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National Herald Case: जानें क्या है नेशनल हेरोल्ड मामला? कितनी बढ़ सकती है गांधी परिवार की परेशानी

National Herald Case: आज हम आपको नेशनल हेराल्ड से जुड़े उसी मामले को बताने जा रहे हैं, जिसमें गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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Published on: 13 Jun 2022 3:58 PM IST (Updated on: 13 Jun 2022 6:11 PM IST)
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नेशनल हेराल्ड मामला (फोटो-सोशल मीडिया)

National Herald case: प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने बुधवार, 1 जून को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) और उनके पुत्र तथा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को समन भेजा है। दोनों नेताओं को ये समन नेशनल हेराल्ड मामले में भेजा गया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कांग्रेस नेताओं को 8 जून को तलब किया है। ED इनसे पूछताछ करेगी। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने जिस नेशनल हेराल्ड मामले में राहुल और सोनिया गांधी को समन भेजा है, क्या आपको पता है कि ये मामला क्या है?

आज हम आपको नेशनल हेराल्ड से जुड़े उसी मामले को बताने जा रहे हैं, जिसमें गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। तो चलिए जानते हैं कि क्या है 'नेशनल हेराल्ड केस' और इसमें गांधी परिवार (Gandhi Family) की मुश्किलें कितनी बढ़ सकती हैं?

क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
What is the National Herald case?

ज्यादा तकनीकी न होते हुए साधारण और आसान शब्दों में कहें तो नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) इक्विटी लेनदेन (Equity Transaction) से संबंधित है। अब सवाल उठता है कि, इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी की क्या भूमिका है? आपको बता दें कि, दोनों कांग्रेस नेताओं पर 'एसोसिएटेड जर्नल्स' (Associated Journals) की करीब 2,000 करोड़ रुपए से भी अधिक की संपत्ति का कथित रूप से केवल 50 लाख रुपए का भुगतान करके हेराफेरी करने का आरोप है।

क्या है कांग्रेस के खिलाफ आरोप:

गांधी परिवार के खिलाफ मामला 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा निचली अदालत में लाया गया था। श्री स्वामी ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने कांग्रेस पार्टी के फंड का इस्तेमाल किया और संपत्ति संपत्ति में 20 अरब रुपये से अधिक का अधिग्रहण करने के लिए एजेएल को अपने कब्जे में ले लिया।

2008 में नेशनल हेराल्ड को बंद करने के समय, AJL पर कांग्रेस पर 900 मिलियन रुपये का संचित ऋण बकाया था। 2010 में, कांग्रेस ने यह कर्ज यंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा, जो एक गैर-लाभकारी कंपनी थी, जिसे कुछ महीने पहले बनाया गया था। सोनिया और राहुल गांधी इसके निदेशक मंडल में शामिल हैं और इनमें से प्रत्येक के पास कंपनी का 38% हिस्सा है।

शेष 24% का स्वामित्व कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और उद्यमी सैम पित्रोदा के पास है, जिनका नाम भी इस मामले में है।

कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड को वित्त पोषित किया

श्री स्वामी ने आरोप लगाया कि गांधी परिवार ने छल-कपट का इस्तेमाल करके लाखों की संपत्ति को "दुर्भावनापूर्ण" तरीके से "अधिग्रहण" किया। भाजपा नेता ने आरोप लगाया कि यंग इंडिया ने एजेएल और दिल्ली, लखनऊ, मुंबई और अन्य शहरों में स्थित उसकी अचल संपत्ति पर पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया है।

सुब्रमण्यम स्वामी ने दर्ज कराई थी शिकायत

भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता सुब्रमण्यम स्वामी (BJP Leader Subramanian Swamy) ने साल 2012 में एक निचली अदालत में इस मामले से जुड़ी शिकायत दर्ज करवाई थी। स्वामी ने आरोप लगाया था कि, यंग इंडियन लिमिटेड (Young India Limited) द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण (Acquisition) में कांग्रेस नेताओं ने धोखाधड़ी (Fraud) और विश्वासघात में शामिल थे। बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि यंग इंडिया लिमिटेड ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति को दुर्भावना भरे तरीके से हड़प लिया।

स्वामी ने किन पर लगाए आरोप?

