×

प्राकृतिक आपदा के बीच भाजपा और जदयू के नेताओं में जुबानी जंग की बाढ़

raghvendra
Published on: 2 Aug 2023 12:50 PM IST
प्राकृतिक आपदा के बीच भाजपा और जदयू के नेताओं में जुबानी जंग की बाढ़
X

पटना: बिहार में मिलजुल कर सरकार चला रहे भाजपा और जदयू के नेताओं की जुबानी जंग बढ़ती जा रही है। ताजा जंग के पीछे बिहार की बाढ़ है। दोनों सहयोगी इस प्राकृतिक आपदा के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। भीषण बारिश से उत्पन्न प्राकृतिक आपदा के साथ-साथ राजनीति की भी बाढ़ आ गई है। आलम ये है कि जनता दल यू और सहयोगी दल भाजपा के बीच दरारें गहराती जा रही हैं। राज्य में साल भर बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और हाल में कुछ सीटों पर उपचुनाव भी होना है। ऐसे में भाजपा-जेडीयू के बीच तनातनी कुछ ऐसी बढ़ी है कि केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बाढ़ की हालत के लिये जिम्मेदार ठहराते हुए ये तक कह डाला कि - ‘जब ताली सरदार को तो गाली भी सरदार को।’ इसके जवाब में जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कह दिया कि वे (गिरिराज) नीतीश के पैर की धूल के बराबर तक नहीं हैं। उन्होंने पटना की बाढ़ के लिये भाजपा को दोषी करार दिया। येडीयू के राष्ट्रीय महासचिव ने भी बयान दे दिया कि गिरिराज ‘आदतन अपराधी’ हो गये हैं। वे गठबंधन को तेजस्वी यादव से ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं।

हाल के महीनों में ये कोई पहली बार नहीं हुआ है कि जेडीयू-भाजपा ने एक-दूसरे का गला पकड़ा है। कुछ समय पहले भाजपा ने बिहार में एनआरसी लागू करने का सुझाव दिया था तो जेडीयू ने झट से उसे खारिज कर दिया। जेडीयू का मानना है कि एनआरसी से राज्य के मुसलमानों को टारगेट किया जाएगा। यहां मुलसमानों की तादाद १६.७ फीसदी है और कई निर्वाचन क्षेत्रों में ये हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इस मसले के अलावा दोनों दलों के बीच अनुच्छेद ३७० और तीन तलाक पर भी मतभेद सामने आ चुके हैं। इन दोनों मुद्दों पर जेडीयू ने विरोध प्रकट किया था।

भाजपा के एमएलसी संजय पासवान ने पिछले ही महीने नीतीश पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री पद अब भाजपा के हवाले कर देना चाहिए। इस बयान को राजनीतिक हलकों में भाजपा की बढ़ती महात्वाकांक्षा के रूप में देखा जा रहा है।

अकेले दम पर लड़ेगी भाजपा

बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और संकेत हैं कि पार्टी या अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी या अधिकांश सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करेगी। २०१५ के विधासभा चुनाव में भाजपा ने ५३ सीटें जीती थीं और उसका वोट शेयर २४.४ फीसदी रहा था। जेडीयू ने ७१ सीटों पर चुनाव लड़ा था और वोट शेयर १६.८ फीसदी रहा था। लालू यादव की आरजेडी ने ८० सीटों पर चुनाव लड़ा और १८.४ फीसदी वोट पाया। कांग्रेस ने २७ सीटों पर चुनाव लड़ा और मात्र ६.७ फीसदी वोट हासिल कर सकी।

अलग होते रास्ते

१९९६ से भाजपा के साथ गठबंधन में रही जेडीयू ने २०१३ में उससे नाता तोड़ लिया था। २०१५ में जेडीयू ने आरजेडी के साथ हाथ मिलाया था लेकिन दो साल में इनके रास्ते अलग हो गये। जेडीयू और भाजपा में २०१७ में फिर दोस्ती हो गई। २०१९ में मोदी सरकार के कैबिनेट में सिर्फ एक सीट मिलने पर नाराज जेडीयू ने केंद्रीय कैबिनेट में शामिल होने से इनकार कर दिया। आगे क्या होता है ये नीतीश कैबिनेट के प्रस्तावित विस्तार से पता चलेगा।

छोटा भाई बन कर रहिये

भाजपा के राज्यसभा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी का ये बयान भी महत्वूर्ण है कि अगर जदयू को बिहार में अपनी राजनीति बचानी है, तो उनको छोटे भाई की भूमिका में रहना पड़ेगा। बिहार में अब भाजपा बड़े भाई की भूमिका में है। अगर 2020 का चुनाव नीतीश कुमार को जीतना है तो उन्हें भाजपा के साथ छोटे भाई की भूमिका में रहना होगा। इस बयान के बाद जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि सरकार काम से चलती है, आलोचना से नहीं। आपस में बयानबाजी ठीक नहीं होती है। प्राकृतिक आपदा पर राजनीति की रोटी सेंकना ठीक नहीं होता।

राजद को मिला मौका

जदयू व भाजपा नेताओं की जुबानी जंग ने आरजेडी को बोलने का मौका दे दिया है। तेजस्वी यादव ने जदयू को अकेले विधानसभा चुनाव लडऩे की चुनौती देते हुए कह दिया कि अगर जदयू ने अकेले चुनाव लड़ा, तो उसकी हालत खस्ता हो जाएगी।

दशहरा समारोह से नदारद रहे सुमो

पटना के गांधी मैदान में आयोजित दशहरा समारोह में भाजपा नेताओं की अनुपस्थिति ने राजनीतिक अटकलबाजियों को बढ़ा दिया है। दरअसल, दशहरा समारोह में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्षी महागठबंधन में शामिल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा उपस्थित रहे, लेकिन उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित भाजपा के स्थानीय सांसद और अन्य नेता नदारद थे।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने तो बाद में कहा कि वह नेपाल में एक मंदिर में प्रार्थना करने गये थे। वहीं, पाटलिपुत्र के सांसद राम कृपाल यादव ने सफाई में सीधा जवाब न देते हुए कहा कि ‘रावण वध के दृश्य को याद करने वाले सभी लोग अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान राक्षस राजा की तरह मारे जायेंगे। मेरा यह कथन गांधी मैदान में मौजूद विपक्षी नेताओं को लेकर है।’

raghvendra

raghvendra

राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

Next Story