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खत्म होने को है नैनो का सफर

raghvendra
Published on: 6 July 2018 1:42 PM IST
खत्म होने को है नैनो का सफर
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नई दिल्ली: टाटा मोटर्स की बहुप्रचारित छोटी कार नैनो अब अंतिम सांसें गिन रही है। इस छोटी कार का सफर खत्म होता नजर आ रहा है। इस कार का उत्पादन लगातार गिरता जा रहा है। हालत यह है कि जून महीने में सिर्फ एक नैनो कार बनी। वैसे इस बाबत कंपनी का कहना है कि अभी नैनो का उत्पादन रोकने के बारे में कोई औपचारिक फैसला नहीं किया गया है।

जिस समय नैनो कार का उत्पादन शुरू किया गया था उस समय यह बात सामने आई थी कि लोगों को सस्ती कार मुहैया कराना रतन टाटा का सपना है, लेकिन इस कार को ज्यादा कामयाबी नहीं मिली। कंपनी को इस मामले में लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली। बीते महीने घरेलू बाजार में सिर्फ तीन नैनो गाडिय़ां बिकी हैं। टाटा मोटर्स ने शेयर बाजारों को सूचित किया है कि जून महीने में उसने नैनो का कोई निर्यात नहीं किया। घटती बिक्री का ही नतीजा है कि पिछले महीने केवल एक नैनो बनी जबकि जून 2017 में यह संख्या 275 रही थी। पिछले जून में सिर्फ तीन नैनो बिकीं जबकि एक साल पहले यह संख्या 167 रही थी।

डीलरों ने वापस की कार

नैनो कार का उत्पादन रोकने के संबंध में टाटा मोटर्स के एक प्रवक्ता ने कहा कि हम जानते हैं कि मौजूदा प्रारूप में नैनो 2019 के बाद जारी नहीं रह सकती। हमें नए निवेश की जरूरत हो सकती है। वैसे इस बाबत अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। टाटा मोटर्स की महत्वाकांक्षी कार नैनो का निर्यात इस साल की शुरुआत से ही ठप पड़ा है। हालत यह है कि डीलरों ने कार को बाजार से वापस कर दिया था। माना जा रहा है कि निर्यातक देशों से चरणबद्ध तरीके से कार की वापसी के चलते अब इसका उत्पादन पूरी तरह से बंद हो सकता है।

निर्यात में भारी गिरावट

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफेक्चर्स के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल अप्रैल से दिसंबर के बीच नैनो के निर्यात में 75 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी। इस दौरान केवल 1708 कारें ही निर्यात की गयीं जबकि एक साल पहले यानी 2016 में यह आंकड़ा 6714 कार का था। जनवरी 2018 के बाद से एक भी नैनो कार का निर्यात नहीं किया गया है। टाटा मोटर्स ने नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों में नैनो को लॉन्च किया था। नेपाल से कार वापस ले ली गई है, लेकिन बांग्लादेश और श्रीलंका में कार अभी भी मौजूद है। हाल ही में समाप्त हुई मार्च तिमाही में टाटा मोटर्स ने फैसला लिया था कि वह भविष्य के व्यवहारिक कार्यक्रमों को आगे बढ़ाएगी। यही कारण है कि कंपनी अपने ऐसे मॉडलों को बंद करने जा रही है जो कंपनी पर बोझ बन चुके हैं।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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