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विवादों में फंसा माहुल नगर पंचायत का चुनाव, दोनों पक्षों से रिकॉर्ड तलब

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Published on: 15 Dec 2017 8:05 AM GMT
विवादों में फंसा माहुल नगर पंचायत का चुनाव,  दोनों पक्षों से रिकॉर्ड तलब
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संदीप अस्थाना

आजमगढ़। आजमगढ़ की नगर निकायों में नवनिर्वाचित अध्यक्षों व सदस्यों के शपथग्रहण के साथ ही एक बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। जिले में दो नगर पालिका व 11 नगर पंचायतें हैं। इनमें एक माहुल नगर पंचायत इस चुनाव में पहली बार अस्तित्व में आई है। गड़बड़झाला भी इसी नगर पंचायत में ही सामने आया है। यहां से अध्यक्ष पद पर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बदरे आलम निर्वाचित हुए हैं। अब यह बात सामने आई है कि वे माहुल नगर पंचायत के निवासी ही नहीं है। उनका घर माहुल नगर पंचायत से पांच किलोमीटर दूर पवई विकासखंड के फत्तनपुर गांव में है। माहुल नगर पंचायत की मतदाता सूची में उन्होंने अपना नाम किस तरह से दर्ज कराया, इसे लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। प्रशासनिक अमला भी कुछ बोलने की स्थिति में नहीं है।

रमाकांत की पत्नी रहीं चौथे स्थान पर

माहुल नगर पंचायत का चुनाव काफी दिलचस्प रहा है। वजह यह कि यहां पर अध्यक्ष पद के लिए भाजपा के बाहुबली पूर्व सांसद रमाकान्त यादव की पहली पत्नी सत्यभामा यादव मैदान में थी। यह नगर पंचायत फूलपुर-पवई विधानसभा क्षेत्र में पड़ती है। फूलपुर-पवई सीट से भाजपा के विधायक सत्यभामा यादव के बेटे अरुणकान्त यादव हैं। यह रमाकान्त यादव के वर्चस्व वाला क्षेत्र है। इस सीट से जहंा खुद रमाकान्त यादव पांच बार विधायक रह चुके हैं, वहीं उनका बेटा दूसरी बार विधायक है। अरुणकान्त ने अपनी मां को भाजपा के टिकट पर चुनाव जिताने के लिए एड़ी-चोटी एक कर दी।

खुद रमाकान्त यादव भी हर स्तर पर लगे हुए थे। बावजूद इसके सत्यभामा यादव की करारी शिकस्त हुई और वे चौथे स्थान पर रहीं। इसके साथ ही रमाकान्त यादव के जनाधार की भी पोल खुल गयी। इतना ही नहीं राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल को भी अपनी हैसियत का पता चल गया। इस संगठन ने जिस बदरे आलम को अपनी पार्टी से निकाला वही नवसृजित माहुल नगर पंचायत का अध्यक्ष निर्वाचित हो गया।

हारने वाले ने दी नागरिकता को चुनौती

नवगठित माहुल नगर पंचायत के अध्यक्ष पद का चुनाव हारने वाले ओमप्रकाश जायसवाल ने चुनाव जीतने वाले बदरे आलम की नागरिकता को चुनौती दी है। उन्होंने डीएम, एसडीएम सहित सभी संबंधित लोगों को दिए गए प्रार्थनापत्र में आरोप लगाया है कि बदरे आलम मूल रूप से माहुल नगर पंचायत के निवासी ही नहीं हैं। साथ ही माहुल में उनकी कोई चल-अचल सम्पत्ति भी नहीं है। वह मूल रूप से माहुल नगर पंचायत से पांच किलोमीटर दूर स्थित फत्तनपुर गांव के रहने वाले हैं। यह भी दावा किया गया है कि फत्तनपुर गांव की ही मतदाता सूची के आधार पर बदरे आलम 2015 में राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के प्रत्याशी के रूप में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़े और हार गये।

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ऐसी स्थिति में वह माहुल नगर पंचायत का चुनाव लडऩे की अर्हता ही नहीं रखते हैं। उनका कहना है कि इन स्थितियों के बीच बदरे आलम का नाम माहुल नगर पंचायत की मतदाता सूची में कैसे आ गया और वह यहां से चुनाव कैसे लड़ सकते थे। ओमप्रकाश ने यह भी दावा किया है कि माहुल कस्बे के बीएलओ को भी यह जानकारी नहीं है कि बदरे आलम का नाम माहुल की मतदाता सूची में कैसे आया। उनका कहना है कि आलम के माहुल का निवासी न होने का उनके पास पर्याप्त साक्ष्य है। उनका कहना है कि जब तक उनको न्याय नहीं मिलेगा तब तक वह चैन से बैठने वाले नहीं हैं। यदि न्याय के लिए उनको हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ेगा तो वह वहां भी जाएंगे।

