से बात भी की थी। इसके बाद वह पार्टी कार्यालय पहुंचे और कार्यकर्ताओं से कहा कि सब ठीक हो गया है। आप लोग अपने-अपने क्षेत्र में जाकर चुनावी तैयारियों में जुट जाइए।
उधर अखिलेश टीम के सिपहसालारों के भी सुर बदलने लगे हैं। पहले जो अखिलेश यादव को सपा का सर्वेसर्वा बनाने की दुहाई देते फिरते थे। अब उन्हीं में से एक एमएलसी सुनील सिंह यादव ने भी ट्वीट कर कहा है कि पिता पुत्र के रिश्तों के बीच आने वाले लोगों का अंत आख़िरकार किनारा ही होता है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अखिलेश और मुलायम दोनों ही सपा के चुनाव चिन्ह साइकिल को लेकर बहुत गंभीर हैं। विधायकों और सांसदों से शपथ पत्रों पर हस्ताक्षर करवाने की बाज़ी भी अखिलेश कैंप के पक्ष में दिखती है। पर पार्टी टूटने का नुकसान दोनों को होगा। पिता-पुत्र इस बात को समझते भी हैं।इस पूरे घटनाक्रम में नेताजी (मुलायम सिंह यादव) की प्रतिक्रया के भी मायने निकाले जा रहे हैं।