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Navjot Singh Sidhu Jail : सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नवजोत सिद्धू ने कहा- 'कानून का पालन करेंगे'

Assault case: नवजोत सिंह सिद्धू को 1988 के एक रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट से गुरुवार को बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें एक साल कैद की सजा सुनाई है।

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Written By aman
Published on: 19 May 2022 8:58 AM GMT (Updated on: 19 May 2022 10:38 AM GMT)
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Navjot Singh Sidhu (File Photo)

Navjot Singh Sidhu Jail : नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) को 1988 के एक रोड रेज मामले में सुप्रीम कोर्ट से गुरुवार को बड़ा झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें एक साल कैद की सजा सुनाई है। नवजोत सिंह सिद्धू को पहले इस मामले में राहत मिल गई थी। मगर, इस रोडरेज मामले में जिस व्यक्ति की मौत हुई थी, उसके परिजन ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका (Review Petition) दायर की थी। जिस पर सुनवाई करते हुए सिद्धू को एक साल सश्रम अर्थात कठोर कारावास की सजा सुनाई गयी है।

ज्ञात हो कि, यह मामला IPC की धारा- 323 के तहत 34 साल पहले नवजोत सिद्धू पर दर्ज हुआ था। इसमें अधिकतम एक साल की सजा ही संभव है। जानकारी के अनुसार, अब पंजाब पुलिस सिद्धू को हिरासत में लेगी। पीड़ित पक्ष ने सिद्धू पर आईपीसी की धारा- 304 के तहत मामला दर्ज करने की मांग भी उठाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया।

सिद्धू बोले- कानून का पालन करेंगे

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस ए.एम.खानविलकर और जस्टिस एस.के. कौल की पीठ ने मामले की सुनवाई की। पीठ ने पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिद्धू को दी गई सजा मामले पर पीड़ित परिवार की तरफ से दायर पुनर्विचार याचिका को स्वीकार कर लिया। वहीं, सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सजा सुनाए जाने पर नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि वो कानून का पालन करेंगे।

क्या है मामला?

आपको बता दें कि, यह मामला 27 दिसंबर 1988 की शाम का है। नवजोत सिद्धू अपने मित्र रूपिंदर सिंह संधू के साथ पटियाला के शेरावाले गेट मार्केट गए थे। बताया जाता है उक्त स्थान उनके घर से मात्र 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है। जिस वक्त का ये मामला है उस समय सिद्धू एक जाने-माने क्रिकेटर थे। तब उनका अंतरराष्ट्रीय करियर (International Career) शुरू ही हुआ था। कार पार्किंग में नवजोत सिद्धू की 65 वर्षीय बुजुर्ग गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई थी। धीरे-धीरे बात बढ़ी और हाथापाई तक जा पहुंची। इसी दौरान सिद्धू ने गुरनाम को गिरा दिया। कुछ देर बाद गुरनाम सिंह को अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में उन्होंने दम तोड़ दिया। मेडिकल रिपोर्ट में पता चला था कि गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई थी।

सिद्धू पर गैर इरादतन हत्या का केस

घटना वाले दिन ही नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर पर स्थानीय कोतवाली थाने में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ। यह केस सेशन कोर्ट में चला। साल 1999 में निचली अदालत ने केस खारिज कर दिया।

बीजेपी के सांसद बने सिद्धू

इसके बाद आया साल 2002 , जब पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। इसी दौरान नवजोत सिंह सिद्धू ने राजनीति में कदम रखा। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में वो अमृतसर सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े। इस चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई।

हाईकोर्ट ने 3 साल की सजा सुनाई थी

दो साल बाद साल 2006 के दिसंबर महीने में हाईकोर्ट का फैसला आया। हाईकोर्ट ने नवजोत सिद्धू और उनके दोस्त संधू को दोषी ठहराते हुए तीन-तीन साल कैद की सजा सुनाई। साथ ही इन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। जिसके बाद, सिद्धू ने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया रहा।

रिव्यु पिटीशन

ये मामला आगे बढ़ा। हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। नवजोत सिद्धू की तरफ से बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे अरुण जेटली ने केस लड़ा था। तब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी थी। वर्ष 2007 में सिद्धू एक बार फिर अमृतसर से चुनाव जीते। लेकिन, पीड़ित पक्ष ने इस मामले में रिव्यु पिटीशन डाला था। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट ने नवजोत सिद्धू को एक साल जेल की सजा सुनाई।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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