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तरक्की : भारत में सड़क नेटवर्क विश्व में दूसरे स्थान पर

seema
Published on: 6 Oct 2017 4:52 PM IST
तरक्की : भारत में सड़क नेटवर्क विश्व में दूसरे स्थान पर
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नई दिल्लीः आर्थिक विकास के लिए सड़कें बहुत महत्वपूर्ण हैं और अमरीका की प्रगति और आर्थिक सम्पन्नता के लिए वहां के सड़क नेटवर्क का काफी बड़ा योगदान माना जाता है कि विशेषज्ञों का मानना है कि सड़कों का जाल बिछाकर, बढिय़ा सड़कें बना कर जीडीपी को बढ़ाया जा सकता है। भारत के ट्रांसपोर्ट सेक्टर का जीडीपी में लगभग 5.5 प्रतिशत का योगदान है, जिसमें सड़क परिवहन का बड़ा हिस्सा है।

भारत अपनी पूरी क्षमता से तभी विकास कर सकेगा, जब बुनियादी ढांचा सुविधाओं में सुधार हो, जो इस समय बढ़ रही अर्थव्यवस्था की आवश्यकता के अनुरूप नहीं है। बहरहाल अब भारत में एक विशाल सड़क विकास कार्यक्रम चलाया जा रहा है। भारत में सड़क परिवहन में काफी विकास हुआ है। देश में कुल यात्रियों में से 80 प्रतिशत से ज्यादा सड़क से यात्रा करते हैं। माल की 60 फीसदी आवाजाही सड़क परिवहन से होती है। भारत में सड़क नेटवर्क विश्व में दूसरे स्थान पर है।

भारत में सड़क नेटवर्क

भारत में लगभग 47 लाख किलोमीटर लंबाई की सड़कों का विशाल नेटवर्क है। अमेरिका में सड़क नेटवर्क विश्व में सबसे विशाल है और इसकी कुल लंबाई 65,86,610 किलोमीटर है। इस मामले में चीन तीसरे नंबर पर है। भारत में सड़क घनत्व लगभग 1.43 किलोमीटर प्रति वर्ग किलोमीटर है और नेशनल हाईवे 100087.08 किलोमीटर का है जिसपर कुल सड़क परिवहन का 40 प्रतिशत से अधिक परिवहन होता है। सबसे ज्यादा नेशनल हाई वे यूपी में 8483 किलोमीटर का है।

नेशनल हाईवे

भारत में एक्सप्रेस-वे नेटवर्क अगले दो साल में दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा ऐसा नेटवर्क होगा। नेशनल हाईवे विकास कार्यक्रम की शुरुआत 1998 में की गई थी, जो सड़क विकास की अब तक की सबसे बड़ी परियोजना है। इस कार्यक्रम के तहत चार महानगरों के बीच चार लेन वाली स्वर्ण चतुर्भुज परियोजना पूरी हो गई हैक्र जबकि उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम कॉरीडोर परियोजना पूरी होने वाली है। पूर्वोत्तर और नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष कार्यक्रम शुरू किये गये हैं।

अब देश में एक्सप्रेस -वे बनाने पर काफी जोर है। जैसे कि एनसीआर में पूर्वी सीमावर्ती एक्सप्रेस-वे, मेरठ एक्सप्रेस-वे, 650 किलोमीटर लंबा मुंबई-वडोदरा एक्सप्रेस-वे, बंगलुरू-चेन्न्ई और दिल्ली-जयपुर एक्सप्रेस -वे। राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के $फेज-1 को 2000 में मंजूरी दी गयी थी। इसमें स्वॢणम चतुर्भुज (5,846 किलोमीटर) और एनएस-ईडब्ल्यू गलियारा (981 किलोमीटर), बंदरगाह सम्पर्क (356 किलोमीटर) और अन्य (315 किलोमीटर) शामिल था।

नई पहल

ई-टॉल: इस समय टोल प्लाजा की जो प्रणाली चल रही है, ट्रैफिक जाम कि बड़ी समस्या है जिससे देरी भी होती है। अब देश भर में नेशनल हाईवे पर इलेक्ट्रोनिक टॉल-कलेक्शन (ईटीसी) प्रणाली लगाई जा रही है। इसके जरिए टोल -प्लाजा पर चलते वाहनों से इलेक्ट्रोनिक तरीके से टोल लिया जाएगा। फास्ट टैग प्रणाली इसी कोशिश का हिस्सा है जिसमें चिप लगे रेपिड फास्ट टैग से वाहन $फास्ट टैग लेन से बिना रुके निकल सकेंगे।

