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सचिन के लिए बदल गया मसूरी, ढह गया ‘ढहलिया बैंक हाउस’

raghvendra
Published on: 6 Oct 2017 10:01 AM GMT
सचिन के लिए बदल गया मसूरी, ढह गया ‘ढहलिया बैंक हाउस’
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देहरादून। मसूरी अब मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के लिए पहले सा आकर्षक शायद ही रहे। तेंदुलकर मसूरी में छुट्टियां बताना पसंद करते थे और अक्सर यहां आते थे। लेकिन यहां ‘सचिन तेंदुलकर का आशियाना’ कहे जाने वाला उनके दोस्त संजय नारंग का बंगला अब वैसा नहीं रह गया है जैसा मास्टर ब्लास्टर इसे पसंद करते थे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुये लंढौर कैंट बोर्ड ने संजय नारंग के बंगले के अवैध निर्माण को ढहा दिया है।

सचिन जब भी छुट्टी मनाने मसूरी आते थे तो इसी बंगले ‘ढहलिया बैंक हाउस’ में ही ठहरते थे। इस पुराने बंगले की मरम्मत के नाम पर संजय नारंग ने इसमें बहुत सारे बदलाव कर दिए थे। दरअसल ढहलिया बैंक हाउस रक्षा मंत्रालय के आइटीएम संस्थान से लगा हुआ है और वक्र्स ऑफ डिफेंस एक्ट के अनुसार सेना की किसी भी संपत्ति से 50 मीटर की दूरी तक किसी भी प्रकार का निर्माण नहीं करवाया जा सकता। इसके लिए रक्षा संपदा अधिकारी एवं आइटीएम से स्वीकृति लेना अनिवार्य है, लेकिन संजय नारंग ने बंगले में तोडफ़ोड़ और निर्माण करते हुए ऐसा नहीं किया था।

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मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था और शीर्ष अदालत ने कैंट बोर्ड को अवैध निर्माण गिराने के आदेश दिए थे। अदालत का आदेश आने के बाद कैंट बोर्ड ने संजय नारंग को 12 दिन में खुद ही अवैध निर्माण धराशाई करने का नोटिस दिया था। ३ अक्टूबर को संजय नारंग के मजदूर भी बंगले के एक हिस्से को तोडऩे में जुट गए तभी लंढौर कैंट बोर्ड के सीईओ जाकिर हुसैन के नेतृत्व में अतिक्रमण विरोधी दस्ता ढहलिया बैंक हाउस पहुंचा। इस दस्ते में बड़ी संख्या में मजदूरों के साथ पुलिस फोर्स भी थी। एसडीएम मीनाक्षी पटवाल भी मौके पर मौजूद रहीं।

जाकिर हुसैन ने बताया कि ढहलिया बैंक हाउस के अवैध निर्माण को तोडऩे में पांच दिन से अधिक का समय लग सकता है, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हर हाल में पालन किया जाएगा और अवैध निर्माण को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया जाएगा।

कैंट सीईओ की सख्ती बेवजह नहीं है। दरअसल लंढौर कैंट के आदेशों को धता बताते हुए संजय नारंग ने पहले न सिर्फ अवैध निर्माण किया था बल्कि फिर मामले को कोर्ट में भी ले गए थे। अब अदालत से अपने पक्ष में फैसला आने के बाद कैंट बोर्ड कतई भी ढील देने के मूड में नहीं है बल्कि सीईओ जाहिर हुसैन तो यह भी कह चुके हैं कि कैंट क्षेत्र में पडऩे वाले संजय नारंग की अन्य पॉपर्टी के खिलाफ भी बोर्ड अदालत में जाएगा। मतलब साफ है कि मसूरी अब सचिन के लिए उतना खूबसूरत शायद ही रहे।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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