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ICMR के दावे पर विज्ञान मंत्रालय ने नकारा, कोरोना वैक्सीन के बारे में कही ये बात

विज्ञान मंत्रालय का कहना है कि दुनिया भर में कोरोना की 140 वैक्सीन पर काम हो रहा है और इनमें से 11 ह्यूमन ट्रायल फेज में पहुंच चुकी है।

Newstrack
Published on: 5 July 2020 5:02 PM GMT
ICMR के दावे पर विज्ञान मंत्रालय ने नकारा, कोरोना वैक्सीन के बारे में कही ये बात
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय का कहना है कि कोविड-19 की कोई भी वैक्सीन 2021 से पहले उपलब्ध होने की कोई संभावना नहीं है। भारत बायोटेक के कोरोना की वैक्सीन को 15 अगस्त तक लांच किए जाने के दावे के विपरीत विज्ञान मंत्रालय का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

विज्ञान मंत्रालय का कहना है कि दुनिया भर में कोरोना की 140 वैक्सीन पर काम हो रहा है और इनमें से 11 ह्यूमन ट्रायल फेज में पहुंच चुकी है। लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना होगा इनमें से किसी भी वैक्सीन के अगले साल से पहले बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए तैयार होने की उम्मीद नहीं है।

2021 से पहले वैक्सीन संभव नहीं

भारत में दो वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के फेज तक पहुंच चुकी हैं। इनमें से एक वैक्सीन को आईसीएमआर के सहयोग से भारत बायोटेक ने तैयार किया है जबकि दूसरी वैक्सीन को जायडस कैडिला की ओर से विकसित किया गया है। इन दोनों वैक्सीन को मानव परीक्षण के लिए मंजूरी मिल गई है। विज्ञान मंत्रालय का कहना है कि छह भारतीय कंपनियां कोरोना वैक्सीन पर काम कर रही हैं। इनमें से दो को मानव परीक्षण की मंजूरी मिल गई है। लेकिन इनमें से किसी भी वैक्सीन के 2021 से पहले बड़े पैमाने पर उपलब्ध होने की संभावना नहीं है। मजे की बात यह है कि विज्ञान मंत्रालय का यह बयान आईसीएमआर के दावे के बिल्कुल विपरीत है।

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आईसीएमआर की ओर से ट्रायल के लिए चयनित 12 क्लीनिकल साइट के प्रमुखों को लेटर लिखकर वैक्सीन का ट्रायल 15 अगस्त से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। आईसीएमआर के इस कदम को लेकर विवाद भी पैदा हो गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने आईसीएमआर के इस कदम पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि वैक्सीन को लांच करने में इतनी जल्दबाजी उचित नहीं है। किसी भी वैक्सीन को बनाने में गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखा जाता है और इतनी जल्दबाजी में गुणवत्ता से समझौता न हो जाए। ऐसी डेडलाइन तय करने से अधूरे परीक्षणों के साथ वैक्सीन की लांचिंग हो जाएगी।

आईसीएमआर ने दी सफाई

इस बाबत विवाद पैदा होने के बाद आईसीएमआर की ओर से कहा गया है कि पूरी प्रक्रिया को लालफीताशाही से बचाने के लिए ही यह पत्र लिखा गया है। आईसीएमआर का कहना है कि सभी मेडिकल अस्पतालों में ऐसे परीक्षण के अनुमोदन के लिए एक आचार समिति होती है। पूर्व निर्धारित समय पर इन समितियों की बैठक होती है। कोरोना वैक्सीन के परीक्षण में देरी को बचाने के लिए क्लीनिकल साइट के प्रमुखों को चिट्ठी लिखी गई है।

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आईसीएमआर का यह भी कहना है कि कोई भी काम देश की जनता की सुरक्षा और उसके हितों को नजरअंदाज करके नहीं किया जाएगा। प्रीक्लिनिकल स्टडी के डेटा की बारीकी से जांच के बाद ही दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दी गई है। आईसीएमआर की ओर से उत्तर प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों के अस्पतालों को क्लीनिकल ट्रायल के लिए चुना गया है। इन अस्पतालों में ही कोरोना की वैक्सीन के दोनों चरणों के मानव परीक्षण के लिए लोगों का चयन किया जाएगा।

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