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NCRB Report: किसानों से ज्यादा कारोबारियों ने की आत्महत्या, रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

NCRB Report: कारोबारियों के आत्महत्या करने के मामलों में कर्नाटक राज्य सबसे ऊपर है। कुल मामलों में से 14.3 फीसदी कारोबारी कर्नाटक से संबंधित थे। इसके बाद महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश का नंबर है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 31 Aug 2022 6:58 PM IST
ncrb report more business man committed suicide in 2021 than farmers
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प्रतीकात्मक फोटो 

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National Crime Records Bureau : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के आंकड़े बताते हैं कि कोरोना काल (Corona Period) में किसानों से ज्यादा आत्महत्याएं व्यवसायियों ने की हैं।आंकड़ों के अनुसार, 2021 में कुल 12,055 कारोबारियों ने किसी ना किसी कारण से आत्महत्या कर ली। यह आंकड़ा साल 2020 में 11,716 का था। यानी एक वर्ष में 7.2 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

स्वरोजगार करने वाले उद्यमियों की संख्या में इजाफा

एनसीआरबी (NCRB) के अनुसार, कॉरपोरेट सेक्टर में होने वाली मौतों की संख्या किसानों की तुलना में कहीं ज्यादा रही है। साल 2021 में देश में कुल 10,881 किसानों की आत्महत्या से मौत होने की सूचना दी गई। साल 2018 के आंकड़ों की तुलना में साल 2021 में स्वरोजगार करने वाले उद्यमियों की आत्महत्या के मामलों में 54 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

कर्नाटक सबसे ऊपर

कारोबारियों के आत्महत्या करने के मामलों में कर्नाटक राज्य सबसे ऊपर रहा है। कुल मामलों में से 14.3 फीसदी कारोबारी कर्नाटक से संबंधित थे। इसके बाद 13.2 फीसदी के साथ महाराष्ट्र दूसरे और 11.3 फीसदी के साथ मध्य प्रदेश तीसरे नंबर पर रहा है।

आंकड़ों पर एक नजर

स्वरोजगार करने वाले व्यक्तियों की आत्महत्या के बारे में आंकड़ों की तुलना से पता चलता है कि इस तरह की मौतें 2018 में 13,149 से बढ़कर 2021 के दौरान 20,213 हो गईं जो लगभग 54 फीसदी की वृद्धि है। स्व-नियोजित व्यक्तियों की श्रेणी में विक्रेता और व्यापारी शामिल हैं। रिपोर्टों के अनुसार, आत्महत्या करने वाले विक्रेताओं यानी वेंडर्स की संख्या में लगभग 40 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 2018 में 3,230 से पिछले वर्ष के दौरान 4,532 हो गईं। इसी तरह, आत्महत्या करने वाले व्यापारियों (छोटे व्यवसायियों) की संख्या 2018 में 2,615 से बढ़कर 2021 में 3,699 हो गई।

क्या हैं कारण?

इन वर्षों में सभी श्रेणियों में आत्महत्या के मुख्य कारण पारिवारिक समस्याएं, बीमारी, प्रेम संबंध और विवाह संबंधी मुद्दे हैं। रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि दिवालियेपन या ऋणग्रस्तता के कारण आत्महत्याओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। उदाहरण के लिए, 2018 में दिवालिया होने के कारण कुल 4,970 आत्महत्याओं घटना हुई जबकि, यह पिछले वर्ष के दौरान बढ़कर 6,361 हो गई।

इस आयु वर्ग के लोगों की संख्या अधिक

नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, कुल 1.64 लाख आत्महत्याओं में से लगभग 66 फीसदी पीड़ित 18-45 वर्ष के आयु वर्ग के थे। कुल आत्महत्या दर 2017 में 9.9 प्रति 100,000 लोगों से बढ़कर 2021 में 12 हो गई है। दैनिक वेतनभोगी लोगों में आत्महत्या से मरने वाले लोगों का सबसे बड़ा वर्ग है। 2021 में ऐसी 42,004 मौतें हुईं। ये कुल मौतों का 25.6 प्रतिशत थीं।



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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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