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New Criminal Laws एक जुलाई से होंगे लागू, बदल जाएगा देश का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम

New Criminal Laws: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आपराधिक बिल पेश करते हुए कहा था कि, इन कानूनों के लागू होने के बाद 'तारीख-पे-तारीख' युग का अंत सुनिश्चित होगा।

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Written By aman
Published on: 24 Feb 2024 4:22 PM IST (Updated on: 24 Feb 2024 4:45 PM IST)
New Criminal Laws, Indian Justice System
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प्रतीकात्मक चित्र (Social Media) 

New Criminal Laws: भारतीय न्याय प्रणाली (Indian Justice System) के नए युग का आगाज एक जुलाई, 2024 से हो जाएगा। औपनिवेशिक आपराधिक न्याय प्रणाली से मुक्ति मिल जाएगी। केंद्र सरकार ने शनिवार (24 फरवरी) को बताया कि, 'तीन नए आपराधिक कानून (Criminal Law) एक जुलाई से लागू होंगे। यह औपनिवेशिक आपराधिक न्याय प्रणाली की जगह लेंगे'।

जानकारी के लिए बता दें, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (Indian Evidence Act 2023), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) और भारतीय न्याय संहिता 2023 (Bharatiya Nyay Sanhita), एक जुलाई 2024 से लागू होंगे।

राष्ट्रपति ने दी थी मंजूरी

देश में जल्द क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को पूरी तरह से बदलने के लिए अधिसूचित तीन नए कानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम एक जुलाई से लागू होंगे। तीनों कानूनों को 21 दिसंबर, 2023 को संसद की मंजूरी मिली थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन कानून को अपनी सहमति दे दी थी। अब 1 जुलाई से ये लागू हो जाएगा।

औपनिवेशिक युग के कानूनों से मुक्ति

केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी तीन अधिसूचनाओं के मुताबिक, 'नए कानूनों के प्रावधान एक जुलाई से लागू होंगे। ये कानून औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। यहां बता दें, तीनों कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों को परिभाषित कर उनके लिए सजा तय कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है।

अब 'राजद्रोह कानून' खत्म

नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद अंग्रेजों के जमाने के कानून समाप्त हो जाएंगे। इसी के साथ इस कानून में राजद्रोह को खत्म कर दिया गया है।

जानिए IPC में क्या हुआ बदलाव?

IPC में कौन सा कृत्य अपराध है? इसके लिए क्या सजा होगी? ये आईपीसी से तय होता है। अब इसे भारतीय न्याय संहिता (BNS) का नाम दिया गया है। आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं होंगी। अब 21 नए अपराध जोड़े गए हैं। 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है। 82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है। वहीं, 25 अपराधों में जरूरी न्यूनतम सजा शुरू की गई है। इसी तरह, 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड रहेगा और 19 धाराओं को खत्म कर दिया गया है।

CrPC में हुआ ये बदलाव

आपको बता दें, आपराधिक मामलों में गिरफ्तारी, जांच और मुकदमा चलाने की प्रक्रिया सीआरपीसी में लिखी हुई है। सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं, जिन्हें अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं कर दी गई हैं। साथ ही, 177 धाराओं को बदल दिया गया है। 9 नई धाराएं जोड़ी गईं हैं तथा 14 को खत्म कर दिया गया।

इंडियन एविडेंस एक्ट में क्या है नया?

किसी मामले के तथ्यों को कैसे साबित किया जाएगा, बयान कैसे दर्ज होंगे, ये सब इंडियन एविडेंस एक्ट में है। इसमें पहले 167 धाराएं थीं। भारतीय साक्ष्य संहिता में 170 धाराएं होंगी। वहीं, 24 धाराओं में बदलाव किया गया है। दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं तो 6 धाराएं खत्म हो गईं हैं।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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