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सांसदों को 50 हजार मिलता है वेतन, फिर भी बढ़ाने की मांग कर रहे नरेश अग्रवाल
नई दिल्ली : राज्यसभा में शुक्रवार को समाजवादी पार्टी ने सांसदों के वेतन बढ़ोतरी का मामला उठाया। सभापति एम.वेंकैया नायडू ने आश्वस्त किया कि वह इस मामले को सरकार के समक्ष लाएंगे। सपा नेता नरेश अग्रवाल ने इस मुद्दे को उठाया और कई सदस्यों ने पार्टी लाइन से परे इसका समर्थन किया।
अग्रवाल ने कहा, "पूर्व सदस्य योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने वेतन वृद्धि की सलाह दी थी और यह सलाह दी गई थी कि सातवें वेतन आयोग के मुताबिक वेतन में बढ़ोतरी की जानी चाहिए और कैबिनेट सचिव के वेतन से सांसदों का वेतन एक रुपये ज्यादा होना चाहिए।"
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अग्रवाल ने कहा कि यहां तक कि मीडियाकर्मियों को भी एक सांसद से ज्यादा वेतन मिलता है। सदन को मीडिया की आलोचना की चिंता नहीं करनी चाहिए।
नायडू ने कहा, "यह गंभीर मामला है। संसदीय मामलों के पूर्व मंत्री होने के नाते, मैंने इसे पढ़ा है। मैं इस मुद्दे को सदन के नेता के समक्ष उठाऊंगा।"
इस मुद्दे को संसद के मानसून सत्र में भी उठाया गया था और सांसदों पर वेतन व भत्तों पर संयुक्त समिति ने 2016 में इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय को प्रस्ताव भेजा था।
प्रस्ताव में सांसदों के वेतन दोगुना करने का प्रावधान है। भत्ता और संसद अधिनियम, 1954 के अनुसार, उनके कार्यकाल के दौरान सांसदों का मासिक वेतन 50,000 रुपये है।
कार्य पर रहने के दौरान इन्हें प्रतिदिन 2 हजार रुपये का भत्ता दिया जाता है और यह दैनिक भत्ता इसके लिए तय रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने के बाद दिया जाता है। इसके अलावा, सांसदों को प्रतिमाह 45,000 रुपये, निर्वाचन क्षेत्र भत्ता और 45,000 रुपये का कार्यालय संचालन भत्ता मिलता है।
इन सब के अलावा, स्टेशनरी सामग्री व डाक खर्च के रूप में 15,000 रुपये दिए जाते हैं।