TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

Mulayam Singh Yadav News: जाने क्यों मुलायम और अमर सिंह की राजनीति में सबसे हिट थी जोड़ी

Mulayam Singh Yadav Latest News: मुलायम-अमर की दोस्ती एक बार फिर परवान चढ़ रही है। कभी अमर सिंह और मुलायम सिंह की राहें अलग हो गयी थी लेकिन अमर सिंह जब दोबारा मुलायम सिंह के करीब आए तो पार्टी के ही कुछ लोगों को ये नागवार गुजरा।

Network
Newstrack Network
Published on: 11 Oct 2022 2:07 PM IST (Updated on: 11 Oct 2022 2:07 PM IST)
mulayam singh yadav amar singh
X

मुलायम सिंह यादव अमर सिंह (फोटो-सोशल मीडिया)

Mulayam Singh Yadav Latest News: मुलायम-अमर की दोस्ती एक बार फिर परवान चढ़ रही है। कभी अमर सिंह और मुलायम सिंह की राहें अलग हो गयी थी लेकिन अमर सिंह जब दोबारा मुलायम सिंह के करीब आए तो पार्टी के ही कुछ लोगों को ये नागवार गुजरा। चाहकर भी मुलायम अमर की नजदीकियां नहीं बढ़ पाई लेकिन समाजवादी पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह एक बार फिर एक हो गए थे।

मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह की दोस्ती की शुरुआत 1988 के आसपास हुई लेकिन तब इनकी दोस्ती कहीं दिखाई नहीं पड़ती थी। इसका खुलासा तब हुआ जब 1996 में अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन की और मुलायम सिंह के दाहिनें हाथ बन गए। कहा जाता है कि केन्द्र में मुलायम सिंह को रक्षा मंत्री बनवाने में अमर सिंह की अहम भूमिका थी जिसके बाद मुलायम सिंह ने पार्टी में उनको एक क्षत्रिय नेता के रूप में स्थापित किया।


अमर सिंह की अहम भूमिका

इसके बाद जब 2003 में मुलायम सिंह की तीसरी बार यूपी में सरकार बनी तो दूसरे दलों के विधायकों को समाजवादी पार्टी के समर्थन में लाने की अमर सिंह की अहम भूमिका रही। 2009 के लोकसभा चुनाव के पहले अमर सिंह का ही दम था कि राजनीति के दो विपरीत ध्रुव मुलायम सिंह और कल्याण सिंह एक साथ चुनाव मैदान में उतरे।

कल्याण सिंह को मुलायम के नजदीक लाने से समाजवादी पार्टी का मुख्य वोट बैंक यानी मुसलमान नाराज हो गया जिसका परिणाम यह रहा कि पार्टी को अपेक्षित सीटें नहीं मिल पाई। यहां तक कि समाजवादी पार्टी के सभी 12 मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव हार गए। जबकि उसके पहले 2004 के लोकसभा चुनाव में यूपी से समाजवादी पार्टी के 11 सांसद थें।

लोकसभा चुनाव परिणामों के बाद पार्टी में मची अन्र्तकलह को देखते हुए अमर सिंह ने 6 जनवरी 2010 को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बाद में मुलायम सिंह यादव ने 2 फरवरी 2010 को उन्हे पार्टी से बर्खास्त कर दिया। इस बीच रामगोपाल यादव के साथ उनका वाकयुद्व भी खूब चला। बाद में अमर सिंह एक अलग पार्टी 'लोकमंच' का गठन किया जिसमें 14 छोटे दलोें का भी सहयोग लिया। लोकमंच के सहारे अमर सिंह अपने बयानों से मुलायम सिंह को खूब घेरते रहे लेकिन मुलायम सिंह यादव ने उनके खिलाफ कुछ भी नहीं कहा।

प्रदेश में अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी की सरकार बनी तो सरकारी कार्यक्रमों में मुलायम सिंह यादव अमर सिंह और उनकी क्षमताओं का जिक्र करना नहीं भूलें। 5 अगस्त 2014 को जब जनेश्वर मिश्र की स्मृति में हुए कार्यक्रम में अमर सिंह के शामिल होने के बाद साफ होने लगा कि उनकी नजदीकियां मुलायम सिंह से बढ़ रही हैं और नेताजी उनको समाजवादी पार्टी में लाना चाहते हैं।


कई महीनों तक अमर सिंह की सपा में वापसी को लेकर कयासों का दौर चलता रहा। अमर सिंह बराबर कहते रहें कि वह समाजवादी नहीं बल्कि 'मुलायमवादी'हैं। अमर के पार्टी में शामिल होने को लेकर आजम खां से लेकर रामगोपाल यादव तक के विरोध के स्वर सुनाई पड़ते रहे लेकिन अमर सिंह का मुलायम सिंह के आवास से लेकर सरकारी कार्यक्रमों में आने जाने का सिलसिला चलता रहा।

आखिरकार 16 मई 2016 को संसदीय बोर्ड की बैठक में अमर सिंह के राज्यसभा में जाने पर पार्टी ने अपनी मुहर लगा दी। हालांकि उनके नाम को लेकर पार्टी में कुछ विरोध के स्वर गूंजे लेकिन पार्टी सुप्रीमों मुलायम सिंह के कड़े रुख को देखते हुए किसी की मुंह खोलने की हिम्मत नहीं पड़ी।


मै मुलायम सिंह के साथ हमेशा था और रहूंगा

राज्यसभा सांसद बनने के बाद अमर सिंह ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कई बार मिलने का प्रयास किया लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हे मिलने का समय नहीं दिया जिसके कारण अमर सिंह ने कुछ बयानबाजी भी की जो अखिलेश यादव को नागवार गुजरी। अखिलेश को लगने लगा कि पार्टी में जो कुछ भी विवाद हो रहे हैं उसकी जड़ में अमर सिंह ही हैं। यहीं वह शख्स हैं जो उनके पिता को बहका रहे हैं।


समाजवादी पार्टी में दो फाड़ होने के बाद जब अखिलेश यादव को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया तो उन्होंने पहला काम यही किया कि प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव को पद से हटाने के साथ ही अमर सिंह को भी पार्टी से बर्खास्त कर दिया।

अखिलेश यादव के इस कदम के बाद अमर सिंह पूरी तन्मयता के साथ मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहे है। साइकिल चुनाव चिन्ह को लेकर जब वह मुलायम सिंह के साथ चुनाव आयोग पहुंचे तो उन्होंने साफ कहा कि '' मै मुलायम सिंह के साथ हमेशा था और रहूंगा मैने उनके लिए नायक की तरह काम किया है लेकिन उनके हित में खलनायक भी बनना पडे़ तो बनूंगा''।

Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

Next Story