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New Crime Laws: अब हत्यारों को 302 नहीं 101 में मिलेगी सजा, ठग 420 नहीं 316 कहलाएंगे, जानें आज से लागू हुए कानूनों के बारे में
New Crime Laws: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में 511 धाराएं थीं, लेकिन भारतीय न्याय संहिता में अब धाराएं 358 रह गई हैं। यही नहीं आपराधिक कानून में बदलाव के साथ ही इसमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है।
New Crime Laws: अंग्रेजों के जमाने से चल रहे तीन आपराधिक कानून अब 1 जुलाई 2024 से अमल में आ गए हैं। संसद द्वारा दिसंबर 2023 में पारित ये तीन कानून आज यानि सोमवार से प्रभावी हो गए हैं। अब ये तीनों नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम कहे जाएंगे, जो क्रमशः भारतीय दंड संहिता (1860), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (1898) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (1872) का स्थान ले लिया है। यही नहीं कानूनों में प्रभावी होने के साथ ही इनमें शामिल धाराओं का क्रम भी बदल गया है। आइये हम जानते हैं आईपीसी की कुछ अहम धाराओं के बदलाव के बारे में? नए कानून में इन्हें किस क्रम में रखा गया है? और वे पहले किस स्थान पर थीं?
क्या बदला भारतीय न्याय संहिता में?
भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं, लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता में धाराएं 358 रह गई हैं। संशोधन के जरिए जहां इसमें 20 नए अपराध शामिल किए गए हैं, तो 33 अपराधों में सजा अवधि बढ़ाई गई है। 83 अपराधों में जुर्माने की रकम भी बढ़ाई है। 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान है। छह अपराधों में सामुदायिक सेवा की सजा का प्रावधान किया गया है।
बता दें कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 12 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने लोकसभा में तीन संशोधित आपराधिक विधियकों को पेश किया था। इन विधेयकों को लोकसभा ने 20 दिसंबर, 2023 को और राज्यसभा ने 21 दिसंबर, 2023 को मंजूरी दी गई थी। राज्यसभा में विधेयकों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए जाने के बाद इसे ध्वनिमत से पारित किया गया था। इसके बाद 25 दिसंबर, 2023 को राष्ट्रपति से मंजूरी के बाद विधेयक कानून बन गए, लेकिन इनके प्रभावी होने की तारीख 1 जुलाई, 2024 रखी गई थी। संसद में तीनों विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि इनमें सजा देने के बजाय न्याय देने पर फोकस किया गया है।
अब जानते हैं अहम धाराओं में क्या हुआ है बदलाव
धारा 124-
बता दें कि आईपीसी की धारा 124 राजद्रोह से जुड़े मामलों में सजा का प्रावधान रखती थी। नए कानूनों के तहत राजद्रोह को एक नया शब्द देशद्रोह मिला है यानी ब्रिटिश काल के शब्द को हटा दिया गया है। भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 7 में राज्य के विरुद्ध अपराधों कि श्रेणी में देशद्रोह को रखा गया है।
धारा 144
आईपीसी की धारा 144 घातक हथियार से लैस होकर गैरकानूनी सभा में शामिल होने के बारे में थी। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता के अध्याय 11 में सार्वजनिक शांति के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में रखा गया है। अब भारतीय न्याय संहिता की धारा 187 गैरकानूनी सभा के बारे में है।
धारा 302
पहले किसी की हत्या करने वाला धारा 302 के तहत आरोपी बनाया जाता था। हालांकि, अब ऐसे अपराधियों को धारा 101 के तहत सजा मिलेगी। नए कानून के अनुसार, हत्या की धारा को अध्याय 6 में मानव शरीर को प्रभावित करने वाले अपराध कहा जाएगा।
धारा 307
नए कानून के अस्तित्व में आने से पहले हत्या करने के प्रयास में दोषी को आईपीसी की धारा 307 के तहत सजा मिलती थी। अब ऐसे दोषियों को भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत सजा सुनाई जाएगी। इस धारा को भी अध्याय 6 में रखा गया है।
धारा 376
दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को पहले आईपीसी की धारा 376 में परिभाषित किया गया था। भारतीय न्याय संहिता में इसे अध्याय 5 में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध की श्रेणी में जगह दी गई है। नए कानून में दुष्कर्म से जुड़े अपराध में सजा को धारा 63 में परिभाषित किया गया है। वहीं सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376 डी को नए कानून में धारा 70 में शामिल किया गया है।
धारा 399
पहले मानहानि के मामले में आईपीसी की धारा 399 इस्तेमाल की जाती थी। नए कानून में अध्याय 19 के तहत आपराधिक धमकी, अपमान, मानहानि आदि में इसे जगह दी गई है। मानहानि को भारतीय न्याय संहिता की धारा 356 में रखा गया है।
धारा 420
भारतीय न्याय संहिता में धोखाधड़ी या ठगी का अपराध 420 में नहीं, अब धारा 316 के तहत आएगा। इस धारा को भारतीय न्याय संहिता में अध्याय 17 में संपत्ति की चोरी के विरूद्ध अपराधों की श्रेणी में रखा गया है।
जानिए सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम में क्या हुआ बदलाव?
दंड प्रक्रिया संहिता यानी सीआरपीसी की जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता ने ले ली है। सीआरपीसी की 484 धाराओं के बदले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं। नए कानून के तहत 177 प्रावधान बदले गए हैं जबकि नौ नई धाराएं और 39 उपधाराएं जोड़ी हैं। इसके अलावा 35 धाराओं में समय सीमा तय की गई है। वहीं, नए भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान हैं। इससे पहले वाले कानून में 167 प्रावधान थे। नए कानून में 24 प्रावधान बदले गए हैं।