बीजेपी नेता स्वामी के नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी (Sonia Gandhi), राहुल गांधी (Rahul Gandhi), मोतीलाल वोरा (Motilal Vora), ऑस्कर फर्नांडीस (Oscar Fernandes), एक पत्रकार सुमन दुबे (Suman Dubey) और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा (Sam Pitroda) को नामजद किया गया है।

इस केस से जुड़े हैं ये तीन नाम

यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जब भी नेशनल हेराल्ड केस की बात होती है आपको तीन प्रमुख नाम सुनने को मिलेंगे। ये हैं, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (Associated Journals Limited) , यंग इंडिया लिमिटेड (Young India Limited) और कांग्रेस पार्टी (Congress Party)।

जानें नेशनल हेराल्ड का इतिहास?
Know the history of National Herald?

उल्लेखनीय है कि, नेशनल हेराल्ड (National Herald) समाचार पत्र को 1938 में शुरू किया गया था। नेशनल हेराल्ड की स्थापना जवाहरलाल नेहरू सहित अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी। इस अखबार को उस वक़्त निकालने का मकसद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) में लिबरल ब्रिगेड की चिंताओं को आवाज देना था।

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) द्वारा प्रकाशित यह अखबार आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी का 'मुखपत्र' बन गया। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने दो अन्य अख़बार भी प्रकाशित किए। जिसमें एक हिंदी और दूसरा एक उर्दू में था। साल 2008 में यह अखबार 90 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज के साथ बंद हो गया।

क्या है एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड?
What is Associated Journals Limited?

सवाल ये है कि, आखिर एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) है क्या? आपको बता दें कि, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड जवाहरलाल नेहरू के दिमाग की उपज थी। वर्ष 1937 में नेहरू ने अपने शेयरधारकों के रूप में 5,000 अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ इस फर्म की शुरुआत की थी। यह कंपनी विशेष तौर पर किसी व्यक्ति से संबंधित नहीं थी। साल 2010 में इस कंपनी के तक़रीबन 1,057 शेयरधारक थे। घाटे के बाद 2011 में इसकी होल्डिंग (Holding) यंग इंडिया (Young India) को हस्तांतरित (Transferred) कर दी गई।

AJL ने तीनों दैनिक को फिर से शुरू करने का फैसला किया

एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) ने साल 2008 तक अंग्रेजी में 'नेशनल हेराल्ड' अखबार, उर्दू में 'कौमी आवाज' और हिंदी में 'नवजीवन प्रकाशित किया। मगर, 21 जनवरी 2016 को एजेएल ने इन तीन दैनिक समाचार पत्रों को फिर से शुरू करने का फैसला किया।

क्या है यंग इंडिया लिमिटेड?
What is Young India Limited?

यंग इंडिया लिमिटेड (YIL) की स्थापना साल 2010 में हुई। इसमें उस वक़्त के कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी एक निदेशक के रूप में शामिल हुए थे। जहां राहुल गांधी और उनकी माता सोनिया गांधी के पास कंपनी के 76 प्रतिशत शेयर हैं। जबकि, शेष 24 फीसद कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा (Motilal Vora) और ऑस्कर फर्नांडीस (Oscar Fernandes) के पास हैं। बता दें कि, इस कंपनी का कोई कमर्शियल संचालन नहीं है।

ED ने 2014 में जांच शुरू की

प्रवर्तन निदेशालय ने 2014 में यह देखने के लिए इस मामले की जांच शुरू की, कि क्या इस मामले में कोई मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) हुई है। जिसके बाद 18 सितंबर 2015 को यह बताया गया कि प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड मामले में अपनी जांच फिर से खोल दी थी। इसी के तहत 8 जून को सोनिया और राहुल गांधी को पेश होने के लिए सामान भेजा गया है।



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Vidushi Mishra

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