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आयकर ने झुग्गी वाले को भेजी एक करोड़ की नोटिस, वजह जान चौंक जायेंगे
ठाणे के अंबीवाली में रहने वाले एक मजदूर जो लगभग 300 रुपए प्रति दिन कमाता है, उसे आयकर विभाग से एक नोटिस मिला है, जिसमें उसे 1 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करने के लिए कहा गया है।
मुंबई: ठाणे के अंबीवाली में रहने वाले एक मजदूर जो लगभग 300 रुपए प्रति दिन कमाता है, उसे आयकर विभाग से एक नोटिस मिला है, जिसमें उसे 1 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान करने के लिए कहा गया है। 35 साल के भाऊसाहेब अहीर ने इस संबंध में पुलिस से शिकायत की है।
उन्होंने बताया है कि उसके कागजात खो गए थे, इसलिए संभव है कि इसके आधार पर किसी ने फर्जी खाता बनाया हो। भाऊसाहेब ने कहा कि वो 100 वर्ग फीट की झुग्गी में रहता है जिसके कानूनन मालिक उसके पिता हैं।
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गरीबी के कारण स्कूल जाने से वंचित छोटा बेटा
इस मजदूर के तीन बच्चे हैं। सबसे छोटा बच्चा आय कम होने की वजह से स्कूल नहीं जा पा रहा, ऐसे में आयकर विभाग की नोटिस मिलने की वजह से यह मजदूर परेशान है।
पिछले साल 5 सितंबर को अहीर को आई-टी विभाग से एक नोटिस मिला था जिसमें उनके खाते में 58 लाख रुपए जमा करने के लिए स्पष्टीकरण मांगा गया था।
नोटिस के अनुसार अहीर ने वित्त वर्ष 2016-17 में 500 और 1,000 रुपए के नोट में 21,10,000 रुपए नकद जमा किए थे। 7 जनवरी को अहीर को फिर से 1.05 करोड़ रुपए का कर नोटिस मिला है। दूसरे नोटिस के बाद उन्होंने पुलिस से संपर्क किया।
भाऊसाहेब ने पुलिस को बताया कि उसकी हर दिन इतनी ही आय होती है जिससे बामुश्किल परिवार का गुज़ारा होता है, पुलिस का कहना है कि शिकायत पर जांच शुरू की गई है।
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इससे पहले चाय को भी मिली थी ऐसी नोटिस
राजस्थान के अलवर जिले में भी ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला सामने आया था। यहां एक चाय की दुकान चलाने वाले को इनकम टैक्स विभाग ने 20,96,100 रुपए के लेनदेन के बारे में नोटिस भेज दिया था। नोटिस मिलने के बाद पीड़ित आयकर विभाग का चक्कर लगाने को मजबूर हो गया था।
मामला अलवर जिले के मालाखेड़ा इलाके के मोहब्बतपुर गांव का है, जहां सियाराम चौधरी नाम के एक शख्स से 2010 में उसके खाते से हुए करीब 21 लाख रुपए के लेनदेन के मामले में जानकारी मांगी गई थी।
सियाराम चौधरी ने बताया था कि वह कस्बे के बस स्टैंड पर चाय की दुकान चलाता है। उसने कभी बैंक से एक लाख रुपए तक का लेनदेन किया ही नहीं है, फिर भी उसके खाते से लाखों रुपए के ट्रांजैक्शन की बात कही गई ।
पीड़ित ने बैंक जाकर जब इस मामले की जानकारी ली तो पता चला कि 31 दिसंबर 2010 को उसके बैंक खाते में 5 लाख, 7 लाख और 8 लाख की राशि जमा कराई गई थी। इसके बाद अगले ही दिन 1 जनवरी 2011 को एक साथ 20 लाख रुपए निकाल भी लिए गए। इसकी भनक सियाराम को आज तक नहीं लगी थी।
पीड़ित सियाराम चौधरी ने आरोप लगाया था कि उसके खाते में बैंक कर्मियों की मिलीभगत से यह लेनदेन हुआ था।। पीड़ित के मुताबिक पांच साल से उसका खाता बंद पड़ा हुआ है, पहले भी उसके खाते में कभी एक लाख रुपए से ज्यादा नहींं रहे थे।
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