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नगर निगम व नगर पंचायत के चुनाव: पंजाब में गर्म हुई धरने की सियासत
दुर्गेश पार्थसारथी
चंडीगढ़: विधान सभा चुनाव के सुस्त पड़ी पंजाब की सियासत नगर निगम व नगर पंचायत के चुनावों की घोषणा होते ही एक फिर से गर्माने लगी है, क्योंकि अपने नौ माह के कार्यकाल में सूबे की कांग्रेस सरकार के पास ऐसी कोई उपलब्धि नहीं दिख रही जिसके बूते पर वह मतदाताओं को रिझा सके। वहीं विपक्ष में बैठे अकाली-भाजपा गठबंधन के पास सरकार को घेरने के कई मौके हैं।
सूबे में कांग्रेस सरकार के गठन के बाद से ही अपने कार्यकर्ताओं का कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा उत्पीडऩ किए जाने का आरोप लगाती रही शिअद पिछले सप्ताह चार नगर निगमों सहित कुल 32 नगर पंचायतों के 17 दिसंबर के आगामी चुनाव के नामांकन दौरान हुई मारपीट की घटनाओं ने राजनीति को गर्मा दिया। शिअद अध्यक्ष व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पार्टी कार्यकर्ताओं व नेताओं के साथ मालवा को माझा से जोड़ने वाले हरीके पत्तन पुल पर धरने पर बैठ गए। उनका यह धरना 24 घंटे से अधिक समय तक चला।
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इस धरने से एक तरह से दक्षिणी पंजाब उत्तरी व पश्चिमी हिस्से से एक तरह से कट सा गया। यही नहीं शिअद अध्यक्ष के धरने पर बैठते ही राज्य में एक तरह अकाली नेताओं ने घेरा बंदी सी कर दी। सूबे के सभी प्रमुख राजमार्गों व पुलों को धरने पर बैठ गए। हालात यह हो गए कि जम्मू-कश्मीर से फीरोजपुर को जोड़ने वाले राजमार्ग पर हरीके पुल के दोनों तरफ जालंधर-अमृतसर राष्ट्रीय राजमार्ग सहित अन्य स्थानों पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
एक तरह से यातायात ठप सा हो गया। लेकिन सर्द मौसम में भी सियासत गर्माती रही। सड़कों पर लोग परेशान होते रहे और राजनेता तमाशा देखते रहे। एक तरफ अमृतसर में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मेले में मुख्यमंत्री प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे तो दूसरी तरनतारन व फीरोजपुर जिले की सरहद पर पूर्व मुख्यमंत्री अकाली कार्यकर्ताओं के उत्पीडऩ का आरोप लगाकर सरकार को कोसते रहे और राहगीर प्रदर्शनकारी अकाली-भाजपा को।
हालांकि सूबे में धरना प्रदर्शन की राजनीति कोई नई नहीं है। जब दस साल तक प्रदेश सरकार की बागडोर अकाली-भाजपा गठबंधन के हाथों में रही कांग्रेसी रहनुमा भी यही करते रहे। कभी रेल पटरियों पर तो कभी सडक़ों बैठ कर सरकार को कोसते रहे और प्रदेश की जनता प्रदर्शन की राजनीति में पिसती रही। यही नहीं सूबे की सत्ता में जब अकाली थे तो कांग्रेस उन पर अपने कार्यकर्ताओं को प्रताडि़त करने व उन पर झूठे मुकदमे दर्ज करवाने का आरोप लगाती रही और दस साल सत्ता के बाद सरकार से बाहर होने पर अकाली दल बादल भी कांग्रेस पर यही आरोप लगा रहा है।
नगर निगम व नगर पंचायत चुनावों को लेकर शिअद ने प्रदेश सरकार पर धक्केशाही व धांधली का आरोप लगाया है। पार्टी प्रधान सुखबीर ङ्क्षसह बादल का कहना है कि पुलिस कांग्रेस नेताओं की शह पर शिअद वर्करों पर झूठे मुकदमे दर्ज कर रही है। कांगे्रस यह नहीं जानती कि शिअद 96 साल पुरानी पार्टी है। इसे छेडऩा सरकार को भारी पड़ सकता है।
कड़ाके की सर्दी में रात को धरने पर बैठे सुखबीर बादल ने कैप्टन सरकार को नाकाबिल बताते हुए कहा कि कांग्रेस को प्रदेश की जनता को हिसाब देना होगा। सूबे में सरकार का गठन हुए नौ माह से भी अधिक का समय हो चला है लेकिन सरकार ने एक भी वादा पूरा नहीं किया है। सिवाय अकाली वर्करों पर झूठे केस दर्ज करने के। प्रदेश में न तो नशा बंदी हुई और ना ही युवाओं को रोजगार मिला और ना ही कोई विकास कार्य दिख रहा है। जो काम पहले से चल रहे थे वह भी बंद हैं।
धरने पर बैठे सुखबीर बादल ने मनाया प्रकाश सिंह बादल का जन्म दिन
कांग्रेस सरकार के खिलाफ धरने पर बैठे सुखबीर सिंह बादल ने अपने पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश बादल का आठ दिसंबर को जन्म दिन मनाया। उधर फाजिल्का जिले में अपने गांव बादल में अपना जन्म दिन मनाते हुए प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि उन्हें खुशी है कि सुखबीर उनका जन्मदिन मनाने की बजाए जनता की लड़ाई लड़ रहा है। हालांकि जन्मदिन कार्यक्रम में उनके छोटे भाई व वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल के पिता गुरदास बादल के पहुंचने पर प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि हो सकता है कि उनकी कुछ मजबूरियां रही हों।
इस दौरान हरीके पुल पर धरने पर बैठे सुखबीर बादल ने अकाली नेताओं के साथ पार्टी कार्यकर्ताओं के घर से आई रोटी हाथ पर रख कर खाई और कहा कि उनका यह धरना 90 कार्यकर्ताओं पर दर्ज मामले वापस लिए जाने तक जारी रहेगा। अपने इस दो दिनों तक चले धरने में अकाली दल ने दमदार उपस्थिति दर्ज करवाई है। इससे अकाली वर्करों में उत्साह भी बढ़ा है। हालांकि आठ दिसंबर की शाम सुखबीर बादल ने अपना धरना उठा लिया। इसी के साथ प्रदेश के विभिन्न जिलों में धरने पर बैठे अकाली वर्करों ने भी धरना खत्म करने की घोषणा कर दी।
कैप्टन ने फिर पकड़ाया उम्मीदों का झुनझुना
इधर, मेले में आए कैप्टन अमरिंदर ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि वह अपना एक भी वादा भूले नहीं है। आठ माह में सभी वादे पूरे करना मुमकिन नहीं है। निकाय चुनावों के बाद किसानों की कर्जमाफी व युवाओं को स्मार्ट फोन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इस दिशा में तेजी काम हो रहा है। यानी युवा और किसान कर्ज माफी व स्मार्ट फोन के लिए निकाय चुनाव के रिजल्ट आने का इंतजार करते रहें।