Supreme Court: सहारा 15 दिन में एक हजार करोड़ रुपये जमा करे, जमीन की डील करे : सुप्रीमकोर्ट

Supreme Court: साथ ही सहारा को मुंबई के वर्सोवा में अपनी जमीन के डेवलपमेंट के लिए एक संयुक्त उद्यम करने की अनुमति दी, ताकि 10,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकें।

Neel Mani Lal
Published on: 6 Sep 2024 5:54 AM GMT
Supreme Court ( Pic -Social- Media)
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Supreme Court ( Pic -Social- Media)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सहारा ग्रुप को 15 दिनों के भीतर एक अलग एस्क्रो खाते में 1,000 करोड़ रुपये जमा करने का निर्देश दिया है। साथ ही सहारा को मुंबई के वर्सोवा में अपनी जमीन के डेवलपमेंट के लिए एक संयुक्त उद्यम करने की अनुमति दी, ताकि 10,000 करोड़ रुपये जुटाए जा सकें।


निवेशकों का पैसा देना है

शीर्ष अदालत के 2012 के आदेश का अनुपालन में सहारा ग्रुप को निवेशकों का पैसा लौटाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा करना है।न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि अगर संयुक्त उद्यम/विकास समझौता 15 दिनों के भीतर अदालत में दाखिल नहीं किया जाता है, तो कोर्ट वर्सोवा में 12.15 मिलियन वर्ग फीट जमीन को ‘जैसा है, जहां है’ के आधार पर बेच देगा।


क्या कहा कोर्ट ने

सुप्रीमकोर्ट ने कहा - “हम एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल (दोनों सहारा समूह की कंपनियां) को अदालत में दिए गए बयान का अनुपालन करने के लिए 15 दिनों का समय देते हैं। यदि संयुक्त उद्यम/विकास समझौता 15 दिनों के भीतर दाखिल नहीं किया जाता है, तो यह न्यायालय वर्सोवा भूमि को उसी स्थिति बेचने के लिए स्वतंत्र होगा। पीठ ने कहा, "तीसरे पक्ष द्वारा जमा किए जाने वाले 1,000 करोड़ रुपये एस्क्रो खाते में रखे जाएंगे, यदि इस न्यायालय द्वारा (संयुक्त उद्यम समझौते के लिए) अनुमोदन/अनुमति नहीं दी जाती है, तो राशि उक्त तीसरे पक्ष को वापस कर दी जाएगी।"


शीर्ष अदालत ने सहारा समूह की कंपनियों सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईसीएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को एंबी वैली परियोजना सहित अन्य संपत्तियों के विकास के लिए संयुक्त उद्यम समझौता करने की भी अनुमति दी है। इन कंपनियों को 2012 में करीब 25,000 करोड़ रुपये जमा कराने का निर्देश दिया गया था।

इजाजत लेनी होगी

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संयुक्त उद्यम/विकास समझौते करने से पहले न्यायालय की अनुमति लेनी होगी। कोर्ट ने कहा कि सहारा समूह द्वारा किसी भी संपत्ति की बिक्री से प्राप्त धन को सेबी-सहारा रिफंड खाते में जमा किया जाना चाहिए।


सेबी और सहारा के वकीलों की पूरे दिन की सुनवाई के बाद पीठ ने निर्देश दिया कि बिक्री लेनदेन सर्किल रेट से ऊपर या 10 प्रतिशत नीचे होना चाहिए। यदि बिक्री लेनदेन सर्किल रेट से 10 प्रतिशत नीचे है, तो न्यायालय की पूर्व अनुमति ली जाएगी।

सहारा को चेतावनी

पीठ ने सहारा समूह की कंपनियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा, "आप गहरे संकट में हैं। लेकिन, हम अभी भी आपको उम्मीद दे रहे हैं। 10 साल बाद भी हम आपको मोहलत दे रहे हैं। 10 साल से हम इस मामले में दिन की रोशनी नहीं देख पाए हैं। हम उसी आंकड़े पर अटके हुए हैं जो 10 साल पहले था। चीजें बिल्कुल भी आगे नहीं बढ़ी हैं।" पीठ ने कहा कि सुनवाई के दौरान एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल दोनों ने न्यायालय के 19 जून, 2012, 31 अगस्त, 2012, 5 दिसंबर, 2012 के आदेशों पर पुनर्विचार करने का प्रयास किया, जिसमें लगभग 25,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए सेबी-सहारा रिफंड खाता बनाने का निर्देश दिया गया था।


कोर्ट ने कहा कि न्यायालय द्वारा 31 अगस्त, 2012 के आदेश में दिए गए उक्त आदेशों और निर्देशों पर पुनर्विचार करने के लिए कोई कारण और आधार नहीं बनाया गया है और यह अंतिम रूप ले चुका है क्योंकि 8 जनवरी, 2013 को समीक्षा याचिका भी खारिज कर दी गई थी।कोर्ट ने मामले को एक महीने बाद आगे

Shalini Rai

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