नई सामग्री

सड़क बनाने में नयी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्लास्टिक कचरा, फ्लाईऐश, तांबे की छीजन, संगमरमर चूरे का गारा आदि जैसे औद्योगिक कचरे सड़क निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा। प्लास्टिक के सम्बन्ध में तो बाकायदा एक नीति भी बनाई गयी है जिसके तहत प्लास्टिक कचरे का प्रयोग सड़क बनाने में जरूरी बना दिया गया है।

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बंदरगाह जोडऩे की योजना

देश के 12 प्रमुख बंदरगाहों को जोडऩे वाली सड़कों की दशा सुधारने के लिए बंदरगाह सम्पर्क परियोजना भी चलायी गयी है। 449 किलोमीटर का सम्पर्क कार्यक्रम 2000 में शुरू हुआ था जो पूरा हो चुका है।

बॉर्डर रोड आर्गेनाइजेशन

भारत के सीमावर्ती इलाकों और मित्र पड़ोसी देशों में बीआरओ सड़क बनाता और मेन्टेन करता है। संगठन का बड़ा हिस्सा सेना के स्टाफ का होता है और संगठन का नेतृत्व अभी लेफिटनेंट जनरल एसके श्रीवास्तव कर रहे हैं। देश में बीआरओ करीब 33 हजार किलोमीटर रोड और 12 हजार मीटर से ज्यादा स्थाई पुलों की देखरेख करता है और बीआरओ का ताजा प्रोजेक्ट रोहतांग पास में चल रहा है जो 2019तक पूरा हो जाएगा।

  • भारतीय सड़क नेटवर्क में राज्य राजमार्ग 1,31,899 किमी, प्रमुख जिला सड़कें 4,67,763 किमी, ग्रामीण और अन्य सड़कें 26,50,000 किमी हैं
  • एक राज्य के भीतर महत्वपूर्ण शहरों, कस्बों और जिला मुख्यालयों को जोडऩे वाले वाली सड़कों, नेशनल हाईवे या पड़ोसी राज्यों की हाईवे से जोडऩे वाली सड़कों को स्टेट हाईवे की केटेगरी में रखा जाता है। इन्हें बनाने, रखरखाव की जिम्मेदारी राज्य की होती है
  • सड़क नेटवर्क के विकास की जिम्मेदारी केंद्र, राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन की होती है।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों की विकास की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है।
  • इंडियन रोड कांग्रेस के अनुसार चार लेन की हाईवे 23.5 मीटर तथा 6 लेन की हाई वे 43.6 मीटर चौड़ी होनी चाहिए।
  • भारत में नम्बरिंग की नयी प्रणाली के अनुसार देश में 87 नेशनल हाईवे हैं। नए सिस्टम में सभी ईस्ट-वेस्ट हाईवे ऑड नंबर वाली तथा सभी नार्थ-साउथ हाई वे इवन नंबर वाली हैं।
  • नंबर बढऩे का क्रम नार्थ से साउथ तथा ईस्ट से वेस्ट को है
  • नेशनल हाईवे 7 भारत का सबसे लंबा नेशनल हाईवे है जिसकी लंबाई 2369 किमी है यह वाराणसी से कन्या कुमारी को जोड़ता है।
  • सबसे बड़ा शहरी फ्लाईओवर बंगलुरु में है। यहाँ का हेब्बल फ्लाईओवर 5.23 किलोमीटर की कुल लंबाई के साथ देश का सबसे लंबा फ्लाईओवर है।
  • देश की सबसे लंबी सड़क सुरंग जम्मू-कश्मीर में है। चेनानी-नशरी सुरंग की लंबाई 1,062 मीटर (3487 फुट) औसत ऊंचाई पर 9.2 किमी की है।
  • कानपुर ओवरब्रिज एशिया में सबसे बड़ा ओवर ब्रिज से एक है यह राष्ट्रीय राजमार्ग 2 पर है और यह 23 किमी लंबा है। इसमें 8 लेन हैं
  • महात्मा गांधी सेतु सबसे लंबे में से एक है। महात्मा गाँधी सेतु पुल की लम्बाई 5,575 मीटर है यह पुल पटना को हाजीपुर से जोड़ता है।
  • 32 लेन के साथ गुरुग्राम एक्सप्रेस वे टोल प्लाजा भारत का सबसे बड़ा टोल प्लाजा और पूरे एशिया में सबसे बड़ा टोल प्लाजा है। यह दिल्ली गुरुग्राम एक्सप्रेस वे पर है।

