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Mustard Oil Price: सरसों के बंपर पैदावार की उम्मीद, तेल की कीमतों में आई नरमी, जानिए आज का भाव
Mustard Oil Price: घरेलू बाजार में तेल की कीमतों में आई नरमी के पीछे आयातित तेल सस्ता होने और तिलहन फसलों का रकबा बढ़ने को जिम्मेदार माना जा रहा है।
Mustard Oil Price: भारत में इसबार तिलहन फसलों से अच्छे पैदावार की उम्मीद है। रकबा अधिक होने के कारण बंपर उपज की आशा है। भारत हर साल भारी मात्रा में खाद्य तेल विदेशों से आयात करता है। ऐसे में घरेलू स्तर पर अच्छा प्रोडक्शन इंपोर्ट बिल कम करने में सहायक रहेगा। खाद्य तेल की कीमतों में टूट का सिलसिला जारी है। बीते कुछ महीनों में खाद्य तेल के दाम 15-20 रूपये सस्ते हुए हैं जबकि खुले बाजार में सरसों तेल का भाव गिरकर 140-180 रूपये प्रति लीटर हो गया, जो एक माह पहले तक 240 रूपये प्रति लीटर था।
घरेलू बाजार में तेल की कीमतों में आई नरमी के पीछे आयातित तेल सस्ता होने और तिलहन फसलों का रकबा बढ़ने को जिम्मेदार माना जा रहा है। खाद्य तेलों के विक्रेता का कहना है कि आयातित खाद्य तेल के दाम कम हुए हैं। मंदी के कारण भाव टूटे हैं। जिसके कारण घरेलू सरसों तेल के दाम भी प्रभावित हो रहे हैं। भारत में सोया एवं पाम तेल इंडोनेशिया एवं मलेशिया से आता है।
उत्पादन में 6 फीसदी बढ़ोतरी का अनुमान
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर के अनुसार, सरसों का उत्पादन पहली बार वार्षिक मांग से अधिक हो सकता है। अगर मौसम अगले एक महीने तक अनुकूल बना रहा तो उत्पादन में 6 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। इस साल उत्पादन 125 लाख टन तक पहुंच सकता है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, चालू रबी सीजन में अभी तक देश में तिलहनों का कुल रकबा बढ़कर 105.49 लाख हेक्टेयर हो गया है, जो साल भर पहले 97.66 लाख हेक्टेयर था।
राजस्थान सबसे बड़ा उत्पादक राज्य
देश में कुल तिलहन उत्पादन का 50 प्रतिशत अकेले राजस्थान में होता है। राज्य में इस बार सरसों का रकबा 39.83 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जो कि एक साल पहले की तुलना में 5 लाख हेक्टेयर अधिक है। बता दें कि भारत में खाद्य तेलों की सालाना खपत करीब 250 लाख टन है, जबकि घरेलू उत्पादन 111.6 लाख टन है। भारत अपनी जरूरतों का 60 प्रतिशत खाद्य तेल आयात करता है।