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National Herald Case: क्या ED की कार्रवाई मृतप्राय कांग्रेस को देगी संजीवनी?

National Herald Case: कांग्रेस के लिए नेशनल हेराल्ड केस एक संजीवनी बनेगी। राहुल गांधी अपनी दादी के कौशल को दोहरा सकते हैं। क्या वे 2024 में पीएम मोदी को देश की सत्ता से बेदखल कर सकते हैं।

Krishna Chaudhary
Published on: 13 Jun 2022 5:14 PM IST
National Herald Case
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ईडी की कार्रवाई मृतप्राय कांग्रेस को देगी संजीवनी। 

National Herald Case: ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों ने जब भी किसी विपक्षी नेता पर कार्रवाई की है, तो रिएक्शन यही आया कि केंद्र सरकार (Central Government) इन जांच एजेंसियों का इस्तेमाल बदले की राजनीति के लिए कर रही है। विपक्ष शासित राज्यों में चुनाव से पहले इन एजेंसियों के द्वारा की गई कार्रवाईयों ने उन्हें नुकसान कम फायदा अधिक पहुंचाया है। तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल इसके उदाहरण हैं। इसबार केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस का प्रथम परिवार यानि गांधी परिवार है। तो सवाल उठता है कि क्या उनके लिए भी यह कार्रवाई किसी संजीवनी की तरह काम करेगी।

गांधी परिवार (Gandhi Family) नेशनल हेराल्ड केस (National Herald Case) में बुरी तरह घिरता नजर आ रहा है। लेकिन इस परिवार ने अतीत में भी ऐसे कई विपरित परिस्थितियों का सामना किया है, जब वो सत्ता से बाहर रहा है। ऐसे समय में उन्होंने कुशल राजनीति का परिचय देते हुए कानूनी कार्रवाईयों और अदालतों के मामलों का इस्तेमाल इस तरह से किया कि देश की सियासत में एकबार फिर उनकी मजबूत वापसी हुई। राहुल गांधी की दादी पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ऐसा कर चुकी हैं।

इंदिरा गांधी ने ऐसे पलटा था पाशा

देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Former Prime Minister Indira Gandhi) आपातकाल के बाद विपक्ष में रहने के दौरान ऐसी ही मुश्किल परिस्थितियों से गुजर रही थीं। उनके छोटे बेटे संजय गांधी 1978 में कई बार अदालतों के चक्कर लगा चुके थे और जेल भी जा चुके थे। उसी वर्ष एक शाम सीबीआई के अफसर उनके घर आ धमके और उनकी गिरफ्तारी के बारे में बताया। अपने राजनीतिक विरोधियों को ठिकाना लगाने में माहिर इंदिरा इससे तनिक भी विचलित नहीं हुईं। उन्होंने इस घटनाक्रम का राजनीतिक लाभ लेने का मन बना लिया था।

इंदिरा (Former Prime Minister Indira Gandhi) तब गिरफ्तार करने आए अफसर एनके सिंह से कहा था कि जब तक वो हथकड़ी नहीं लगाएंगे, तब तक वो नहीं जाएंगी। इस दौरान उनके बेटे संजय गांधी (Sanjay Gandhi) ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को उनके घर के बाहर जमा होने के लिए संदेशा भिजवाया। इसके अलावा स्थानीय मीडिया को भी वहां बुला लिया गया। देखते ही देखते इंदिरा के घर के बाहर उनके समर्थकों को हुजूम उमड़ पड़ा। इस दौरान जमकर नारेबाजी और हंगामा हुआ। इंदिरा गांधी (Former Prime Minister Indira Gandhi) जानबूझकर गिरफ्तारी देने में देरी कर रही थीं, ताकि अधिक से अधिक संख्या में मीडिया वहां जमा हो सके। उन्होंने पूछा कि अरेस्ट वारंट कहां है, एफआईआर की कॉपी कहां है। सीबीआई की टीम ये सब दस्तावेज दिखाने में संघर्ष करती नजर आ रही थी।

इंदिरा गांधी (Former Prime Minister Indira Gandhi) को बाद में गिरफ्तार किया गया। उन्हें हथकड़ी में मीडिया और कांग्रेस समर्थकों के बीच से ले लाया जाया गया। इंदिरा गांधी को तिहाड़ जेल के उसी बैरक में रखा गया था, जहां आपातकाल के दौरान पूर्व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडिस को रखा गया था. उस वक्त सोनिया गांधी, इंदिरा के लिए दिन में तीन बार घर से खाना लेकर आती थीं। इस राजनीतिक घटनाक्रम ने देश के सियासी मूड को बदलने में अहम रोल किया था। साल 1980 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी (Former Prime Minister Indira Gandhi) को इसका तगड़ा सियासी लाभ हुआ था।

ऐसे में अब सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस नेशनल हेराल्ड केस के लिए एक संजीवनी बनेगी। क्या राहुल गांधी अपनी दादी के कौशल को दोहरा सकते हैं। क्या वे 2024 में पीएम मोदी को देश की सत्ता से बेदखल कर सकते हैं । हालांकि, 1978-80, 2022 नहीं है। देश के कई हिस्सों में मृतप्राय बन चुकी कांग्रेस के लिए यह करिश्मा दिखाना बेहद मुश्किल है।



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Deepak Kumar

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