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Mumbai Dhamake Ka Itihas: जब मुंबई में एक के बाद एक धमाके से दहल गया था शहर, क्यों इस दिन को याद करना है बेहद दर्दनाक
Mumbai Dhamake Ka Itihas: आज ही के दिन कैसे एक के बाद एक बम धमाकों से दहल उठी थी मुंबई जानिए कैसा था वो मंज़र और कौन कौन था इसके पीछे।
Mumbai Dhamake Ka Itihas Today 12 March (Image Credit-Social Media)
Mumbai Dhamake Ka Itihas: 12 मार्च 1993 का दिन भारत के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। इस दिन मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में सिलसिलेवार बम धमाकों ने देश को झकझोर कर रख दिया था। इन धमाकों ने न केवल कई निर्दोष जिंदगियां छीन लीं, बल्कि मुंबई की सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संरचना पर भी गहरा प्रभाव डाला।
1. धमाकों का घटनाक्रम
- 12 मार्च 1993 को दोपहर 1:28 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के बाहर पहला धमाका हुआ, जिससे चीख-पुकार मच गई। इसके बाद 47 मिनट बाद, कत्था बाजार अनाज मंडी में दूसरा धमाका हुआ, जिसमें पांच लोगों की मौत हुई।
- तीसरा धमाका: शिवसेना भवन के पास एक पेट्रोल पंप पर दोपहर 2:30 बजे हुआ, जिसमें चार लोग मारे गए और कई घायल हुए।
- चौथा धमाका: एयर इंडिया बिल्डिंग के सामने खड़ी एक कार में विस्फोट हुआ, जिसमें 20 लोगों की मौत और 85 लोग घायल हुए।
- पांचवां और छठा धमाका: दोपहर 2:45 बजे माहिम और वर्ली के पासपोर्ट ऑफिस में एक साथ धमाके हुए। वर्ली का धमाका सबसे बड़ा था, जिसमें 116 लोग मारे गए और 230 घायल हुए।
- सातवां धमाका: 3:05 बजे झावेरी बाजार में हुआ, जिसमें 17 लोगों की मौत हुई।
- आठवां धमाका: बांद्रा के सी रॉक होटल में हुआ, जिसमें कोई हताहत नहीं हुआ।
- नौवां धमाका: प्लाजा सिनेमा की पार्किंग में हुआ, जिसमें 10 लोग मारे गए।
- दसवां धमाका: जुहू के सेंटूर होटल में हुआ, जिसमें कुछ लोग घायल हुए।
- ग्यारहवां और बारहवां धमाका: सहार हवाई अड्डा और सेंटूर होटल के पास हुए, जिनमें दो लोगों की मौत हुई।
- कुल मिलाकर इन धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई और 713 लोग घायल हुए।
12/03/1993 History (Image Credit-Social Media)
2. धमाकों के पीछे का इतिहास और कारण
इन धमाकों के पीछे कई ऐतिहासिक और सामाजिक कारण थे, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:
1. बाबरी मस्जिद विध्वंस और 1992-93 मुंबई दंगे:
दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद देशभर में सांप्रदायिक तनाव फैला था।
मुंबई में भी दंगे भड़क उठे, जिनमें सैकड़ों लोग मारे गए।
इन दंगों के प्रतिशोध में इन बम धमाकों की साजिश रची गई।
2. अंडरवर्ल्ड और आतंकवाद का गठजोड़:
मुंबई अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेनन (मुस्तफा डोसा) ने इन धमाकों की साजिश रची।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का भी सहयोग था।
3. हथियारों और विस्फोटकों की तस्करी:
पाकिस्तान से विस्फोटक सामग्री समुद्री रास्ते से भारत में लाई गई थी।
इनका भंडारण मुंबई के विभिन्न स्थानों पर किया गया।
3. जांच और सजा
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले की जांच शुरू की।123 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।1994 में टाडा (TADA) अदालत में मामला चलाया गया।
मुंबई पुलिस के तत्कालीन ट्रैफिक डीसीपी राकेश मारिया को जांच की जिम्मेदारी दी गई थी। उन्होंने अपनी किताब 'Let Me Say It Now' में कई खुलासे किए।
12/03/1993 History (Image Credit-Social Media)
स्कूटर में बम: मारिया को माटुंगा पुलिस की मदद से एक स्कूटर में बम मिला, जिसे डिफ्यूज किया गया।लावारिस वैन: वर्ली में एक वैन मिली, जिसमें एके-56 राइफल्स, हैंड ग्रेनेड और अन्य हथियार मिले। जांच में पता चला कि यह वैन रूबिना सुलेमान मेमन के नाम पर थी।टाइगर मेमन: जांच से टाइगर मेमन और उसके गिरोह की साजिश का पता चला।आरोपपत्र: 4 नवंबर 1993 को 10 हजार पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया गया।
प्रमुख सजा:
दाऊद इब्राहिम: पाकिस्तान में बैठे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को इन धमाकों का मास्टरमाइंड माना गया।टाइगर मेमन: उसने साजिश को अंजाम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।आईएसआई: पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी हाथ होने की आशंका जताई गई थी।संजय दत्त का नाम भी सामने आया था मॉरीशस से लौटने पर एयरपोर्ट पर गिरफ्तारी हुई। उन्होंने एके-56 रखने की बात कबूली।2006 में पांच साल की सजा सुनाई गई और 2016 में सजा पूरी की।