हादसे दर हादसे

2016 में देश में औसतन एक घंटे में पचपन सड़क दुर्घटनाएं हुईं जिनमें सत्रह लोगों की मौत हुई। हालांकि कुल मिलाकर सड़क हादसों में 4.1 प्रतिशत की गिरावट आई है लेकिन मृत्यु-दर में 3.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सड़कों पर औसतन रोजाना चार सौ लोग मारे जाते हैं। भारत में पिछले साल कुल 4,80,652 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 1,50,785 लोगों की जान गई और 4,94,624 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

'भारत में सड़क हादसे-2016' नामक रिपोर्ट में बताया गया है कि हादसों के शिकार लोगों में 46.3 प्रतिशत लोग युवा थे और उनकी उम्र 18-35 साल के बीच थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि कुल सड़क हादसों में शिकार होने वाले लोगों में 83.3 प्रतिशत अठारह से साठ साल की उम्र के बीच के थे। रिपोर्ट के मुताबिक, सड़क हादसों के पीछे सबसे प्रमुख वजह चालकों की लापरवाही है। छियासी प्रतिशत हादसे तेरह राज्यों में हुए और ये राज्य हैं तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, केरल, राजस्थान और महाराष्ट्र।

सरकार के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं से हर साल 60 हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा कारण ड्राइवरों में उचित प्रशिक्षण का अभाव भी है। आमतौर पर देश में 18 साल की आयु के बाद ड्राइविंग लाइसेंस दिए जाते हैं, लेकिन इसकी जांच ही नहीं हो पाती कि लाइसेंसधारी प्रशिक्षित है भी या नहीं। दूसरी तरफ नागरिकों द्वारा यातायात नियमों की घोर अनदेखी की जाती है और नियम कानून सख्ती से लागू कराने का कोई सिस्टम नहीं है।

वैसे, नेशनल ट्रांसपोर्ट पॉलिसी रिपोर्ट के अनुसार सड़क हादसों के लिए ड्राइवरों से अधिक सड़कों के निर्माण की खामियां जिम्मेदार हैं।

सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए रोड इंजीनियरिंग संबंधी उपाय, बेहतर वाहन सुरक्षा मानक और चालकों सामान्य जनता के लिए शिक्षा और जागरूकता जरूरी है। सड़क सुरक्षा कानून लागू करना, दुर्घटना के बाद तत्काल उपचार और स्कूली पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा संबंधी प्रशिक्षण भी जरूरी है।

यूपी के एक्सप्रेस-वे

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे

302 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेस वे आगरा-लखनऊ के बीच हैक्र इससे पहले यमुना एक्सप्रेस वे (165) देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे था। यह एक्सप्रेस वे एक्सेस कंट्रोल होगा। यानी इसमें निर्धारित स्थान के अलावा कहीं और से वाहन नहीं आ सकेंगे। एक्सप्रेस वे आगरा से शुरू होकर फीरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, हरदोई, कानपुर नगर और उन्नाव होते हुए लखनऊ तक है।

यमुना-एक्सप्रेस-वे

इसे ताज एक्सप्रेस-वे के रूप में भी जाना जाता है यह 165 किमी लम्बा और 6 लेन वाला नियंत्रित एक्सप्रेस-वे है। यह आगरा - ग्रेटर नोएडा को जोड़ता है। यह खूबसूरत एक्सप्रेस लंबे फ्लाईओवर, 7 इंटरचेंज और कुछ किलो मीटर लम्बे कई बड़े पुलों को अपने में समेटे हुए है।

नोएडा -ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे

नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे दिल्ली और नोएडा को ग्रेटर नोएडा से जोडऩे के लिए एक छह लेन का एक्सप्रेस वे है। यह 24 किमी लंबा है जो कि डीएनडी फ्लाईवे (दिल्ली नोएडा डायरेक्ट फ्लाईवे ) से शुरू हो कर यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ता है। यह आठ लेन का नियंत्रित एक्सप्रेस वे है।

इलाहाबाद-बाईपास एक्सप्रेस-वे

उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद बाईपास एक्सप्रेस-वे 82 किलोमीटर लम्बा मार्ग है, यह भी महत्वाकांक्षी क्षी स्वर्णिम चतुर्भुज का नियंत्रित राजमार्ग है।



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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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