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NCRB Report: आखिर कहां लापता हो गईं गुजरात की 40 हजार महिलाएं, NCRB की रिपोर्ट से बड़ा खुलासा
NCRB Report: राज्य सरकार द्वारा 2021 में विधानसभा में दिए गए एक बयान के अनुसार, अहमदाबाद और वडोदरा में केवल एक वर्ष (2019-20) में 4,722 महिलाएं लापता हो गईं। 2018 में राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि पिछले दो वर्षों के दौरान राज्य की 14,004 महिलाओं के लापता होने की सूचना मिली थी। लेकिन, इनमें से लगभग 76 प्रतिशत इसी अवधि के दौरान पाई गईं थीं। उन
NCRB Report: बीते पांच वर्षों के दौरान गुजरात में 40,000 से अधिक महिलाएं लापता हो गईं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2016 में 7,105, 2017 में 7,712, 2018 में 9,246 और 2019 में 9,268 महिलाएं लापता हुईं। 2020 में 8,290 महिलाओं के लापता होने की सूचना मिली थी। पिछले 5 साल में ये संख्या 41,621 तक हो गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा 2021 में विधानसभा में दिए गए एक बयान के अनुसार, अहमदाबाद और वडोदरा में केवल एक वर्ष (2019-20) में 4,722 महिलाएं लापता हो गईं। 2018 में राज्य सरकार ने स्वीकार किया कि पिछले दो वर्षों के दौरान राज्य की 14,004 महिलाओं के लापता होने की सूचना मिली थी। लेकिन, इनमें से लगभग 76 प्रतिशत इसी अवधि के दौरान पाई गईं थीं। उन वर्षों में प्रतिदिन 18 महिलाओं के लापता होने की बात कही गई थी। सबसे ज्यादा अहमदाबाद और सूरत में महिलाओं के लापता होने की रिपोर्ट हुईं।
न्यूइंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व आईपीएस अधिकारी और गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य सुधीर सिन्हा ने कहा, "कुछ लापता व्यक्तियों के मामलों में मैंने देखा है कि लड़कियों और महिलाओं को कभी-कभी गुजरात के अलावा अन्य राज्यों में भेजा जाता है और वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया जाता है। पुलिस प्रणाली की समस्या यह है कि वह गुमशुदगी के मामलों को गंभीरता से नहीं लेती है। जबकि ऐसे मामले हत्या से भी गंभीर होते हैं। गुमशुदगी के मामले की जांच हत्या के मामले की तरह सख्ती से की जानी चाहिए। गुमशुदा लोगों के मामलों की अक्सर पुलिस द्वारा अनदेखी की जाती है क्योंकि उनकी जांच ब्रिटिश काल के तरीके से की जाती है।"
पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक डॉ. राजन प्रियदर्शी ने कहा कि लड़कियों के लापता होने के लिए मानव तस्करी जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि - मेरे कार्यकाल के दौरान, मैंने देखा कि अधिकांश लापता महिलाओं को अवैध मानव तस्करी समूहों द्वारा उठाया जाता है जो उन्हें दूसरे राज्य में ले जाते हैं और उन्हें बेचते हैं। जब मैं खेड़ा जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) था, उत्तर प्रदेश का एक व्यक्ति जो जिले में एक मजदूर के रूप में काम कर रहा था, उसने एक गरीब लड़की को उठाया और उसे अपने मूल राज्य में बेच दिया, जहां वह खेत में काम करती थी। हम उसे छुड़ाने में कामयाब रहे, लेकिन कई मामलों में ऐसा नहीं होता है।'