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Sharad Pawar: अडानी प्रकरण की जांच के लिए पवार का अलग सुर, SC कमेटी को JPC से ज्यादा प्रभावी बताया,सावरकर को किया याद
Sharad Pawar: एनसीपी मुखिया शरद पवार ने जेपीसी की अपेक्षा सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेषज्ञ कमेटी को ज्यादा असरदार बताया है। पवार ने कहा कि एनडीए के पास संसद में भारी बहुमत है और ऐसे में स्वाभाविक रूप से जेपीसी में एनडीए से ही अधिकांश सदस्य शामिल होंगे।
Sharad Pawar: अडानी मामले की जांच के लिए कांग्रेस संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन करने की मांग पर अड़ी हुई है। पार्टी ने इस मांग को लेकर पार्टी ने संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान जमकर हंगामा काटा है। पार्टी को इस मुद्दे पर कई अन्य विपक्षी दलों का भी समर्थन मिला है मगर एनसीपी के मुखिया शरद पवार अब अलग सुर अलापते दिख रहे हैं। पवार का कहना है कि जेपीसी की अपेक्षा सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित छह सदस्यीय कमेटी ज्यादा प्रभावी साबित होगी।
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महाराष्ट्र की सियासत में कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव ठाकरे गुट का गठबंधन है और ऐसे में शरद पवार की ओर से की गई टिप्पणी को सियासी नजरिए से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पवार के इस बयान को अडानी मुद्दे पर विपक्ष में फूट पड़ने का संकेत भी बताया जा रहा है। पवार विपक्ष के बड़े चेहरों में शामिल हैं और ऐसे में उनका अलग रुख अपनाना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वैसे कांग्रेस अभी भी अडानी प्रकरण की जांच के लिए जेपीसी का गठन किए जाने की मांग पर अड़ी हुई है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि आजादी की लड़ाई में वीर सावरकर के बलिदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सावरकर के मुद्दे पर हुए पहले भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नसीहत दे चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ज्यादा असरदार
अडानी मामले को लेकर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद देश में सियासी भूचाल आया हुआ है। कांग्रेस सहित लगभग सभी विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर कई आरोप लगाए हैं। कांग्रेस ने पीएम मोदी पर अडानी को संरक्षण देने, लाभ पहुंचाने और बचाने का बड़ा आरोप लगाया है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से पिछले दिनों अडानी की प्रकरण की जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। इस विशेषज्ञ कमेटी से दो महीने के भीतर सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी गई है।
अब एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने जेपीसी की अपेक्षा सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेषज्ञ कमेटी को ज्यादा असरदार बताया है। पवार ने कहा कि एनडीए के पास संसद में भारी बहुमत है और ऐसे में स्वाभाविक रूप से जेपीसी में एनडीए से ही अधिकांश सदस्य शामिल होंगे। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित की गई कमेटी की अपेक्षा जेपीसी का पैनल ज्यादा संतुलित नहीं होगा। इसी कारण मेरा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित कमेटी ज्यादा प्रभावी साबित होगी।
सावरकर का योगदान नहीं भुलाया जा सकता
एनसीपी नेता ने कहा कि देश के स्वाधीनता संग्राम में वीर सावरकर का बड़ा योगदान रहा है और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। सावरकर पर पिछले दिनों राहुल गांधी की टिप्पणी के बाद बड़ा सियासी विवाद खड़ा हो गया था और भाजपा ने कांग्रेस पर हमलावर रुख अपना रखा है। पवार ने कहा कि 32 साल पहले मैंने संसद में सावरकर के प्रगतिशील विचारों की चर्चा की थी। पवार इससे पहले भी राहुल गांधी को सावरकर के संबंध में विवादित टिप्पणी न करने की नसीहत दे चुके हैं।
देश के सामने अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे
हालांकि पवार ने इसके साथ ही यह भी कहा कि सावरकर के संबंध में असहमति को आज एक राष्ट्रीय मुद्दा नहीं बनाया जा सकता क्योंकि मौजूदा समय में देश के सामने दूसरे कई अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे मौजूद हैं। उन्होंने नागपुर में राहुल गांधी का बचाव करते हुए यह भी कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब विदेश में देश से जुड़े हुए मुद्दों पर चर्चा की गई है। उन्होंने कहा कि हाल में दिल्ली में हुई विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक के दौरान भी मैंने सुझाव दिया था कि हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि सत्ता में बैठे लोग देश को किस तरह चला रहे हैं।