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दुनिया में योग के बाद आयुर्वेद में भी भारत का अव्वल स्थान
जयपुर: योग के बाद बीमारियों के उपचार में आयुर्वेद की अहमियत को अब दुनिया स्वीकार कर रही है। इस क्रम में मधुमेह (शुगर) के इलाज में दुनिया भर में आयुर्वेदिक दवाओं पर चल रहे शोध पर बैंकाक में गुरुवार को सम्मेलन होने जा रहा है। सम्मेलन में मधुमेह के इलाज के लिए भारत में विकसित कई आयुर्वेदिक दवाओं पर चर्चा होगी।
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गौरतलब है कि एलोपैथिक में मधुमेह का कोई स्थायी उपचार नहीं है। एलोपैथिक में मरीज को केवल इंजेक्शन से इंशुलिन दिया जाता है। लेकिन स्थायी उपचार के लिए पूरी दुनिया अब आयुर्वेद की तरफ देख रही है और इसके लिए भारत समेत कई देशों में शोध हो रहे हैं। सम्मेलन में अमेरिका की सेंट क्लाउड यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ एक हर्बल पौधे से मधुमेह टाइन-1 के उपचार की दिशा में अब तक हुए शोध पर प्रकाश डालेंगे। सम्मेलन में जापान, अमेरिका, ब्रिटेन, ईरान, फ्रांस समेत कई देशों के चिकित्सा विज्ञानी शिरकत करेंगे। आयुर्वेद की जननी भारत के आधा दर्जन से ज्यादा शोध संस्थान और विशेषज्ञ इसमें भाग लेंगे।
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पिछले दिनों सीएसआइआर के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित मधुमेह रोधी दवा बीजीआर-34 पर भी इसमें चर्चा होगी। दरअसल, विशेषज्ञों की तरफ से इस दवा के नियंत्रित ट्रायल का ब्योरा यहां रखा जाएगा जिसमें इसके रोगियों पर प्रभाव और सुरक्षा से जुड़े आंकड़े शामिल होंगे। दरअसल, अभी तक आयुर्वेदिक दवाओं के ट्रायल नहीं होते थे लेकिन यह दवा ट्रायल कर तैयार की गई है। इसी प्रकार आयुर्वेद से मधुमेह के उपचार पर शोध कर रहे केरल विश्वविद्यालय, कोट्टयम कॉलेज, गुवाहाटी विश्वविद्यालय भी अपना शोध पत्र रखेंगे। गुवाहाटी विवि ने हरड़ से मधुमेह रोधी फार्मूला तैयार करने में सफलता हासिल की है।
डायबिटीज से संबंधित अब तक कोई आयुर्वेदिक उपचार नहीं किया गया है। भारत समेत कई देशों में इसके लिए शोध किए गए हैं। इस सम्मेलन में भारत के करीब आधा दर्जन संस्थान अपने शोध की रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।