अदालती प्रक्रिया
चार्जशीट: 10 हजार पन्नों की चार्जशीट दाखिल हुई।
सुनवाई: 1995 में सुनवाई शुरू हुई और 2006 में फैसले सुनाए गए।
सजा: 12 को मौत, 20 को उम्रकैद, 68 को अलग-अलग सजा और 23 को बरी किया गया।
4. धमाकों का सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
1. मुंबई की सामाजिक संरचना पर प्रभाव:
धमाकों ने हिंदू-मुस्लिम समुदायों के बीच गहरी दरार पैदा की।लोगों के मन में असुरक्षा की भावना घर कर गई।
2. आर्थिक प्रभाव:
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर हमला मुंबई की आर्थिक रीढ़ पर प्रहार था।व्यापारिक गतिविधियां प्रभावित हुईं।मुंबई में निवेश पर असर पड़ा।
3. सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव:
मुंबई पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने सुरक्षा उपायों को मजबूत किया।CCTV कैमरे, सुरक्षा जांच और निगरानी बढ़ाई गई।
4. PAK में दी गई थी हथियारों की ट्रेनिंग
वकीलों के मुताबिक, मुस्तफा दोसा, टाइगर मेमन, छोटा शकील ने सीरियल ब्लास्ट के लिए साजिश में शामिल लोगों को दुबई बुलाया था। यहां ब्लास्ट से पहले करीब 15 मीटिंग की गईं। इसके बाद पाकिस्तान में इन लोगों के लिए ट्रेनिंग के लिए कैंप कराए। यहां उन्हें हथियार चलाना सिखाया गया। दुबई की मीटिंग में हथियार भारत लाने की प्लानिंग हुई थी।
12/03/1993 History (Image Credit-Social Media)
5.1993 मुंबई बम धमाकों में दोषियों की भूमिका और सजा
1) अबू सलेम: उम्रकैद और 2 लाख का जुर्माना
भूमिका: धमाकों के लिए हथियार लाने, बांटने, साजिश रचने और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने का दोषी। इसे 2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया।
2) मुस्तफा दोसा: 28 जून को हार्ट अटैक से मौत
भूमिका: ब्लास्ट के लिए हथियार और विस्फोटक मंगवाने का मास्टरमाइंड। रायगढ़ में हथियारों की लैंडिंग कराई और आरोपियों को ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान भेजने और साजिश रचने का दोषी था।
3) ताहिर मर्चेंट: फांसी की सजा
भूमिका: पाकिस्तान में कुछ लोगों को आतंकी ट्रेनिंग दिलवाने का इंतजाम किया। दुबई में ब्लास्ट के लिए पैसे का प्रबंधन किया।
4) अब्दुल कयूम: कोर्ट से बरी
भूमिका: दुबई में दाऊद इब्राहिम के ऑफिस में मैनेजर था। संजय दत्त के पास हथियार पहुंचाने का आरोपी था, लेकिन कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
5) रियाज सिद्दीकी: 10 साल की सजा
भूमिका: एक्सप्लोसिव लाने के लिए अबू सलेम को भड़ूच में अपनी कार दी थी।
6) फिरोज अब्दुल राशिद खान: फांसी की सजा
भूमिका: दुबई में हुई साजिश की बैठक में शामिल रहा। हथियार और विस्फोटक लाने में मदद की।
7) करीमुल्ला शेख: उम्रकैद और 2 लाख का जुर्माना
भूमिका: अपने दोस्त को पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग दिलाने और हथियार एवं विस्फोटक लाने में मदद करने का दोषी पाया गया।
12/03/1993 History (Image Credit-Social Media)
वर्तमान स्थिति
1. दाऊद इब्राहिम और अन्य फरार अपराधी:
दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में छिपा हुआ है, लेकिन अब तक भारत को नहीं सौंपा गया है।भारत ने कई बार पाकिस्तान से प्रत्यर्पण की मांग की है।
2. न्यायिक प्रक्रिया:
कुछ दोषियों को सजा मिल चुकी है, लेकिन कई प्रक्रियाएं अभी भी लंबित हैं।यह मामला भारतीय न्यायिक प्रणाली में लंबी कानूनी प्रक्रिया का उदाहरण बन चुका है।
3. सुरक्षा उपाय:
मुंबई अब अधिक सुरक्षित है।नई तकनीकों और नीतियों को अपनाया गया है।
4. समाज में बदलाव:
मुंबई के लोग अब अधिक सतर्क हैं।सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के प्रयास हो रहे हैं।
12 मार्च 1993 के मुंबई धमाके भारत के इतिहास में एक दुखद और महत्वपूर्ण घटना है। यह घटना न केवल निर्दोष लोगों के जीवन का नुकसान था, बल्कि इसने समाज में गहरे घाव छोड़े। हालांकि, इस घटना ने भारत को अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने, न्यायिक प्रक्रिया में सुधार और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रेरित किया।आज भी यह घटना हमें याद दिलाती है कि आतंकवाद के खिलाफ सतर्कता और एकजुटता कितनी आवश्यक है। मुंबई ने इन दर्दनाक घावों से उबरकर फिर से खुद को मजबूत किया है, लेकिन यह इतिहास का एक ऐसा अध्याय है जिसे भुलाया नहीं जा सकता।
12/03/1993 History (Image Credit-Social Media)
1993 के धमाके भारत के इतिहास के सबसे भीषण आतंकी हमलों में से एक थे। यह हमला न केवल मुंबई बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी था। आज भी मुख्य साजिशकर्ता टाइगर मेमन और दाऊद इब्राहिम फरार हैं।