मुलायम और अखिलेश की आय से अधिक संपत्ति मामले में SC का CBI को नोटिस

समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और राष्ट्रीय अख्यध अखिलेश यादव के आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने 2 हफ्ते में सीबीआई से जवाब मांगा है।

Dharmendra kumar
Published on: 25 March 2019 8:27 AM GMT
मुलायम और अखिलेश की आय से अधिक संपत्ति मामले में SC का CBI को नोटिस
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नई दिल्ली: समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और राष्ट्रीय अख्यध अखिलेश यादव के आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने 2 हफ्ते में सीबीआई से जवाब मांगा है।

कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव, पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के छोटे पुत्र प्रतीक यादव के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में प्रगति रिपोर्ट मांगी है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि 2007 में सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा था कि पहली नजर में केस बनता है इसलिए नियमित केस दर्ज कर जांच होनी चाहिए। अब कोर्ट इस मामले में जानना चाहता है कि इस केस में क्या हुआ। केस दर्ज हुआ या नहीं।

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दरअसल मामले के मूल याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। विश्वनाथ चतुर्वेदी ने अपनी अर्जी में मांग की है कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के 2007 और 2012 के आदेश के तहत क्या करवाई की है, इसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट या निचली अदालत में दाखिल करे। 2012 में इस मामले में मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और प्रतीक यादव की पुनर्विचार याचिका भी कोर्ट खारिज कर चुका है।

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मुलायम सिंह यादव की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि अभी इस मामले की सुनवाई न कि जाए लेकिन इसके बावजूद कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर दिया।

याचिका में कहा गया है कि जांच पूरी हो गई थी और पहली नजर में पाया गया था कि यादव परिवार के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला बनता है। इस जांच को छह साल बीतने के बाद भी सीबीआई ने अभी तक किसी भी अदालत में रिपोर्ट पेश नहीं की है।

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2007 में चतुर्वेदी की जनहित याचिका पर सीबीआई को मुलायम, अखिलेश व पत्नी डिम्पल और भाई प्रतीक यादव की संपत्तियों की जांच करने का आदेश दिया था। हालांकि 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने डिम्पल को इस मामले से यह कहकर बाहर कर दिया था कि वह किसी सार्वजनिक पद पर नहीं थीं।

Dharmendra kumar

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