दोनों पक्षों से रिकॉर्ड तलब

एसडीएम फूलपुर अनिल कुमार सिंह ने ओमप्रकाश जायसवाल की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए दोनों पक्षों से रिकॉर्ड तलब किया है। इस बाबत पूछे जाने पर एसडीएम ने कहा कि जब बदरे आलम का नाम मतदाता सूची में था तो प्रशासन उन्हें चुनाव लडऩे से कैसे रोक सकता था। साथ ही चुनाव जीत जाने के कारण शपथ दिलाने में भी अवरोध नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वैसे उन्होंने शिकायत को गंभीरता से लिया है और दोनों पक्षों से रिकॉर्ड तलब किया है। हर तथ्य की गहन जांच-पड़ताल के बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

नवनिर्वाचित अध्यक्ष को झेलनी पड़ेगी कई चुनौतियां

माहुल नगर पंचायत के नवनिर्वाचित अध्यक्ष बदरे आलम को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। उनसे पटखनी खाए ओमप्रकाश जायसवाल हर स्तर पर उन्हें जवाब देने में लगे हुए हैं। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है, इस कहावत की तर्ज पर कई प्रमुख लोग ओमप्रकाश के साथ खड़े हो जाएंगे। भाजपा के बाहुबली पूर्व सांसद रमाकान्त यादव चुनावी हार व जीत को दिल से लेकर चलते हैं। वह अपने वर्चस्व वाले इलाके में अपनी पत्नी सत्यभामा यादव की हार को इतनी आसानी से नहीं पचा पाएंगे और बदरे आलम के सामने हर वक्त कठिनाई खड़ी करेंगे। इस समय देश व प्रदेश में भाजपा की सरकार है। रमाकान्त के पुत्र अरुणकान्त यादव इसी क्षेत्र से भाजपा के विधायक हैं। ऐसे में वे भी हर कदम पर कठिनाई खड़ी करेंगे।

रमाकान्त के लोग भी इस हार को रमाकान्त की प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं। यह बदरे आलम के लिए और भी बड़ी समस्या है। इसके साथ ही राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आमिर रशादी भी बदरे आलम से खार खाए बैठे हैं। उन्हें यह हजम ही नहीं हो रहा है कि जिसे वह दल से निकालें वह नगर पंचायत अध्यक्ष कैसे हो गया। आमिर रशादी व रमाकान्त यादव के बीच भले ही दिखावे की दुश्मनी है मगर दोनों के बीच के बेहतर रिश्ते कई बार जगजाहिर हो चुके हैं। रमाकान्त व रशादी का गठजोड़ भी बदरे आलम के लिए बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।

शिकायतकर्ता को न्यायालय जाना चाहिए

पंचस्थानिक सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी राकेश कुमार सिंह का कहना है कि शिकायतकर्ता को न्यायालय जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक चुनाव परिणाम घोषित नहीं होता तभी तक प्रशासनिक स्तर पर कुछ हो सकता है। चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद प्रशासनिक स्तर पर कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। ऐसे में शिकायतकर्ता को यहां-वहां भटकने की बजाय सीधे कोर्ट में जाना चाहिए। कोर्ट में भी परिणाम घोषित होने के एक माह के अंदर ही अपील की जा सकती है। यह समयसीमा बीतने के बाद कोर्ट में भी कोई सुनवाई नहीं होगी।

ओमप्रकाश पर मुकदमा दायर करेंगे बदरे आलम

माहुल के नवनिर्वाचित नगर पंचायत अध्यक्ष बदरे आलम का कहना है कि वह शिकायतकर्ता ओमप्रकाश जायसवाल के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दाखिल करेंगे। उनका कहना है कि वह लम्बे समय से माहुल कस्बे के जाकिर नगर मुहल्ले में रह रहे हैं। उनके पास अपने तथ्य के समर्थन में सारे आवश्यक अभिलेख मौजूद हैं जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि वे माहुल नगर पंचायत के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि फत्तनपुर में उनका पैतृक आवास जरूर है मगर वह खंडहर हो चुका है तथा उनके परिवार का कोई सदस्य वहंा नहीं रहता है।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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