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लॉकडाउन का नया फॉर्मूला, तब हो जाएगा कोरोना पर वज्र प्रहार
दरअसल जनता को यह समझने की जरूरत है कि लॉकडाउन क्यों करना पड़ा, ऐसी क्या वजह थी। यदि लॉकडाउन को आज खोल दिया जाए तो क्या होगा। और यदि 21 दिन बाद खोल दिया जाता है तो क्या होगा। लॉकडाउन का नया फार्मूला क्या हो सकता है। हालांकि ये बात सरकार नहीं कह रही। ये है एक अध्ययन का नतीजा।
देश में मौजूदा दौर में 21 दिन का लॉकडाउन चल रहा है। सरकार के स्तर से लॉकडाउन बढ़ाने को लेकर की जा रही सभी अटकलों और अफवाहों को खारिज करते हुए कहा गया है कि ऐसी कोई योजना नहीं है। देश में मजदूरों और कामगारों की भगदड़ को देखते हुए सरकार के स्पष्टीकरण ने लोगों की खौलती भावनाओं और चिंताओं को शांत किया है। लेकिन इसी बीच लॉकडाउन का एक नया फार्मूला आया है। क्या है ये फार्मूला। और इससे हमें होगा क्या लाभ!
दरअसल जनता को यह समझने की जरूरत है कि अचानक से लॉकडाउन क्यों करना पड़ा, ऐसी क्या वजह थी। यदि लॉकडाउन को आज खोल दिया जाए तो क्या होगा। और यदि 21 दिन बाद खोल दिया जाता है तो क्या होगा। और लॉकडाउन का नया फार्मूला क्या हो सकता है। हालांकि ये बात सरकार नहीं कह रही। ये है एक अध्ययन का नतीजा।
इस बात को पहले खुद हमें समझना है और बाद में अपने अड़ोस पड़ोस के सभी लोगों को समझाना है। क्योंकि कोरोना वायरस अभी तक विभिन्न देशों की सरकारों के प्रयासों से कहीं अधिक तेज साबित हुआ है। और यही कारण है जिसके चलते उस पर काबू पाना कठिन बना हुआ है।
बड़ी खबर यह है कि कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से जुड़े भारतीय मूल के दो शोधकर्ताओं ने कोरोना के प्रसार का एक नया मैथेमेटिकल मॉडल बनाया है। इस मॉडल के जरिये अनुमान लगाया गया है कि भारत में मौजूदा 21 दिन के लॉकडाउन से वायरस पर प्रभावी नियंत्रण कर पाने में दिक्कतें हैं।
भारत में अलग रूप दिखने की आशंका
ये मॉडल कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर मैथमेटिकल साइंस से जुड़े राजेश सिंह और आर. अधिकारी ने दिया है। शोधकर्ताओं का दावा है कि कोरोना वायरस चीन और इटली की तुलना में भारत में कुछ अलग रूप दिखा सकता है। और ऐसा होने के पीछे सबसे बड़ा कारण भारत का सामाजिक ढांचा है।
इस मॉडल में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या, पीड़ितों को एजग्रुप, सोशल स्ट्रक्चर को आधार बनाकर दावा किया गया है कि कोरोना वायरस तीन पीढ़ियों को प्रभावित कर रहा है। जिसमें बाप, बाबा और खुद पीड़ित शामिल है। भारत में तमाम आधुनिकताओं के बावजूद अधिसंख्य घरों में ये तीनों पीढ़ियां एक साथ रहती हैं। जबकि चीन में ऐसे परिवार कम हैं और इटली में तो बिलकुल न के बराबर हैं। जर्मनी ने दादा-दादी और नाना-नानी को युवा पीढ़ी से दूर करके इस की मृत्युदर को सबसे नीचे रखने मं कामयाबी पाई।
पहला निष्कर्ष
इस आधार पर कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के राजेश सिंह व आर. अधिकारी का निष्कर्ष है कि कोरोना वायरस की वर्तमान स्थिति में भारत जैसे देश में वर्तमान लॉकडाउन इसके फैलाव को रोक पाने में सफल नहीं होगा। लॉकडाउन हटते ही जैसे ही लोगों का तेजी से आवागमन शुरू होगा ये वायरस तेजी से फैल सकता है। शोधकर्ताओं ने इस लॉकडाउन के बावजूद 73 दिन की अवधि में 2,727 संभावित मौतों का आकलन किया है। इस मॉडल में तीन पीढ़ियों के संभावित संक्रमण को आधार बनाया गया है।
सबसे बड़ी बात यह है इस अध्ययन में देश के 15-19 आयुवर्ग के युवाओं को इसका सबसे बड़ा कैरियर बताया गया है। अध्ययन में कहा गया है कि इसके चलते देश में 60-64 आयुवर्ग के लोगों की सबसे ज्यादा मृत्यु-दर हो सकती है।
क्या कहते हैं अन्य दो मॉडल
दोनों अनुसंधानकर्ताओं के मैथमेटिकल मॉडल ने लॉकडाउन की दो किस्मों की अवधि और अंतराल की गणना भी की है। अध्ययन में कहा गया है कि इस पर अमल करके संक्रमण के स्तर को 50 से कम लोगों तक लाया जा सकता है।
राजेश सिंह व आर. अधिकारी के अनुसार तीन लगातार लॉकडाउन, (पहला 21 दिन, दूसरा 28 दिन और तीसरा 18 दिन का) यदि सरकार इन पर अमल करती है तो ये कारगर हो सकते हैं। दोनो अनुसंधानकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि हर लॉकडाउन के बीच पांच दिन का अंतराल दिया जा सकता है। इस पर अमल करके भी जून के मध्य तक संक्रमित लोगों की संख्या 50 के नीचे लायी जा सकती है।
तीसरा और अंतिम फार्मूला
अनुसंधान कर्ताओं ने एक और विकल्प 49 दिन के लगातार लॉकडाउन का भी दिया है। इनके अनुसार यदि सरकार इस पर अमल करती है तो 49 दिन का लगातार लॉकडाउन करके मध्य मई तक कोरोना वायरस के संक्रमण को 50 के नीचे ला सकती है।
हालांकि भारत सरकार ने लॉकडाउन को आगे बढ़ाए जाने की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। ऐसे में इस अध्ययन पर सरकार का क्या रुख होगा यह कहना मुश्किल है। लेकिन ये हो सकता है कि जिन इलाकों में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या ज्यादा हो उन्हें रेड जोन में डाल दिया जाए जैसी कि स्वास्थ विभाग की समिति में शुरुआत को 75 जिलों को चिह्नित किया था। लेकिन तेजी से मामलों की वृद्धि दर देखते हुए प्रधानमंत्री को पूरे देश में कम्प्लीट लॉकडाउन का एलान करना पड़ गया। इस अध्ययन की खास बात यह है कि बुजुर्ग युवाओं से जितना दूरी बनाकर रखें उतना ही बेहतर है।