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सरकार सबकी सुनती है, देश के लिए काम करने में गुस्सा झेलना पड़ता है: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि देश के लिए काम करने में काफी गुस्सा झेलना पड़ता है, कई लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है इसके अलावा कई आरोपों से गुजरना पड़ता है।

Aditya Mishra
Published on: 20 Dec 2019 8:41 AM GMT
सरकार सबकी सुनती है, देश के लिए काम करने में गुस्सा झेलना पड़ता है: पीएम मोदी
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि देश के लिए काम करने में काफी गुस्सा झेलना पड़ता है, कई लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ती है इसके अलावा कई आरोपों से गुजरना पड़ता है। भांति-भांति के आरोपों से गुजरना पड़ता है लेकिन ऐसा इसलिए संभव हो पाता है क्योंकि देश के लिए करना है।

ये बातें पीएम मोदी ने ‘100 साल एसोचैम (एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया)' कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने यहां कहा कि एसोचैम ने आज एक अहम पड़ाव को पार किया है।

100 वर्ष का अनुभव बहुत बड़ी पूंजी होता है। मैं एसोचैम के सभी सदस्यों को इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि क्या उद्योग जगत नहीं चाहता था कि देश में टैक्स का जाल कम हो।

हर राज्य में अलग अलग दरों की परेशानी से उसे मुक्ति मिले। हम जीएसटी लाए। व्यापार जगत से जो भी फीडबैक मिला, हम जीएसटी में आवश्यक चीजें जोड़ते रहे। उसमें जरूरी परिवर्तन करते रहे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा

अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि 70 साल की आदत को बदलने में समय लगता है। उन्होंने कहा कि पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की बात अचानक नहीं आई है। बीते पांच साल में देश ने खुद को इतना मजबूत किया है कि ऐसे लक्ष्य रखे भी जा सकते हैं और उन्हें प्राप्त भी किया जा सकता है।

पीएम मोदी ने कहा कि मैं इस कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों को, विशेष रूप से एमएसएमई क्षेत्र से संबंधित लोगों को बधाई देता हूं। मैं हर किसी को 2020 के लिए शुभकामनाएं देता हूं और मुझे उम्मीद है कि आप सभी को अपने सभी लक्ष्यों का एहसास होगा।

‘सरकार सबकी सुनती है’

मोदी ने कहा, ‘‘सौ साल की यात्रा मतलब आपने तीन शताब्दियों के दर्शन किए। भारत का आजादी आंदोलन देखा है और आजाद भारत को भी देखा है। भारत की विकास यात्रा का जो इतिहास रहा है, उसके साथ आपकी संस्थागत यात्रा का भी एक सहयात्री के रूप में योगदान रहा है।

आज देश की सरकार किसान, मजदूर, व्यापारियों और उद्योग जगत को सुनती है और उनकी जरूरतों को समझती है। हम संवेदनशीलता से काम करते हैं। क्या उद्योग जगत नहीं चाहता था कि देश में टैक्स का जाल कम हो। हमारी सरकार ने दिन-रात एक कर आपकी इस मांग को पूरा किया। इसके लिए हम जीएसटी लाए।’’

‘हर बात में अच्छाई ढूंढता हूं’

मोदी ने कहा, ‘‘भारत की अर्थव्यवस्था को दोगुना करने के लिए हमारे प्रयास दिल्ली तक सीमित नहीं हैं। इसके लिए अन्य राज्यों में भी निर्माण समेत अन्य विकास कार्य किए जा रहे हैं। अर्थव्यवस्था को लेकर आज जो चर्चाएं हो रहीं हैं, मैं वह सब जानता हूं। उन्हें चुनौती भी नहीं देता। हर बात में अच्छाई ढूंढता हूं और उसी के साथ आगे बढ़ता हूं।

इन चर्चाओं के बीच यह भी देखना होगा कि पिछली सरकारों में एक तिहाई में जीडीपी की हालत बहुत खराब थी। फिस्कल जीडीपी 5.76% तक चली गई थी। मैं इस बात में नहीं पड़ता कि उस समय लोग क्यों चुप थे।

देश की अर्थव्यवस्था में पहली भी उतार चढ़ाव आए, लेकिन देश में वो ताकत है कि ऐसी परिस्थिति से निकल सके। देश हमेशा नई ताकत और ज्यादा विकास के साथ उभरकर सामने आता है। इस बार भी ऐसा ही होगा। भविष्य के लिए हमारे हौसले और भी ज्यादा बुलंद हैं।’’

‘5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्थी की बात होने लगी है’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जब तक पूरा देश लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी जिम्मेदारी समझकर सक्रियता नहीं लाता, तो वह एक सरकारी कार्यक्रम बन जाता है।

5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य जब मैंने सार्वजनिक रूप से कहा तो मुझे पता था कि सुगबुगाहट शुरू हो जाएगी। ऐसा भी कहा जाएगा कि भारत ऐसा नहीं कर सकता। लेकिन आजकल अर्थव्यवस्था को गति देने वाले सभी समूह 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था को लेकर चर्चा करते हैं। हमारे देश में सामर्थ्य है, उस सामर्थ्य के भरोसे हमें आगे बढ़ना है तो लक्ष्य, दिशा और मंजिल को जनसामान्य से जोड़ना ही चाहिए।’’

‘लोगों का जीवन आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध’

प्रधानमंत्री के मुताबिक, ‘‘मौजूदा सरकार उद्योग जगत से सबसे कम कॉर्पोरेट टैक्स ले रही है। लेबर रिफॉर्म्स की बात देश में चली है। कुछ लोग मानते थे कि इस क्षेत्र में कुछ न करना ही मजदूरों की भलाई है।

यानी मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दें। 5-50 जो मुखिया हैं, उन्हीं का भला हो। लेकिन मजदूरों का भला किए बिना हम 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी का लक्ष्य पार नहीं कर सकते।

हम चाहते हैं उनका जीवन आसान हो, प्रोविडेंट फंड मिले, स्वास्थ्य सेवाओं का फायदा मिले। इसके लिए सरकार ने काम किया है। सिर्फ बुद्धि के साथ कोई उद्योग सफल नहीं करता, पैसों का ढेर लगाने वाला बिजनेस सफल नहीं होता। सिर्फ पसीना बहाने वाला सब सफल नहीं कर सकता। हमें सबके साथ मिलकर काम करना होगा।’’

पीएम नरेंद्र मोदी

‘हर काम बताऊंगा तो लंच नहीं कर पाएंगे’

मोदी ने कहा, ‘‘जो चीजें पहले असंभव लगती थीं, उन्हें देश ने संभव किया है। 60 महीने में 60 करोड़ आबादी को खुले में शौच से मुक्ति दिलाना असंभव था। आज यह संभव हुआ है। तीन साल से भी कम समय में 8 करोड़ घरों तक गैस कनेक्शन पहुंचाया।

पहले देश की एक बड़ी आबादी तक डिजिटल बैंकिंग को पहुंचाना असंभव लगता था, आज देश में हर रोज करोड़ों डिजिटल ट्रांजैक्शन हो रहे हैं। यह किसने सोचा था, लेकिन आज हो रहा है।

बेघरों को पक्का घर देना असंभव लगता था। बीते 6 महीने की बात करूं तो सरकार ने जो भी किया है उसका उदाहरण दूंगा, तो आपको लंच ब्रेक में देरी हो जाएगी।’’

Aditya Mishra

Aditya Mishra

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