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चीन के सीमा विवाद के चलते अब नेपाल भी भारतीय सीमा के इलाके पर अपना दावा ठोंक रहा है। ऐसे में नेपाल सरकार ने नेपाल से आ रही लालबकेया नदी पर बनाये जा रहे बांध निर्माण कार्य को रोक दिया है।
पूर्वी चम्पारण: चीन के सीमा विवाद के चलते अब नेपाल भी भारतीय सीमा के इलाके पर अपना दावा ठोंक रहा है। ऐसे में नेपाल सरकार ने नेपाल से आ रही लालबकेया नदी पर बनाये जा रहे बांध निर्माण कार्य को रोक दिया है। ये कार्य पूर्वी चम्पारण में चल रहा है। साथ ही ताजा जानकारी मिली है कि इसी मुद्दे पर नेपाल के नागरिकों ने एसएसबी के जवानों के साथ गलत व्यवहार किया है।
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मरम्मत कार्य में बाधा
पूर्वी चम्पारण के गांवों में नेपाल द्वारा बांध निर्माण रोकने को लेकर काफी आक्रोश है। नेपाल ने पूर्वी चम्पारण के ढाका अनुमंडल के बलुआ गुआबारी पंचायत के नजदीक लालबकेया नदी पर बन रहे तटबंध के पुर्निर्माण कार्य पर विरोध जताया था।
नेपाल से आ रही ललबकेया नदी का पश्चिमी तटबंध वर्ष 2017 के प्रलयंकारी बाढ़ से टूट गया था। इसी तटबांध मरम्मत का कार्य चल रहा था। ऐसे में जब भी नेपाल बांध के मरम्मत कार्य में बाधा डालता था, तब भारत-नेपाल के अधिकारी मिलकर इस मामले को सुलझा लेते थे।
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नेपाल ने विवाद खड़ा कर दिया
स्थानीय लोगों का कहना है कि इस साल भारत-नेपाल की सीमा पर उपजे मामले को सुलझाने के बदले नेपाली सशस्त्र सीमा बल के जवान मामले को और उलझाने में जुटे हैं।
इस विवाद के चलते भारत-नेपाल के बॉर्डर को दर्शाने वाले पीलर संख्या 345/5 और 345/7 के बीच 500 मीटर की जमीन पर है। ऐसे में अपनी जमीन बताते हुए नेपाल ने विवाद खड़ा कर दिया है। हालांकि, पूर्वी चम्पारण ने नेपाल की आपत्ति जाहिर के बाद निर्माण कार्य को रोक दिया है।
लालबकेया नदी के तटबंध निर्माण का काम करा रहे सिंचाई विभाग के अधिकारी बबन सिंह ने कहा है कि नेपाल सरकार ने करीब 500 मीटर बांध की जमीन पर आपत्ति जताई है।
ऐसे में पड़ोसी देश का कहना है कि यह जमीन उसके अधिकारक्षेत्र का है। बांध के निर्माण से पूर्वी चम्पारण जिले के ढाका और पताही में बाढ़ की तबाही को रोका जा सकता है। तटबंध निर्माण पर लगी रोक से बलुआ गुआवारी पंचायत के ग्रामीण बाढ़ की तबाही से डरे हुए हैं।
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