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26/11: हेमंत करकरे की बेटी ने अपनी कलम से बयां किया पिता के खोने का दर्द
भारत का हर बड़ा और बुजुर्ग यह जनता है कि महाराष्ट्र ATS प्रमुख हेमंत करकरे 26/11 आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। इस हमले के 11 साल बाद, उनकी बेटी जुई करकरे नवरे ने अपने पिता की यादों का जिक्र अपनी किताब 'Hemant Karkare: A Daughter’s Memoir' में किया है।
लखनऊ: “हर बच्चे के लिए उसका पिता हीरो होता है, मेरे लिए वो हमेशा एक रक्षक की तरह रहे” ये पंक्तियां हैं हेमंत करकरे की बेटी और लेखक, जुई करकरे की। अपने पिता को खोने का दर्द जितना है, उससे ज्यादा गर्व अपने पिता की बहादुरी पर है।
भारत का हर बड़ा और बुजुर्ग यह जनता है कि महाराष्ट्र ATS प्रमुख हेमंत करकरे 26/11 आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। इस हमले के 11 साल बाद, उनकी बेटी जुई करकरे नवरे ने अपने पिता की यादों का जिक्र अपनी किताब 'Hemant Karkare: A Daughter’s Memoir' में किया है।
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जानिये एक बेटी की भावना अपने हीरो पिता के लिए
ये बात सिर्फ मानने में ही लंबा वक्त लग गया कि वो अब इस दुनिया में नहीं हैं। मैं उस वक्त बॉस्टन में थी, मेरे पति को भारत सरकार से कॉल आया कि वो हमारा मुंबई का टिकट स्पॉन्सर कर रहे हैं। उसके बाद मैंने ये महसूस किया कि इस दुनिया में न होते हुए भी वो हमारा ख्याल रख रहे हैं। मैं ये मान ही नहीं सकती थी कि ऐसा भी कुछ हो सकता है। उनकी उम्र सिर्फ 54 साल थी।
जुई करकरे, शहीद हेमंत करकरे की बेटी और लेखक हैं
उन्होंने आगे कहा कि उनकी इस किताब के सहारे उनकी बेटी को अपने नाना के बारे में जानने का मौका मिलेगा। अपने बचपन के कुछ किस्सों को याद करते हुए जुई कहती हैं कि उनके पिता हमेशा जड़ से किसी भी समस्या को हल करने की कोशिश करते थे। ये उनके लिए सिर्फ नौकरी नहीं थी, बल्कि उनकी ड्यूटी थी।
जब हेमंत करकरे महाराष्ट्र के चंद्रपुर में पोस्टेड थे, तब अपने पिता से सुने एक किस्से को याद करते हुए जुई ने बताया कि वो उस वक्त एसपी थे, इसलिए गांव-गांव तक जाते थे और लोगों से बात करते थे, क्योंकि चंद्रपुर में नक्सली दिक्कतें काफी बड़ी थीं।
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वो (हेमंत) सोचते थे कि इस स्थिति को कैसे बदला जाए
उन्होंने वहां के बच्चों से बात की और उनसे पूछा कि वो बड़े होकर क्या बनना चाहते हैं? कई बच्चों ने कहा ‘शेखर अन्ना’ जो नक्सलियों का नेता था। मेरे पिता ने बताया कि उन बच्चों के पास कोई अच्छा रोल मॉडल नहीं था। वो पुलिसवालों को अपना दुश्मन और नक्सलियों को अपने करीब समझते थे। ऐसे में वो (हेमंत) सोचते थे कि इस स्थिति को कैसे बदला जाए।
जुई ने बताया कि फिर कैसे हेमंत करकरे कई ट्रांसलेटर से मिले और फिर गांव में अपनी टीम के साथ जाकर लोगों और बच्चों से बात की। उन्होंने लोगों से कहा कि वो उनकी तरफ हैं। उनके पिता का मानना था कि बदलाव नियम-कानून से ही आ सकता है, हिंसा से नहीं।
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हर देश को शहीदों का सम्मान करना चाहिए
बीजेपी सांसद प्रज्ञा ठाकुर ने लोकसभा चुनाव के दौरान शहीद हेमंत करकरे को लेकर कई विवादित बयान दिए थे।
प्रज्ञा ठाकुर के बयान पर जुई ने कहा-
‘मुझे लगता है कि हर देश को अपने शहीदों का सम्मान करना चाहिए... जिसने देश के लिए अपनी जान दे दी। देश के लिए कोई इससे बड़ी कुर्बानी नहीं दे सकता, इसलिए उनका हमेशा सम्मान होना चाहिए।’
जुई ने बताया कि उनके पिता उन्हें हर बात की अच्छाई और बुराई के बारे में बताते थे। ‘उन्हें लगता था कि अगर वो ऐसा करेंगे तो हम अपनी जिंदगी में कई निर्णय उसी आधार पर लेंगे, अच्छाई और बुराई देखकर।
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मैं ये अब देख सकती हूं कि वो हमें सशक्त बनाना चाहते थे। वो हमेशा कहते थे कि हम अपनी जिंदगियों में कई गलतियां करेंगे, लेकिन हम उससे सीखेंगे भी।’